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बिहार में कांग्रेस को अध्यक्ष पद के लिए पर्सन नहीं पर्सनैलिटी चाहिए

लालू यादव को गुड फेथ में लेकर ही राहुल इस बारे में निर्णय लेंगे. परंतु ऐसा कदापि नहीं है कि आरजेडी चीफ द्वारा प्रस्तावित चेहरे को वो अध्यक्ष बनाएंगे

Kanhaiya Bhelari

कांग्रेस आलाकमान को राज्यों में अध्यक्ष पद के लिए पर्सन नहीं पर्सनैलिटी की दरकार है. इसी ‘सिद्धांत’ के तहत झारखंड में सारे पुराने कांग्रेसियों को दरकिनार कर के अपने समय के जांबाज पुलिस अफसर रहे डॉ. अजय कुमार को संगठन की बागडोर सौंपी गई है.

पड़ोसी राज्य बिहार में भी पर्सनालिटी की खोज लगभग पूरी हो गई है. अंदरखाने तक पहुंच रखने वाले इशारा दे रहे हैं कि राहुल गांधी बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) अध्यक्ष पद पर कौन विराजमान होगा इसका फैसला कभी भी कर सकते हैं. वैसे ज्यादा उम्मीद है कि गुजरात चुनाव के बाद ही इसका निर्णय होगा. फुसफुसाहट है कि वह चेहरा आॅफबीट और फ्रेश होगा जो दुश्मन के खेमे में खलबली पैदा कर दे और मूर्छित कांग्रेस में जान फूंकने का काम करे.


पर्सनैलिटी की खोज करने की जिम्मेवारी ऐसे लोगों को सौंपी गई थी जो कांग्रेस उपाध्यक्ष के इनर सर्किल में हैं. उसी खोजी दस्ते में से एक ने बताया कि अगर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव कड़ा विरोध नहीं करते हैं तो फायर ब्रांड सांसद और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की सचिव रंजीता रंजन की ताजपोशी हो सकती है.

रंजीता रंजन बिहार कांग्रेस को कोमा से बाहर निकाल सकती हैं

पछले 27 साल से मरणासन्न स्थिति से गुजर रही बिहार कांग्रेस को सेहतमंद बनाने के लिए आला कमान व्याकुल है. नेतृत्व के पास जानकारी है कि 43 वर्षीय जुझारू रंजीता रंजन पार्टी को कोमा से बाहर निकाल सकती हैं. अगर वो नामित होती हैं तो उनके मधेपुरा से सांसद पति पप्पू यादव भी देर-सबेर पार्टी में इंट्री मार सकते हैं. खबर है कि एनडीए से उनका मोह भंग हो रहा है. अपनी करतूतों वाली पुरानी छवि को उतार कर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव अपने नए अवतार में जनता के बीच सराहनीय कार्य कर रहे हैं.

पति-पत्नी रंजीता रंजन और पप्पू यादव दोनों लोकसभा के सांसद हैं

रंजीता रंजन ने कई मौकों पर यह साबित किया है कि वो लड़ाकू महिला हैं. संसद के अंदर और बाहर अपनी पाॅजीटिव पर्फामेंस और इमानदार छवि की बदौलत जनता के दिल-दिमाग में एक नो-नॉनसेंस लीडर के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं. कहते हैं कि नेतृत्व पूरी तरह से यह मान चुका है कि पार्टी और नेतृत्व के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रंजीता पर्सनालिटी की ब्रैकेट में अपनी जगह बना ली है. युवा वर्ग में भी इनकी पकड़ है. उनके नाम को लेकर पार्टी के भीतर कोई विरोध भी नहीं है.

हांलांकि राज्य की राजनीति में लालू यादव की ऑक्सीजन पर सांसें ले रही कांग्रेस यह साहसिक कदम उठाने का साहस करेगी इसमें संदेह है. आरजेडी अध्यक्ष कभी नहीं चाहेंगे कि यादव समाज का कोई व्यक्ति, और वह भी रंजीता रंजन जैसी ताकतवर और हर वर्ग के लिए स्वीकार्य महिला, कांग्रेस की प्रदेश की कमान संभाले. वो समझते हैं कि अगर ऐसा होगा तो आरजेडी की बेस वोट यादव में सेंधमारी का खतरा बना रहेगा.

राजनीति के स्वघोषित डॉक्टर लालू यादव चाहेंगे की देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी बिहार में रोगी ही बनी रहे ताकि बेटे तेजस्वी यादव को वर्ष 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में घटक दल की ओर से कोई चुनौती न मिल सके. आरजेडी की राष्ट्रीय परिषद ने 21 नवंबर को सर्वसम्मति से घोषणा कर दी है कि अगले चुनाव में तेजस्वी यादव सीएम कैंडीडेट होंगे. बहरहाल, गुजरात चुनाव का नतीजा अगर कांग्रेस के पक्ष में जाता है तो लालू यादव रंजीता का विरोध नहीं कर सकेंगे. ऐसा आकलन है.

कांग्रेस आलाकमान ने सितंबर में अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया था

बेगूसराय की विधायक अमीता भूषण के नाम की भी भनक 

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए शार्ट लिस्ट उम्मीदवार के रूप में बेगूसराय की विधायक अमीता भूषण के नाम की भी भनक मिल रही है. भूमिहार जाति से आने वाली 47 साल की अमीता भूषण ने साइकॉलजी में एमए और फैशन डिजाइनर का कोर्स कर रखा है. युवाओं के बीच वो काफी पॉपुलर हैं. नेतृत्व द्वारा तय की गई मानक में भी वो पूरी तरह फिट बैठती हैं.

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मृदुभाषी, डाइनेमिक और मिलनसार स्वभाव के व्यक्तित्व वाली इस कट्टर कांग्रेसी महिला को स्वीकार करने में लालू यादव को कोई दिक्कत नहीं होगी. उनकी तरफ से भी इसे हरी झंडी मिल सकता है.

इन दोनों के अलावा शकील अहमद भी अध्यक्ष पद की इस रेस में शामिल हैं. वैसे लालू यादव दिल से चाहते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह बीपीसीसी चीफ बनें. क्योंकि वो हमेशा उनके 'यस मैन' बने रहेंगे. लेकिन राहुल गांधी ने इनके बायो डाटा को तय सिद्धांत के अनुकूल नहीं पाया है.

राहुल लालू यादव को गुड फेथ में लेकर ही इस बारे में निर्णय लेंगे. परंतु ऐसा कदापि नहीं है कि आरजेडी चीफ द्वारा प्रस्तावित चेहरे को वो अध्यक्ष बनाएंगे.

अगर गुजरात चुनाव को कांग्रेस फतह करने में कामयाब नहीं होती है तो बीपीसीसी चीफ की कुर्सी पर लालू यादव के पॉकेट का ही कोई कांग्रेसी विराजमान होगा. यकीनन वह शख्स अगड़ी जाति का होगा ताकि चुनाव में एनडीए को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कमजोर करने में सहायक हो. किसी भी कीमत पर लालू नहीं चाहेंगे कि एमवाय यानी मुस्लिम और यादव वर्ग से ताल्लुक रखने वाला व्यक्ति बिहार कांग्रेस का हेड बने.

बिहार में कांग्रेस लंबे समय से लालू यादव की पार्टी आरजेडी पर निर्भर है (फोटो: फेसबुक से साभार)

पुराने लीडर बीपीसीसी चीफ की कुर्सी पर गिद्ध नजरें गड़ाए हुए हैं

बहरहाल, तथाकथित तय फॉर्मूला से इतर प्रोफाइल रहने के बावजूद भी कांग्रेस के कुछ पुराने लीडर बीपीसीसी चीफ की कुर्सी पर गिद्ध नजरें गड़ाए हुए हैं. इनमें से कुछ तो पैदाइशी कांग्रेसी हैं जिनको विश्वास है कि उनकी निष्ठा को इस बार नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.

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ऐसे नेताओं में पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, विधायक अवधेश कुमार सिंह, रामदेव राय और पूर्व मंत्री धीरज कुमार सिंह का नाम अगली कतार में है. रामदेव राय 1984 के लोकसभा चुनाव में कर्पूरी ठाकुर को हराकर जायंट किलर बने थे. अभी बेगूसराय जिला के बछवाड़ा से छठी बार विधायक हैं. इनके समर्थक भी बातों ही बातों में डींग हांकते हैं कि ‘हमारे नेता बचपन से पंजा छाप झोला कंधे पर लेकर ढो रहे है. इस बार उम्मीद है कि हाड़ मे हरदी लग जाएगी.’