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दार्जिलिंग हिंसा: लगातार आठवें दिन जारी रहा जीजेएम का बंद, ममता गईं नीदरलैंड

जीजेएम द्वारा बुलाए गए बंद का असर दार्जिलिंग के प्रसिद्ध टॉय ट्रेन हिमालयन क्वीन के परिचालन पर भी पड़ा

FP Staff

गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा द्वारा बुलाया गया बंद सोमवार को आठवें दिन में पहुंच गया है. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पिछले कई दिनों ने दार्जिलिंग और उसके आसपास के पहाड़ी इलाकों में तनाव कि स्थिति बनी हुई है. इस दौरान जीजेएम और पुलिस के बीच कई हिंसक झड़पें भी हुईं. इस झड़प में जीजेएम के चार समर्थक भी मर चुके हैं और एक पुलिस अधिकारी गंभीर रूप से घायल भी हो चुका है.

जीजेएम के समर्थकों ने सोमवार को भी दार्जिलिंग में अपनी मांगों के समर्थन में एक विरोध मार्च निकाला. इससे पहले रविवार को भी जीजेएम के समर्थकों ने दार्जिलिंग के चौक बाजार से एक मार्च निकाला था. जीजेएम द्वारा बुलाए गए बंद का असर दार्जिलिंग के प्रसिद्ध टॉय ट्रेन हिमालयन क्वीन के परिचालन पर भी पड़ा है.

दार्जिलिंग में हिंसा की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी इस मामले में दखल दी है. राजनाथ सिंह ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

इस बीच सोमवार की सुबह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीदरलैंड के दौरे पर निकल गई हैं. उन्होंने यात्रा पर जाने से पहले कहा कि उनके मंत्री दार्जिलिंग के हालात पर नजर रखे हुए हैं.

दार्जिलिंग में हालात पर काबू करने के लिए ममता बनर्जी ने 22 जून को सिलीगुड़ी में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है. हालांकि ममता इस बैठक में मौजूद नहीं रहेंगी. उनकी अनुपस्थिति में सरकार की तरफ से वरिष्ठ मंत्री और अफसर इस बातचीत में हिस्सा लेंगे.

22 जून को ममता हेग में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा आयोजित पब्लिक सर्विस डे को संबोधित करेंगी. ऐसा करने वाली वे देश की पहली मुख्यमंत्री होंगी. ममता का यह दौरा पहले से निर्धारित था. लेकिन दार्जिलिंग के बेकाबू हालात को देखते हुए उनके इस दौरे पर सवाल खड़े हो सकते हैं.

क्या है पूरा मामला?

ताजा विवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में बंगाली भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य किए जाने के विरोध में शुरू हुआ. जीजेएम का आरोप के पश्चिम बंगाल की ममता सरकार नेपाली भाषा बहुल पहाड़ी इलाकों पर जबरन बंगाली भाषा को थोप रही है. इसके विरोध में जीजेएम ने 12 जून से दार्जिलिंग में अनिश्चितकालीन बंद बुलाया हुआ है.

दूसरी तरफ ममता बनर्जी का कहना है कि उनकी सरकार सिर्फ त्रिभाषा फॉर्मूला को लागू कर रही है. ममता बनर्जी का यह भी कहना है कि उनकी सरकार ने सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए को आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया है.