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अपने 49वें बर्थडे पर बदले-बदले से नजर आते हैं अरविंद केजरीवाल!

लगातार होती हार और आलोचनाओं के बाद केजरीवाल ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है

FP Staff

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बुधवार को अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं. जन्मदिन समारोह आयोजनों के बीच उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं. केजरीवाल के बीता एक साल अच्छा साबित नहीं रहा है. बीजेपी को दिल्ली के एमसीडी चुनाव में मिली कामयाबी और उसके केजरीवाल को दिए सियासी झटका

2016 में सियासी तौर पर मजबूतल होकर उभरने के बावजूद केजरीवाल को पिछले 12 महीनों में एक के बाद एक हार का सामना करना पड़ा है. इसके अलावा, उन्हें भ्रष्टाचार के कई आरोप भी झेलने पड़े हैं- जिससे उन्होंने इनकार तो किया है लेकिन पूरी तरह उस दाग को वो धो पाने में नाकाम रहे हैं.

कुछ महीने पहले तक केजरीवाल अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले करते थे लेकिन अब उनके रूख में काफी नरमी आई है. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि अब उन्हें लगने लगा है कि आरोप लगाने और हमला करने की राजनीति से लोगों में उनकी छवि बिगड़ती जा रही है, जो पहले साफ-सुथरी हुआ करती थी. अब वो एनडीए सरकार पर सीधे आरोप लगाने के बजाए अप्रत्यक्ष हमला बोलते हैं.

केजरीवाल के लिए बीता एक साल अच्छा नहीं रहा

बीते एक साल में केजरीवाल की पार्टी की एक के बाद एक कई चुनावों में हार हुई है. दिल्ली में, जहां 2015 में उनकी पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, केजरीवाल को 2017 की शुरुआत में दो बड़े झटके लगे. एमसीडी के हुए चुनाव और राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर उनकी पार्टी को बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा.

इस साल के शुरू में हुए पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव से भी केजरीवाल को काफी उम्मीदें थीं. पंजाब में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन गोवा में पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका.

चुनावों में मिली जबरदस्त हार के बाद केजरीवाल लगातार मीडिया में सामने आकर हार के लिए ईवीएम को दोषी ठहराते रहे. लेकिन उनके 'ईवीएम से छेड़छाड़' आंदोलन की हवा निकल गई. इसके लिए केजरीवाल और उनकी पार्टी की काफी आलोचना हुई.

मोदी सरकार पर कमेंट लिखने के बजाए अरविंद केजरीवाल अपने ट्विटर हैंडल से ज्यादातर रिट्वीट ही करते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के कामकाज को लेकर समय-समय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं लेकिन पिछले साल भर में उनके द्वारा की जाने वाली मीडिया ब्रीफिंग मे कमी आई है.

अड़तालीसवें से अपने उनचासवें जन्मदिन आते-आते तक अरविंद केजरीवाल बदले नजर आते हैं, पहले से काफी नरम.