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दिल्ली: बवाना के दो सेंटर पर EVM में खराबी, देर से शुरू हुई वोटिंग

दिल्ली की बवाना सीट पर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है

FP Staff

दिल्ली में बवाना विधानसभा के लिए वोटिंग शुरू हो चुकी है. वोटिंग सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होगी, जिसके नतीजे 28 अगस्त को आएंगे. इस सीट पर दो लाख 94 हजार मतदाता हैं. इस चुनाव के लिए बीजेपी,आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. जानकारी के मुताबिक ईवीएम में खराबी के चलते बवाना के दो मतदान केंद्रों पर वोटिंग करीब दो घंटे देर से शुरू हुई. सुबह करीब 11 बजे तक बवाना में 17.25 प्रतिशत वोटिंग हुई है.

हालांकि आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली में पूर्ण बहुमत है लेकिन एमसीडी चुनाव, राजौरी गार्डन विधानसभा के उपचुनाव, पंजाब और गोवा में हार के बाद इस सीट पर जीत से आम आदमी पार्टी का मनोबल बढ़ेगा.सुबह से लोग मतदाता केंद्र पर अपना कीमती वोट डालने पहुंच रहे है जो इस विधानसभा उपचुनाव में पार्टियों की किस्मत तय करेगा.

70 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी के सिर्फ चार विधायक हैं. बीजेपी को लगता है कि कई राज्यों में चल रहा जीत का सिलसिला यहां भी बरकरार रहेगा. जबकि अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आते हैं तो उसके लिए ये संजीवनी बूटी की तरह काम करेगा.

आप विधायक वेद प्रकाश के इस्तीफा देने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. एमसीडी चुनाव से पहले वेद प्रकाश बीजेपी में शामिल हो गये थे और अब बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है.

बीजेपी के लिए क्‍यों है जरूरी जीत ?

गौरतलब है कि बीजेपी इस सीट को जीतना चाहती है. यह सीट खाली भी बीजेपी की वजह से ही हुई थी. 2015 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के खाते में यह सीट चली गई थी. जबकि 2013 के चुनाव में यह उस दौरान बीजेपी के नेता गुग्‍गन सिंह ने जीती थी.

आज से कुछ महीने पहले इस विधानसभा के वर्तमान विधायक और आप नेता वेदप्रकाश ने सीट और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया और वे बीजेपी में शामिल हो गए. वर्तमान में वेदप्रकाश बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी में शामिल होने के लिए उसी के इशारे पर वेदप्रकाश ने आप और सीट छोड़ी और यह उपचुनाव हुआ है. लिहाजा बीजेपी इस मौके को चूकना नहीं चाहती.

आम आदमी पार्टी के लिए क्‍यों है जरूरी जीत ?

2015 में जीत के बाद अरविंद केजरीवाल का दिल्‍ली पर कब्‍जा था. लेकिन राजौरी गार्डन विधानसभा में हुए उपचुनाव में पार्टी का भ्रम टूट गया. आम आदमी पार्टी के उम्‍मीदवार की जमानत जब्‍त होने से पार्टी को बड़ा झटका लगा.

आम आदमी पार्टी अब वह हार नहीं दोहराना चाहती है. इसके अलावा 2015 में बवाना सीट आम आदमी पार्टी ने जीती थी. इन्‍हीं की पार्टी  का बागी विधायक बीजेपी से चुनाव लड़ रहा है. लिहाजा अपनी  सीट को वापस पाने और बागी विधायक को सबक सिखाने को आप चुनाव जीतना चाहती है.

2015 चुनावों के बाद से आप कोई चुनाव नहीं जीती है. आप को एमसीडी में हार मिली. लिहाजा यह इसकी परीक्षा भी है और लोकप्रिय बने रहने के लिए भी जरूरी की आप सत्‍ता में रहते हुए चुनाव जीते.

कांग्रेस के लिए क्‍यों है जरूरी जीत ?

यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी. 2013 से पहले तक बवाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस का विधायक हुआ करता था. कांग्रेस की पहुंच यहां अंदर तक थी. यही वजह थी कि यहां लगातार तीन बार कांग्रेस के उम्‍मीदवार ने बाजी मारी.

कांग्रेस अपनी पुरानी साख को वापस पाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है. इसके साथ ही अगर कांग्रेस यह सीट जीतती है तो वह दिल्‍ली विधानसभा में खाता खोल पाएगी और चाहे एक ही विधायक हो लेकिन उपस्थिति दर्ज करा पाएगी.

लिहाजा कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना खुद को फिर से बैटल-फील्‍ड में आने लायक बनाना होगा. इसीलिए कांग्रेस पुरजोर कोशिश कर रही है.

बवाना विधानसभा में कुल छह वार्ड आते हैं. इस सीट पर कुल आठ उम्मीदवार मैदान में हैं. ये सीट अनुसूचित जाति श्रेणी के लिए रिजर्व है.

(साभार: न्यूज़18)