कांग्रेस ने इलाहाबाद का नाम बदलने के फैसले का विरोध किया है. कांग्रेस का कहना है कि इलाबाहाद में जहां कुंभ लगता है उस जगह को पहले से प्रयागराज कहा जाता है. और अगर उत्तर प्रदेश सरकार शहर का नाम बदलना के लिए उतनी ही उत्सुक हैं तो इस जगह को अलग शहर बना देना चाहिए लेकिन इलाहाबाद का नाम नहीं बदला जाना चाहिए.
इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहा कि इलाहाबाद का नाम बदलने से इससे जुड़े इतिहास पर भी असर पड़ेगा.
कांग्रेस ने दिए ये तर्क
ओंकार सिंह ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान इलाहाबाद प्रेरणा का एक मुख्य केंद्र रहा था. उन्होंने कहा कि 1888, 1892 और 1910 में कांग्रेस महाधिवेशन यहीं हुआ था. इसी शहर से देश को अपना पहला प्रधानमंत्री मिला. इसके अलावा अगर इलाहाबाद का नाम बदला गया तो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी अपनी पहचान खो देगी.
बीजेपी ने क्या कहा?
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने योगी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए उन्हें बधाई दी है. बीजेपी प्रवक्ता मनोज मिश्रा ने बताया कि ये घोषणा लाखों लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर की गई है. उन्होंने कहा कि 'अकबर की निशानी को मिटाकर पौराणिक नाम देना श्रेयस्कर है.'
सीएम योगी ने किया था ऐलान
दरअसल रविवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का ऐलान किया था. योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में संतों और अन्य गणमान्य लोगों ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने का प्रस्ताव रखा था जिसे सरकार की ओर से पहले ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन करते समय मंजूरी दी जा चुकी है. अब प्रदेश के राज्यपाल ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है. उन्होंने आगे कहा कि यह प्रयास होगा कि जल्द से जल्द इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो जाए.