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हमेशा बिजनेसमैन पर निशाना साधने वाले राहुल गांधी अब बदले हुए नजर आ रहे हैं

हाल के दिनों में आम तौर पर राहुल गांधी ने अपने भाषणों में मोदी सरकार पर हमले के दौरान बड़े उद्योगपतियों पर तीखे तंज कसे हैं, लेकिन एचटी समिट में उनके अलग ही बयान सुनने को मिले

FP Staff

हाल के दिनों में आम तौर पर राहुल गांधी ने अपने भाषणों में मोदी सरकार पर हमले के दौरान बड़े उद्योगपतियों पर तीखे तंज कसे हैं. मोदी सरकार के उद्योगपतियों के हितैषी होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कई बार बड़े बिजनेसघरानों की आलोचना की है. लेकिन एचटी लीडरशीप समिट में उनके बयान कुछ बदले हुए दिखे.

समिट में उन्होंने कहा कि बिजनेस को बढ़ावा दिए बिना नौकरियां पैदा ही नहीं की जा सकती. कांग्रेस पार्टी और खुद को गरीबों के करीब दिखाने के लिए राहुल गांधी राजनीतिक रैलियों में उद्योगपतियों की आलोचना करते हैं. लेकिन एचटी समिट में उनके अलग ही बयान सुनने को मिले.


समिट में राहुल गांधी से पूछा गया था कि आपकी सरकार के वक्त में आर्थिक सुधार लागू होने शुरू हुए, उदारवाद शुरू हुआ लेकिन ऐसा देखने में आया है कि हाल के दिनों में कांग्रेस का एप्रोच एंटी इंडस्ट्री है. क्या गरीबों के करीब होने के लिए बड़े बिजनेस के खिलाफ होना जरूरी है?

इस पर जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि इस देश का विकास नहीं हो सकता है अगर हम सिर्फ गरीबों के साथ, या इंडस्ट्री के साथ या किसी खास सेगमेंट के साथ होने की बात करें. हर सेगमेंट की अपनी अहमियत है. उसी तरह से बड़े बिजनेस का भी अपना रोल है. भारत में आप नौकरियां नहीं ला सकते अगर बिजनेस को बढ़ावा नहीं दिया जाए. अगर कोई ये सोचता है कि बिना बिजनेस को बढ़ावा दिए, बिना मंझोले और छोटे उद्योगों को आगे बढ़ाए नौकरियां पैदा की जा सकती है तो ये असंभव बात है.

मैं दुनिया को किसी एक पहलू से नहीं देखता. मैं साझेदारी की बात करता हूं. जिसमें हर किसी के लिए जगह हो. आज की दिक्कत ये है कि अलग-अलग समूहों के बीच संबंध खत्म हो गए हैं. किसान और उद्योग साथ मिलकर कई तरह के काम कर सकते हैं. किसानों को उद्योगों के साथ मिलकर काम करना होगा. लेकिन इसकी बात नहीं होती. यही दिक्कत है. आपको सभी समूहों से बात करके एक जगह लाना होगा. ऐसा संभव नहीं है कि किसान जो चाहते हैं वो सब पूरा हो जाए या फिर उद्योग जो चाहते हैं उनकी हर बात संभव हो लेकिन उनसे बात तो की जा सकती है.

राहुल गांधी ने गरीबों के पास जाने और बिजनेसमैन से दूरी दिखाने वाले सवाल के जवाब में तो नपा तुला बयान दिया. लेकिन उनके भाषणों में इस संजीदगी का अभाव दिखता है. ऐसे कई मौके हैं जब उन्होंने देश के कारोबारियों को अपने निशाने पर लिया है.

कब-कब राहुल गांधी ने साधा उद्योगपतियों पर निशाना

हाल ही में राहुल गांधी यूरोप दौरे पर गए थे. इस दौरान उन्होंने राफेल डील को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था और कहा कि यह डील सिर्फ एक बिजनेस मैन को फायदा पहुंचाने के लिए की गई है. राहुल ने कहा था कि यह डील ऐसे बिजनेसमैन को मिली है, जिसपर पहले से 45000 करोड़ का कर्ज है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राहुल गांधी ने बिजनेस मैन गौतम अडानी पर मोदी का करीबी होने का आरोप लगाया था. राहुल ने कहा था कि अडानी गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं और मोदी ने उन्हें 45 हजार एकड़ जमीन मात्र 1 रुपए पर स्क्वॉयर मीटर में दे दी थी.

पिछले साल हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी राहुल गांधी ने मोदी पर आरोप लगाया था कि यह सरकार गरीबों को दरकिनार कर अमीर लोगों के लिए नीतियां बनाई है. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि एनडीए की सरकार सूट-बूट की सरकार है.

2014 लोकसभा चुनाव के प्रचार के समय राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के खंडवा में एक जनसभा के दौरान कहा था कि अगर बीजेपी की सरकार सत्ता में आती है तो देश कुछ अमीर लोगों को हाथ में चला जाएगा. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, राहुल गांधी ने कहा था कि एक दशक पूर्व एक बिजनेसमैन का टर्नओवर 3 करोड़ रुपए था लेकिन अब उनका टर्नओवर बढ़कर 40 हजार करोड़ हो गया है.

आज देश की जनता तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान है. डीएनए की खबर के मुताबिक, इसी साल जून में राहुल ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार के समय कच्चे तेल की कीमत 140 डॉलर प्रति बैरल थी, इस कारण पूरे विश्व में तेल की कीमतों में तेजी आई थी. लेकिन आज हालात ऐसे नहीं है. फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल है पर सरकार कीमतें कम नहीं कर रही है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि अतिरिक्त पैसे से कुछ बिजनेसमैन की आर्थिक मदद की जा सके.