कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसदीय क्षेत्र अमेठी में जनता से संवाद में व्यस्त हैं. राहुल गांधी को बखूबी अंदाजा है कि आने वाले दिन कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण हैं. तीन राज्यों के चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव की तैयारी कांग्रेस को करनी है. कांग्रेस के सामने नरेंद्र मोदी जैसा चेहरा है, जिसको शिकस्त देना आसान नहीं है. कांग्रेस के पास राहुल गांधी का चेहरा है लेकिन प्रधानमंत्री को चुनाव हराने के लिए पार्टी नई रणनीति अख्तियार कर रही है, जिसके तहत कांग्रेस नए प्रयोग कर रही है. हर चुनाव में इसका टेस्ट भी कर रही है.
राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व का प्रयोग कुछ हद तक कामयाब माना जा रहा है. इस तरह तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले बड़े मैच के लिए प्रयोग किया जा रहा है. कांग्रेस फाइनल मैच जनता के मुद्दे पर लड़ने का मन बना रही है. जिससे पार्टी को हर मुद्दे पर जनता का स्वाभाविक सहयोग मिलता रहे. कांग्रेस के नेताओं को जनता को समझाने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. बल्कि इशारे करने से ही जनता को बात समझ में आ जानी चाहिए.
क्या चाहते हैं राहुल गांधी ?
राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी ऐसे मुद्दे उठाए जिसका जनता से सरोकार होना चाहिए. पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ बैठक में राहुल गांधी ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी के लोग घूम कर ये पता करें कि आखिर जनता क्या चाहती है? किस इलाके में कौन सी समस्या है ? किस वर्ग को क्या पंसद है ? युवा से लेकर महिलाओं तक की बातों से कांग्रेस अपनी बात तलाश करेगी. किस तरह हर वर्ग को जोड़ना है?
कैसे बनेगा रोडमैप ?
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी चाहते हैं कि इस बार जनता कांग्रेस का रोडमैप बनाए. कांग्रेस जनता के बनाए गए रोडमैप पर चलने की कवायद करेगी. इस पर कदम ताल करने की रणनीति कांग्रेस बनाएगी. इस तरह की शुरुआत राहुल गांधी ने 22 सितंबर को की है. जब राहुल गांधी ने अकादमिक लोगों से सिरीफोर्ट स्टेडियम में बातचीत की है. इससे पहले विभिन्न सेलेक्ट ग्रुप के साथ राहुल गांधी बातचीत करते रहे है.
अब कांग्रेस के लोग जगह-जगह जाकर पार्टी के लिए मुद्दों की तलाश करेंगे. जिससे जनता कांग्रेस के साथ कनेक्ट कर सके. कांग्रेस को लग रहा है कि जो मुद्दे फिजा में हैं वो शायद इतने कारगर न हों, मसलन राफेल का मामला है. लेकिन पेट्रोल-डीजल का मामला बड़ा है. महंगाई हमेशा एक मुद्दा रहा है.
स्टूडेंट्स के लिए कांग्रेस की योजना छात्रों के साथ बात करने के बाद ही बनाई जाएगी. कांग्रेस हर वर्ग के रोड मैप तैयार करेगी. जिसके लिए कांग्रेस के नेताओं की मंडली पूरे देश का भ्रमण करने वाली है. जो फीड बैक मिलेगा उसे अमली जामा पहनाया जाएगा.हालांकि ये इतना आसान नहीं है. पूरे देश के मसलों का समावेश करना कठिन कार्य है. लेकिन पार्टी अब कोशिश कर रही है.
कांग्रेस का विजन डॉक्यूमेंट
ये फीडबैक कांग्रेस के मेनिफेस्टो की तरह ही होगा.लेकिन इस रोडमैप का नामकरण शायद चुनाव से पहले होगा. कयास लगाया जा रहा है कि इस तरह के रोडमैप को विजन डाक्यूमेंट का नाम दिया जा सकता है. जिसमें हर वर्ग के लोगों के लिए कांग्रेस की कार्ययोजना का जिक्र हो सकता है. ऐसा नहीं है कि ये रोडमैप सिर्फ किताब में ही रहने वाला है. बल्कि इस डॉक्यूमेंट के आधार पर पार्टी का प्रचार-प्रसार भी डिजाइन किया जाएगा. खासकर पार्टी के स्लोगन, पोस्टर, जिंगल सबका आधार यही रहने वाला है.
पहले से फर्क
कांग्रेस में पहले बड़े नेता ही तय करते थे कि किन मुद्दों पर पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है. इसमें जनता का सरोकार न के बराबर रहता था. हालांकि पार्टी के लोग कहने को किसानों से लेकर व्यापारी वर्ग से बात करते थे. जिसके बाद मुद्दे तय होते रहे हैं. कांग्रेस के बड़े नेता कुछ बैठकों में तय कर लेते थे. लेकिन अब जनता से मुद्दे मांगे जा रहे हैं. जाहिर है कि कांग्रेस समझ रही है कि हालात बदल गए हैं. ये भारतीय राजनीति में कांग्रेस के एकाधिकार का युग नहीं है.
2014 के बाद बदले हालात
2014 से स्थिति बदली है. कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी मजबूत हुई है. बीजेपी ने संसाधनों का इस्तेमाल करना बेहतर सीख लिया है. जिससे कांग्रेस की चुनौती बढ़ गई है. कांग्रेस के सामने बीजेपी ने मैदान मार लिया है. जबकि 2014 में कांग्रेस सत्ता में थी. इस वक्त बीजेपी से पार-पाना आसान नहीं है. देश के ज्यादातर हिस्से में कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई है, जिसका पार्टी को नुकसान हो रहा है. पार्टी का कार्यकर्ता हताश है. जिसमें जनता ही जोश भर सकती है. पार्टी के लोग जनता के पास जाएंगे तो शायद जनता के मुद्दे भी समझेंगे और जनता से कनेक्ट भी बनेगा.
आम आदमी पार्टी के नक्शे कदम पर कांग्रेस
दिल्ली में इस तरह की कवायद आप कर चुकी है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में हर मोहल्ले में जाकर जनता से पूछा कि आखिर उन्हें क्या चाहिए ? जिसको जनता से बेहतर रेसपॉन्स मिला था. लेकिन दिल्ली और देशभर के चुनाव में फर्क है. दिल्ली की जनता को समझाना आसान है. शहरी जनता मुद्दे समझती है. लेकिन ग्रामीण इलाके में अपनी बात समझाना मुश्किल काम है.
हालांकि अगर मुद्दे लोगों से जुड़े हों तो जनता से कनेक्ट करना आसान है. इसलिए हर शहर के मुद्दे तलाश किए जा रहे हैं. कांग्रेस के पास काम बड़ा है. वक्त कम है. समय निकल रहा है. बीजेपी चुनाव की तैयारी जोर-शोर से कर रही है. कांग्रेस अभी मुद्दे समझ रही है.
बदलती कांग्रेस
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बदल रही है. राहुल पार्टी के भीतर बदलाव कर रहे हैं. इसमें ज्यादा जनता की भागीदारी बढ़ रही है. आम कार्यकर्ता की कांग्रेस के फैसले में बात सुनी जा रही है. कांग्रेस की डगर मुश्किल तो है. लेकिन असंभव नहीं है.