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जानिए प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा के स्वीटहार्ट लैंड डील का क्या है सच!

प्रियंका गांधी वाड्रा और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने ये जमीनें जिससे खरीदी फिर उसी को बेची हैं

FP Staff

प्रियंका गांधी वाड्रा की जमीन का मामला अब राजनीतिक मुद्दा बन गया है. प्रियंका ने अपने बचाव में कहा है कि उनकी संपत्ति से उनके पति रॉबर्ट वाड्रा या उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का कोई लेना-देना नहीं है.

वाड्रा की कंपनी डीएलफए के साथ जमीन सौदों को लेकर हरियाणा सरकार की नजरों में है. विरोधियों ने कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा और रॉबर्ट वाड्रा इस डील का अनावश्यक रूप से फायदा उठा रहे हैं.


सीएनएन न्यूज़ 18 को प्रियंका गांधी द्वारा दी गई इस सफाई में कुछ गलतियों का पता चला है. सीएनएन न्यूज़ 18 को जो दस्तावेज मिले हैं, उनसे यह साफ है कि प्रियंका गांधी वाड्रा और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने जिससे ये जमीनें खरीदी, फिर उसी को यह बेची भी हैं.

क्या कहते हैं ये दस्तावेज?

इन दस्तावेजों से साफ है कि 3-4 साल की अवधि में कभी खरीदार, कभी बेचनेवाला हो गया और फिर बेचनेवाला उसी जमीन का खरीदार. जबकि इस पूरी अवधि में जमीन पर किसी तरह का विकास कार्य नहीं हुआ है.

प्रियंका गांधी ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अमीपुर गांव में हरबन लाल पहवा से 15 लाख रुपए में 5 एकड़ जमीन खरीदी थी. सीएनएन न्यूज़ 18 को मिले दस्तावेज यह बताते हैं कि प्रियंका ने यह जमीन 28 अप्रैल, 2006 को खरीदी थी.

इस डील के ठीक तीन साल बाद प्रियंका ने वही जमीन फिर से हरबंस लाल पहवा को 80 लाख रुपए में बेच दी. दस्तावेज बताते हैं कि पहवा से यह डील 16 जून 2009 को की गई.

लगभग इसी अवधि में रॉबर्ट वाड्रा अमीपुर गांव में तीन जमीनों के सौदों में शामिल थे. इन जमीनों के सौदों में भी वही प्रक्रिया अपनाई गई थी जो प्रियंका गांधी के सौदे जैसे ही थे. इन सौदों में भी रॉबर्ट वाड्रा ने जिससे जमीन खरीदी थी उसी को बेची थी.

दस्तावेज बताते हैं कि वाड्रा ने जमीन के तीन टुकड़ों को सितंबर 2005 और जनवरी 2006 के बीच खरीदा था. वाड्रा ने 1.16 करोड़ रुपए में कुल 41 एकड़ जमीन खरीदी. जमीन के इन्हीं टुकड़ों को साल 2010 में लगभग 3 करोड़ रुपए में बेचा गया. वाड्रा को इस स्वीटहार्ट डील से लगभग 1.83 करोड़ रुपए का फायदा हुआ.

सबसे बड़े रहस्य की बात यह है कि आखिर हरबंस लाल पहवा जमीन के इन सौदों में क्यों शामिल थे. और उन्होंने सिर्फ 3 से 4 साल की अवधि में लगभग 2.5 करोड़ रुपए का नुकसान क्यों झेला?

रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी का बैलेंस शीट करीब से देखने पर इस रहस्य से पर्दा हटता है. दस्तावेज बताते हैं कि पहवा की कंपनी कार्निवाल इंटरकांटिनेंटल एस्टेट (प्रा.) लिमिटेड ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को 1.55 करोड़ रुपए का लोन दिया था.

सबसे रोचक बात तो यह है कि हरबंस लाल पहवा को वाड्रा की कंपनी रियल अर्थ की फरवरी 2008 से मार्च 2009 के बीच डायरेक्टरशिप मिली हुई थी.

संक्षेप में जस्टिस एस एन धींगरा की रिपोर्ट

जस्टिस एस एन धींगरा कमीशन का गठन मई 2015 में किया गया था. इस कमीशन का गठन गुरुग्राम (गुड़गांव) में जमीन के इस्तेमाल में बदलाव के लिए दिए गए लाइसेंसों की जांच के लिए हुआ था. जस्टिस धींगरा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हैं.

धींगरा समिति ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को 31 अगस्त 2016 को अपनी 182 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी.

धींगरा पैनल ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच हुए जमीन सौदों की भी जांच की. 2012 में वाड्रा की कंपनी ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ प्लॉट डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेचा.

2008 में वाड्रा ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन का प्लॉट 7.5 करोड़ रुपए में खरीदा था. वाड्रा ने यह जमीन तब बेची थी जब तत्कालीन हरियाणा सरकार ने उनके 2.71 एकड़ जमीन पर कॉमर्शियल कॉलोनी बनाने की इच्छा जाहिर की थी.