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सुशील गुप्ता के स्कूल में कोर्ट के आदेश की अनदेखी, नहीं मिला शिक्षकों को वेतन का एरियर

दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक स्कूल ने शिक्षकों को वेतन की सारी बकाया राशि नहीं दी है और इसी कारण तीन शिक्षकों ने दिल्ली हाइकोर्ट में अपील दायर की है

Kangkan Acharyya

आम आदमी पार्टी ने पूर्व कांग्रेसी सुशील गुप्ता को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है. आम आदमी पार्टी का दावा है कि सुशील गुप्ता चैरिटी से जुड़े हैं और उनके चैरिटेबल स्कूलों में तकरीबन पंद्रह हजार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन सुशील गुप्ता की अध्यक्षता वाले ही दिल्ली के गंगा इंटरनेशनल स्कूल की तस्वीर आप के दावों के उलट है. स्कूल प्रशासन पर शिक्षकों के शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोपों के मुताबिक स्कूल के अधिकारियों ने बहुत से शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के हिसाब से मिलने वाले वेतन का एरियर नहीं दिया है.


फिलहाल ऐसे तीन मामले हैं जिनमें शिक्षकों ने स्कूल के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें छठे वेतन आयोग के फायदों से वंचित किया जा रहा है. खास बात ये है कि इन मामलों की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही है.

स्कूल के विद्यार्थियों से ऊंची फीस वसूलने के बावजूद स्कूल ने अपने शिक्षकों को उचित वेतन का उनका हक नहीं दिया. नतीजतन दिल्ली हाइकोर्ट ने स्कूल को आदेश दिया कि 2017 में शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक भुगतान किया जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, 'अर्जी देने वाले को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक पूरा वेतन दिया जाए. यह वेतन याचिका दायर करने की तारीख 1.5.2015 के तीन साल पहले की अवधि से लगातार और होने वाली बढ़त के हिसाब से दी जानी चाहिए. शिक्षा निदेशक के आदेश(तारीख 11.2.2009) से स्कूलों में प्रभावी छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता पूरा वेतन पाने का हकदार है और इसमें रकम का निर्धारण शिक्षा निदेशक या फिर निदेशक द्वारा नामित व्यक्ति करेगा.'

स्कूल के सूत्रों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक स्कूल ने शिक्षकों को वेतन की सारी बकाया राशि नहीं दी है और इसी कारण तीन शिक्षकों ने दिल्ली हाइकोर्ट में अपील दायर की है.

ऐसे में स्कूल की साख से आम आदमी पार्टी के दावों पर भी सवाल उठते है. पार्टी का दावा है कि सुशील कुमार गुप्ता ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है.ऐसे में स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक एरियर से कैसे वंचित रह गए? जबकि आम आदमी पार्टी के अरबपति और चैरिटी के लिए मशहूर सुशील गुप्ता स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के चेयरमैन हैं.

शिक्षा की जिन संस्थाओं से गुप्ता जुड़े हैं उनमें दिल्ली में हिरणकुंड के गंगा इंटरनेशनल स्कूल का नाम सबसे ऊपर आता है . यह सह-शिक्षा और रिहाइशी सुविधा वाला सीनियर सेकेंडरी स्कूल है. किसी डे स्कॉलर को स्कूल में पढ़ाई के लिए 5845 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. जबकि स्कूल की रिहाइशी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हुए पढ़ाई करने पर सालाना खर्च 3 लाख 25 हजार 520 रुपये या फिर इससे ज्यादा भी हो सकता है.

‘आप’ ने सुशील गुप्ता की चैरिटी को लेकर बड़े लंबे-चौड़े दावे किए. लेकिन गंगा इंटरनेशनल स्कूल के अधिकारियों के खिलाफ शिक्षकों के शोषण के आरोप पर्दे के पीछे से अपना सिर उठा रहे हैं तो आरोपों को दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश तस्दीक भी कर रहा है.

दिलचस्प है कि ‘आप’ के राज्यसभा प्रत्याशियों के नामों का एलान करते हुए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने बुधवार को एक प्रेस-कांफ्रेंस में सुशील कुमार गुप्ता के सामाजिक कामों की जोरदार प्रशंसा की थी. उन्होंने कहा था कि ' सुशील गुप्ता ने दिल्ली और हरियाणा के 14 जिलों में चैरिटेबल स्कूलों का संचालन कर शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया है और 15000 बच्चों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराई है.'

हालांकि उप-मुख्यमंत्री ने प्रेस-कांफ्रेंस में सुशील गुप्ता के संचालन वाले स्कूलों के नाम नहीं बताये. लेकिन राज्यसभा प्रत्याशियों की वेबसाइट से पता चलता है कि सुशील गुप्ता 25 निजी स्कूलों, शिक्षा के ट्रस्ट और एनजीओ से जुड़े हैं.

दिल्ली हाइकोर्ट के मामलों से जाहिर होते तथ्य सुशील कुमार गुप्ता की साख के बारे में किए जा रहे आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े दावों को झुठलाते हैं.आम आदमी पार्टी की कार्यकारिणी के सदस्य रह चुके और कोर्ट में अर्जी डालने वाले शिक्षकों की तरफ से पैरवी कर चुके वकील अशोक अग्रवाल ने फर्स्टपोस्ट से कहा कि 'आम आदमी पार्टी किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरफ प्रशासन चला रही है'.

उन्होंने कहा कि 'बहुत संभव है, राज्यसभा की उम्मीदवारी के बारे में फैसला उसी तरह से लिया गया हो जैसे कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में लिया जाता है.'

राज्यसभा में उम्मीदवारों के चयन के बाद आम आदमी पार्टी बुरी तरह घिर गई है. पहले उसने राज्यसभा में विशेषज्ञों को भेजने की बात की थी तो अब पार्टी के वरिष्ठ नेता के साथ दो बाहरियों को भी उम्मीदवार बना दिया है. इस फैसले पर न सिर्फ विरोधी दल बल्कि पार्टी के भीतर भी सवाल उठा रहे हैं.

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब सुशील गुप्ता के स्कूलों में शिक्षक इस तरह के शोषण का शिकार हो रहे हैं तो फिर आम आदमी पार्टी किस आधार पर उन्हें चैरिटी का मसीहा बताकर अपने फैसले को सही साबित करने की कोशिश कर रही है? बहरहाल सुशील गुप्ता को तो राज्यसभा की उम्मीदवारी का टिकट मिल गया लेकिन देखना है कि उनके स्कूलों के शिक्षकों को छठे वेतनमान का एरियर कब मिल सकेगा?