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विलफुल डिफॉल्टर्स का नाम न बताने पर RBI गवर्नर को CIC का कारण बताओ नोटिस

सीआईसी ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक से फंसे हुए कर्ज पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का पत्र सार्वजनिक करने के लिए भी कहा है

Bhasha

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने जानबूझकर बैंक लोन नहीं चुकाने वालों की सूची का खुलासा करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ‘अनुपालना नहीं’ करने के लिए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

सीआईसी ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से फंसे हुए कर्ज पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का पत्र सार्वजनिक करने के लिए भी कहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने 50 करोड़ रूपए और उससे अधिक का ऋण लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम जारी करने का आदेश दिया था. लेकिन इसके बावजूद आरबीआई ने इस संबंध में सूचना उपलब्ध नहीं कराई.

इससे नाराज सीआईसी ने पटेल से बताने के लिए कहा है कि फैसले की ‘अनुपालना नहीं करने’ को लेकर उन पर क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें उन्होंने जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने को कहा था.

RBI की वेबसाइट और गवर्नर के कथन में फर्क:

सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग का मानना है कि आरटीआई नीति को लेकर आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर के कथन और आरबीआई की वेबसाइट के कथन में कोई मेल नहीं है. जयंती लाल मामले में सीआईसी के आदेश की सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुष्टि किए जाने के बावजूद सतर्कता रिपोर्टों और निरीक्षण रिपोर्टों में अत्यधिक गोपनीयता रखी जा रही है.’

उन्होंने कहा कि इस अवज्ञा के लिए सीपीआईओ को सजा देने से कुछ नहीं होगा. क्योंकि उन्होंने वही किया जो उनके सीनियरों ने उन्हें करने के लिए कहा. आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग गवर्नर को डीम्ड पीआईओ मानता है. खुलासा नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट एवं सीआईसी के आदेशों को नहीं मानने के लिए वही जिम्मेदार हैं. आयोग उन्हें 16 नवम्बर 2018 से पहले इसका कारण बताने का निर्देश देता है कि इन कारणों के लिए उनके खिलाफ क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए.’