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क्या मध्यप्रदेश में राम के दिखाए मार्ग पर चल पाएगी कांग्रेस

भगवान श्रीराम अपने चौदह साल के वनवास के दौरान मध्यप्रदेश के जिन रास्तों से गुजरे थे, कांग्रेस अब उन्हीं रास्तों के जरिए सत्ता से वनवास समाप्त करने का मार्ग तलाश कर रही है.

Dinesh Gupta

भगवान श्रीराम अपने चौदह साल के वनवास के दौरान मध्यप्रदेश के जिन रास्तों से गुजरे थे, कांग्रेस अब उन्हीं रास्तों के जरिए सत्ता से वनवास समाप्त करने का मार्ग तलाश कर रही है. कांग्रेस का मुद्दा छिनने के लिए बीजेपी पंचायत स्तर पर गौशालाएं खोलने की घोषणा पहले ही कर चुकी है.

कांग्रेस 21 सितंबर से राम वन गमन यात्रा निकाल कर यह भी बताना चाहती है कि बीजेपी सिर्फ राम का उपयोग अपनी राजनीति के लिए करती है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर राम वन गमन पथ का भव्य निर्माण किया जाएगा.


दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को दाऊदी वोहरा समाज के 53 वें धर्म गुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से इंदौर में मुलाकात करने जा रहे हैं. राज्य में दाऊदी वोहरा समाज काफी संख्या में है.

शिवराज ने कहा था-राम वन गमन मार्ग का विकास होगा

पौराणिक मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने चौदह साल के वनवास के दौरान मध्­य प्रदेश के जंगलों से गुजरे थे. इन मार्गों को चिन्हित करने के लिए 'राम वन गमन पथ मार्ग' का नाम दिया गया. संस्कृति विभाग का मानना है कि भगवान रामअपने वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह साल चित्रकूट में रहे थे. इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होकर दंडकारण्य चले गये थे.

ऐसे भी प्रमाण मिले कि भगवान श्री राम नचना, भरहुत, उचेहरा, भेड़ाघाट एवं बांधवगढ़ होते हुए छत्तीसगढ़ गये थे. इन जिलों के नाम रामायण, पौराणिक ग्रंथों और व्यापक सर्वेक्षण के आधार पर निकाले गए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अक्टूबर 2007 में राम वन गमन मार्ग की पहचान कर उसे विकसित करने की घोषणा की थी.

शिवराज सिंह चौहान ने जब यह घोषणा की थी, उस वक्त उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर लगभग एक साल ही पूरा हुआ था. दिसंबर 2008 में विधानसभा के चुनाव थे. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के तौर पर बारह साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. राम वन गमन मार्ग के सर्वेक्षण और पहचान के लिए बनाई गई ग्यारह सदस्यीय समिति ने वर्ष 2010 में ही अपनी रिपोर्ट सरकर को दे दी थी.

चिन्हित किए गए मार्गों का विकास धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में किया जाना था. सरकार ने मार्ग की पहचान करने पर ही लगभग तीन करोड़ रुपए खर्च कर दिए थे. मार्ग के विकास की योजना कुल 33 करोड़ रुपए की बनाई गई थी.

विधानसभा के दो चुनाव भी कांग्रेस और बीजेपी ने राम वन गमन पथ का जिक्र किए बगैर ही लड़ लिए थे. इस चुनाव में मुख्यमंत्री की 11 साल पुरानी घोषणा को कांग्रेस चुनाव का मुद्दा बनाकर हिंदू विरोधी होने की अपनी छवि को बदलना चाहती है.

विंध्य प्रदेश की तीस सीटों पर है कांग्रेस की नजर

राम वन गमन मार्ग का बड़ा हिस्सा विंध्य प्रदेश का है. विंध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल तीस सीटें हैं. इनमें कटनी जिले की दो विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर महाकौशल की राजनीति का भी प्रभाव देखा जाता है. राम वन गमन का जो मार्ग समिति द्वारा चिंहित किया गया था उसमें पर्यटन स्थल भेड़ाघाट का भी जिक्र किया गया है.

भेड़ाघाट जबलपुर के नजदीक है. जबलपुर महाकौशल की राजनीति का केन्द्र है. विंध्य प्रदेश के कुछ जिलों की सीमाएं उत्तरप्रदेश से लगी हुई हैं. चित्रकूट का एक हिस्सा भी उत्तरप्रदेश में है. विंध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का प्रतिबद्ध वोटर है. कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत की व्यापक संभावनाएं देख रही है.

बीएसपी से गठबंधन अब तक जमीन पर नहीं उतरा है. चुनाव में बीएसपी की मौजूदगी से कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही चुनाव में नुकसान होता रहा है. बीजेपी इस बार अनुसूचित जाति के वोटरों पर अपने आपको फोकस किए हुए है. इसमें सवर्ण वोटर अपने आपको अलग-थलग महसूस कर रहा है. विंध्य की राजनीति में ब्राह्मण-ठाकुर वोटर पहली बार एक साथ आने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं. एट्रोसिटी एक्ट के संशोधन को महत्वपूर्ण वजह माना जा रहा है.

विंध्य क्षेत्र कांग्रेस की राजनीति में अजय सिंह के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है. पिछले दिनों उनके निर्वाचन क्षेत्र चुरहट में मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा के रथ पर कथित तौर पर पथराव हुआ था. शिवराज सिंह चौहान ने इस पथराव के पीछे अजय सिंह का हाथ होने का आरोप लगाया था.

मुख्यमंत्री ने अपने आरोप के साथ यह भी कहा था कि कांग्रेस के नेताओं को पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री होना रास नहीं आ रहा. विंध्य की राजनीति में पटेल, कुर्मी वोटर भी काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. कांग्रेस के लिए राम वन गमन मार्ग ऐसे मुद्दे के तौर पर दिखाई दे रहा है जो विध्य में जीत का रास्ता खोल सकता है.

राम वन गमन मार्ग से जुड़ा है अवैध उत्खनन

राम वन गमन के जरिए कांग्रेस राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध उत्खनन के मुद्दे को भी हवा देना चाहती है. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कहते हैं कि बीजेपी की राह कभी धार्मिक नहीं रही. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राम वन गमन के साथ ही नर्मदा परिक्रमा का मार्ग भी बनाया जाना चाहिए.

उन्होंने अपने आरोप को दोहराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री चौहान का परिवार नर्मदा नदी से अवैध रूप से रेत निकालता है. राम वन गमन पथ पर भी अवैध उत्खनन किए जाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा है. चित्रकूट के पास रामपथ मार्ग पर ही सरकार ने कुछ साल पहले खनिज की लीज दे दी थी, लेकिन कोर्ट में मामला जाने के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी.

माना यह जाता है कि राम वन गमन मार्ग के विकास की योजना खनिज माफिया दबाव में ही ठंडे बस्ते में डाल दी गई है. भगवान राम वनवास के दौरान सतना जिले के कई स्थानों से होकर गुजरे थे. उनमें सरभंगा आश्रम व सिद्धा पहाड़ भी था. रामचरित मानस के अरण्य कांड में सरभंगा आश्रम का जिक्र है.

सरभंगा ऋषि के तपोबल से मंदाकिनी नदी का उद्गम यहां से हुआ. नदी के उद्गम स्थल को ब्रह्म कुण्ड कहा जाता है. इस कुण्ड में अस्थि विसर्जन भी किया जाता है. भगवान राम वनवास के दौरान अपने अनुज लक्ष्मण के साथ इस आश्रम में भी आए थे. रामचरित मानस के ही अनुसार भगवान राम जब चित्रकूट की ओर बढ़े, तो सिद्धा पहाड़ मिला, यह पहाड़ अस्थियों का था. तब राम को मुनियों ने बताया कि राक्षस कई मुनियों को खा गए हैं और यह अस्थियां उन्हीं मुनियों की हैं. भगवान राम ने यहीं पर राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी.

सरभंगा आश्रम के अलावा सिद्धा पहाड़ के करीब भी वर्षों से खनन होता आ रहा है. सिद्धा पहाड़ के करीब सिद्धा कोठार में सरकार की अनुमति से 2008 तक खनन का काम चलता रहा है. वहीं सरभंगा में 2020 तक खनन की अनुमति दी गई है. इन स्थानों पर बाक्साइट, लेटराइट पत्थर निकलता है. कांग्रेस 21 सितंबर से शुरू कर रही अपनी राम वन गमन पथ की यात्रा के दौरान पहाड़ों का खनन का मुद्दा भी लोगों के सामने रखेगी.