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वित्तीय संकट से जूझ रही कांग्रेस, 2019 चुनाव में खड़ी हो सकती हैं मुश्किलें

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस फिलहाल वित्तीय संकट का सामना कर रही है, हालात इतने खराब हैं कि अधिकारियों से खर्च कटौती के लिए कहा गया है

FP Staff

कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है. एक तरफ भारत की सबसे पुरानी पार्टी लगातार चुनाव हार रही है, तो दूसरी तरफ इस पार्टी को फंड जुटाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस फिलहाल वित्तीय संकट का सामना कर रही है. पार्टी का इस मोर्चे पर फेल होना 2019 के चुनाव पर असर डाल सकता है और कांग्रेस पीएम मोदी की पार्टी बीजेपी से मुकाबले में कमजोर पड़ सकती है.

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, पिछले पांच महीनों में कांग्रेस नेतृत्व ने विभिन्न राज्यों में अपने कार्यालय चलाने के लिए आवश्यक धनराशि भेजना बंद कर दिया है. संकट से निपटने के लिए कांग्रेस ने सदस्यों से योगदान करने का आग्रह किया है और नेताओं से खर्च में कटौती करने के लिए भी कहा गया है.


राहुल गांधी की अगुआई वाली इस पार्टी में उद्योगपतियों से मिलने वाले पैसों का काफी आभाव हो गया है. इस कारण नकदी की कमी इतनी गंभीर हो गई है कि अपने उम्मीदवारों के लिए पार्टी क्राउड फंड जुटाने के लिए मजबूर हो गई है.

कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पंदना का कहना है कि बीजेपी की तुलना में हमारे पास पैसे ही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी को इलेक्ट्रोरल बॉन्ड (यह बॉन्ड कैश डोनेशन के रूप में पार्टियों को दिया जाने वाला धन है) के माध्यम से फंड नहीं मिल रहा है. ऐसे में कांग्रेस पैसे जुटाने के लिए ऑनलाइन माध्यमों पर जाने को मजबूर हो सकती है.

मार्च 2017 में खत्म हुए वित्त वर्ष में कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले मात्र एक चौथाई धन प्राप्त हुआ. बीजेपी ने 10.34 अरब रुपए की आय की घोषणा की थी जबकि इसी दौरान कांग्रेस को मात्र 2.25 अरब रुपए का फंड प्राप्त हुआ. बीजेपी को पिछले वर्ष के मुकाबले 81 प्रतिशत ज्यादा धन मिला जबकि कांग्रेस के फंड में 14 प्रतिशत की कमी आई.

हालात इतने खराब हो गए हैं कि इस साल के शुरुआत में हुए चुनाव में प्रचार करने जाने के लिए एक पार्टी नेता इंतजार करते रह गए लेकिन फंड की कमी के कारण उनका फ्लाइट टिकट नहीं मिल पाया. त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में पार्टी का अभियान बीजेपी के सामने कुछ भी नहीं था. एक अधिकारी ने बताया कि इन राज्यों में सत्ता हासिल नहीं कर पाने के पीछे ये सब कारण भी हो सकते हैं.