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नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खुलासे के बाद क्या मायावती का 'खेल' खत्म है?

नसीमुद्दीन सालों से मायावती के नजदीकी रहे हैं और उनके शब्दों को कोरी धमकी नहीं माना जा सकता है.

Sanjay Singh

भ्रष्टाचार का आरोप मायावती पर उनकी पार्टी के सबसे भरोसेमंद साथी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने लगाया है और इस आरोप को नकारना मायावती के लिए बहुत मुश्किल होगा.

बीएसपी से निष्कासित नसीमुद्दीन एक अरसे तक पार्टी में नंबर दो के नेता माने जाते रहे और उन्होंने जो टेप जारी किए हैं, वे भारतीय सियासत में दलित राजनीति की सिरमौर मानी जाने वाली मायावती के लिए खतरे की घंटी है.


नसीमुद्दीन का प्रेस-सम्मेलन लगभग एक घंटे तक चला और इस सम्मेलन के आखिर में उन्होंने कुछ टेप जारी किए जिसमें मायावती उनसे अपने निर्देशों के मुताबिक पैसे जुटाने की बात कह रही हैं और चेतावनी दे रही हैं कि तुम पैसा समय पर नहीं जुटा पाये.

लेकिन लगभग दो दशक तक बीएसपी की तरफ से मुस्लिम आवाम की नुमाइंदगी करने वाले कद्दावर नेता नसीमुद्दीन के जखीरे में मायावती के खिलाफ इस टेप के अलावा भी बहुत से हथियार हो सकते हैं.

उन्होंने अपने पूर्व प्रधान मायावती को धमकी दी है कि मेरे पास बातचीत के ऐसे डेढ़ सौ ऑडियो टेप हैं और कई सारे सबूतों के साथ-साथ वह 'जन्मकुंडली' भी जो मायावती, सतीश मिश्रा और आनंद कुमार (मायावती के भाई) का पर्दाफाश कर देगी.

जिससे यकीनी तौर पर तीनों की बेनामी संपत्ति और उनके भ्रष्ट कारनामों का भांडाफोड़ हो जायेगा.

नसीमुद्दीन के आरोप के बाद बीजेपी को राज्य और केंद्र दोनों ही जगहों पर फायदा हो सकता है

नसीमुद्दीन से बीजेपी को फायदा

टेप और बाकी सबूतों से यह भी पता चलता है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती के कहने पर पार्टी के प्रतिद्वन्द्वियों, आलोचकों और पार्टी छोड़ने वालों को आर्थिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाने के खेल रचे गये.

राजनीतिक रुप से देखें तो नसीमुद्दीन ने प्रेस-सम्मेलन में जो कुछ कहा वह केंद्र और यूपी में शासन संभाल रही बीजेपी सरकार को बहुत अच्छा लगा होगा.

नसीमुद्दीन के खुलासे को आधार मानकर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जा सकता है. यूपी की सरकार कह सकती है कि मामले की जांच सीबीआई से करवायी जाए. अगर योगी सरकार ऐसा नहीं कर पाती तो माना जाएगा कि वह अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर रही.

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हालांकि, नसीमुद्दीन ने अभी तक यह नहीं कहा कि वे बीएसपी के नेता के भ्रष्ट और गंदे कामों का पर्दाफाश करने वाले टेप और ऐसे अन्य सबूत राजकीय जांच एजेंसियों को सौंपने जा रहे हैं लेकिन राजकीय एजेंसियां उनसे ये सबूत मांगकर जांच शुरू कर सकती हैं.

एक अरसे तक नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कहे शब्दों को मायावती के आदेश की तरह माना जाता रहा और वे बीएसपी की जमीनी राजनीति में मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेता बने रहे.

इस कारण नसीमुद्दीन के आरोप और ऑडियो टेप को ज्यादा गंभीरता से लिया जायेगा. उनके आरोपों को एक नाराज नेता के प्रलाप कहकर खारिज नहीं किया जा सकता.

नसीमुद्दीन ने मायावती पर उगाही करवाने से लेकर मुसलमानों के लिए अपशब्द कहने का आरोप लगाया

मायावती पर आरोप

बीएसपी के नेतृत्व पर नसीमुद्दीन ने जो आरोप लगाये हैं कुछ वैसे ही आरोप पार्टी छोड़कर बीजेपी या एसपी में जाने वाले बाकी वरिष्ठ नेताओं जैसे स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और अन्य नेताओं ने लगाये थे. लेकिन तब बात एकदम ही अलग ही थी.

उस वक्त नसीमुद्दीन मायावती के साथ थे और माना जाता था कि अपने बॉस के सारे राज सिर्फ वे ही जानते हैं और आज तकरीबन यही बात साबित हुई है क्योंकि उन्होंने ऑडियो टेप सार्वजनिक कर दिए हैं.

अपनी निजी बातचीत और 19 तारीख की बैठक में मायावती के भाषण के हवाले से नसीमुद्दीन ने जो कुछ कहा उससे एक अहम बात उभरकर सामने आती है.

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दरअसल, मायावती का ख्याल है कि मुस्लिम, अगड़ी जाति, ओबीसी और दलितों की कई उपजातियों ने उन्हें वोट नहीं दिया और इसके लिए मायावती ने अपने पार्टी के नेताओं की खबर ली.

इसका मतलब हुआ कि 11 मार्च के दिन जब चुनाव के नतीजों का एलान किया जा रहा था तब मायावती ने ईवीएम मशीन में गड़बड़ी का जो आरोप लगाया था वो असल में हड़बड़ी में लगाया गया आरोप था.

चुनाव जीत रही बीजेपी पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप मायावती ने सिर्फ दिखावे के लिए लगाया था, इरादा अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थक तबके के सामने यह जताने का था कि उन्हें अब भी जनता का समर्थन हासिल है और लोगों ने उन्हें नजरों से गिराया नहीं है.

उनके मुताबिक मायावती के सारे फैसलों में सतीश मिश्रा का हाथ है

गद्दार मुसलमान

नसीमुद्दीन का दूसरा आरोप मायावती को बहुत दिनों तक सालता रहेगा, नसीमुद्दीन के मुताबिक मायावती ने उन्हें गद्दार कहा. सिद्दीकी के मुताबिक मायावती ने कहा- 'मुसलमान गद्दार है..दाढ़ीवाले (मौलाना) ये कुत्ते मेरे पास आते थे.' अब मायावती चाहे अपने बचाव या प्रतिवाद में जो कुछ कहें लेकिन मुसलमानों का एक तबका नसीमुद्दीन के कहे को हू-ब-हू सच मानेगा.

याद रहे कि यूपी विधानसभा के चुनावों में मायावती दलित और मुसलमानों के वोट पर उम्मीद टिकाये हुए थीं. वे हर चुनावी रैली में मुस्लिम समुदाय के वोटों का जिक्र जरुर करती थीं. उन्होंने तकरीबन 100 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे लेकिन बीएसपी 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा के लिए केवल 19 सीट ही जीत पायी.

इसका मतलब हुआ कि अगले साल मायावती का जब राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होगा तो वे दोबारा निर्वाचित नहीं हो पायेंगी. लोकसभा में मायावती की नुमाइंदगी शून्य पर पहुंच चुकी है और राज्यसभा में भी जल्दी ही वह शून्य पर पहुंचने वाली है.

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सिद्दीकी ने सबूतों के आधार पर आरोप लगाये हैं और उनके खुलासे से इस आरोप को और भी बल मिलता है कि मायावती अब फिर कभी अपनी पार्टी दोबारा नहीं खड़ी कर पायेंगी.

नसीमुद्दीन यहीं नहीं रुके उन्होंने यह तक कह दिया कि मायावती और सतीश मिश्रा मेरे खिलाफ कोई चाल चलते हैं तो उनकी ऐसी हर करनी पर मैं और ज्यादा ऑडियो टेप और सबूत पेश करूंगा.

इन सबूतों में एक यह भी है कि पार्टी छोड़ने वालों को आर्थिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाने के खेल रचे गये. नसीमुद्दीन का दावा है कि बीएसपी की मुखिया के इशारे पर ऐसे गंदे काम होते हैं और काम करने वाले गिरोह के सरदार और सदस्यों को वे जानते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती ने उनसे 50 करोड़ रुपये जुटाने के लिए कहा क्योंकि पार्टी को इसकी सख्त जरूरत थी.

नसीमुद्दीन ने मायावती पर पार्टी चंदा के नाम पर उगाही का भी आरोप लगाया है

पार्टी को चंदा

नसीमुद्दीन ने जब इतनी बड़ी रकम जुटा पाने में असमर्थता जतायी तो मायावती ने कहा कि अपनी जमीन बेच दो और इससे भी पूरी रकम ना जुटायी जा सके तो अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और उन अधिकारियों और व्यापारियों से कहो जिन्होंने बीएसपी के शासन के दौरान उनकी मदद की थी.

मायावती ने नसीमुद्दीन से कहा, 'उन उम्मीदवारों से कहो जिन्हें पार्टी ने हाल ही में हुए विधानसभा के चुनावों में टिकट दिए थे. लेकिन पैसा हर हाल में मिलना चाहिए और जितनी जल्दी जुटा सको उतना ही अच्छा होगा.'

टेप में मायावती की फटकार के स्वर में नसीमुद्दीन को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, 'जो काम दिया गया है उसे पूरा करने में बहुत ज्यादा समय लगा रहे हो.' टेप में मायावती नसीमुद्दीन से यह भी बता रही हैं कि किन लोगों और इलाकों से रूपये जुटाने हैं.

भाषा कुछ ऐसी है मानो चंदा नहीं जुटाया जा रहा है, वसूली की जा रही है. टेप से यह भी जाहिर होता है कि बीएसपी के नेतृत्व की तरफ से उम्मीदवारों और अन्य नेताओं को जो किताब दी जाती है वह बिना जमा-पर्ची के धन उगाही करने एक औजार है.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी के इन शब्दों पर गौर करने की जरूरत है- 'मेरा पास उनकी जन्मकुंडली है. अगर मैंने उनके खिलाफ जमा सबूतों के भारी-भरकम पुलिंदे को सार्वजनिक कर दिया तो भूकंप आ जायेगा.'

नसीमुद्दीन बीते 34 सालों से मायावती के नजदीकी रहे हैं और इतने सालों की नजदीकी को देखते हुए उनके शब्दों को कोरी धमकी नहीं माना जा सकता.