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चिदंबरम पर कार्रवाई: कांग्रेस के लिए विश्वास का संकट और बढ़ेगा

भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज

Sanjay Singh

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति से जुड़े 16 ठिकानों पर सीबीआई के छापे से स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कद और पहुंच की परवाह किए बिना भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है.

इस कार्रवाई का उन लोगों के दिलोदिमाग पर बहुत गहरा असर पड़ने वाला है जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और जांच चल रही है. मंगलवार को चेन्नई और अन्य ठिकानों पर छापे से स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई अछूता नहीं बचेगा.


सामान्य स्थितियों में ये किसी ने नहीं सोचा होगा कि सीबीआई अहले सुबह एक ऐसे व्यक्ति को निशाना बनाएगी जो कांग्रेस पार्टी का वरिष्ठ नेता ही नहीं राज्यसभा सांसद है, नामी वकील है और जिसने 2014 से पहले दस वर्षों तक देश के गृह और वित्त मंत्रालय का दायित्व संभाला है. जांच एजेंसियां बिना पुख्ता सबूत के ये कदम नहीं उठा सकती.

(रॉयटर्स)

एक पहलू ये भी है कि चाहे सीबीआई और सरकार जितना भी कहे कि कानून अपना काम कर रहा है, चिदंबरम के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई बिना राजनीतिक नेतृत्व की सहमति से संभव नहीं है.

राजनीतिक नेतृत्व ने पूर्व वित्त मंत्री के खिलाफ दस्तावेजों की जांच भी की होगी. मोदी सरकार आधे-अधूरे सबूतों के आधार पर किसी पूर्व वित्त मंत्री के कई ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की अनुमति नहीं दे सकती. ऐसा तभी हो सकता है जब कोई राजनीतिक द्वेश हो पर ऐसा लगता नहीं है.

दूसरी ओर चिदंबरम लंबे समय से आरोप लगाते रहे हैं कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. उनकी पार्टी कांग्रेस भी मोदी सरकार पर दूसरे दलों के नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाती रही है. इसमें कांग्रेस का वरिष्ठ नेतृत्व भी शामिल है.

अभी नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मामला चल रहा है और दोनों को जमानत मिली हुई है. गांधी परिवार से जुड़े रॉबर्ड वाड्रा के जमीन कारोबार पर भी जांच एजेंसियों की नजर है.

लेकिन कांग्रेस का ये आरोप किसी के गले नहीं उतर रहा है कि नेशनल हेराल्ड और रॉबर्ट वाड्रा के मामले में फंसाने की साजिश रची जा रही है. इन मामलों से जुड़े सबूत इतने ज्यादा हैं कि उसके किसी एक हिस्से पर नजर डालने वाला भी ये नहीं मानेगा कि नेहरू-गांधी परिवार पूरी तरह निर्दोष है.

चिदंबरम की मुश्किलें तो गांधी परिवार से कहीं ज्यादा है. उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं वो एनडीए सरकार की देन नहीं हैं. वो और उनका बेटे पर एयरसेल-मैक्सिस डील, आईएऩएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी और दूसरे मामले हैं जिसका संबंध पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय से है. अब ये कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि गृह और वित्त मंत्रालय के मुखिया के खिलाफ तब जांच होती तो किस दिशा में जाती.

चिदंबरम के ठिकानों पर सीबीआई का छापा ऐसे समय में पड़ा है जब पूरी लड़ाई उन्हें खुद लड़नी पड़ेगी. कांग्रेस नेतृत्व भी उनका साथ नहीं देगा. पूरी पार्टी अभी सोनिया और राहुल को बचाने में लगी है. नेशनल हेराल्ड केस में गंधी परिवार पर न सिर्फ जनता के पैसे के दुरूपयोग के आरोप लगे हैं बल्कि अखबार से जुड़ी 2000 करोड़ की संपत्तियां हड़पने के आरोप भी लगे हैं और हाल ही में हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को इसकी जांच की अनुमति दे दी है.

अभी तक ये पता नहीं चला है कि सीबीआई को चिदंबरम और कार्ति के घर पर छापे में क्या मिला. सीबीआई शायद इसे सार्वजनिक न भी करे. ये इस पर निर्भर करता है कि सीबीआई कितनी सूचना बाहर देना चाहती है. लेकिन चिदंबरम को इसाक आभास जरूर हो गया होगा क्योंकि छापे से पहले केंद्रीय एजेंसियां उनके और बेटे कार्तिक से जुड़ी कंपनियों को कई नोटिस भेज चुकी थी.

पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान जारी किया था, “एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशकों और कार्ति चिदंबरम को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जो इन लेन-देन में मुख्य लाभुक लग रहे हैं.”

ये नोटिस विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन एक्ट (फेमा) का उल्लंघन कर 45 करोड़ रूपए के लेन-देन के लिए था. एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड एयरसेल-मैक्सिस डील में हवाला कारोबार के लिए प्रवर्तन निदेशालय की नजर में है. इसी तरह का नोटिस चेन्नई स्थित वासन हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड को भी भेजा गया है. इस केस में 2262 करोड़ रूपए की हेराफरी हुई.

ये भी रोचक है कि कांग्रेस का कोई नेता टेलीविजन पर चिदंबरम का बचाव करता नहीं दिखा है. हालांकि समाजवादी पार्टी उनके समर्थन में उतरी है. सुबह जबसे छापेमारी शुरू हुई तब से सपा चिदंबरम का बचाव करती नजर आई.

शायद सपा को अपने नेताओं की चिंता ज्यादा है. यही हाल और पार्टियों का भी है. लालू यादव और उनका परिवार इसकी जद में है. बिहार में डिप्टी सीएम और लालू के बेटे तेजस्वी यादव, दूसरे बेटे तेज प्रताप और बेटी मीसा भारती पर फर्जी कंपनियां बनाने, जमीन हड़पने और अवैध लेन-देन के आरोप लग रहे हैं.

मायावती का भी वही हाल है. पार्टी से निकाले गए नसीमुद्दीन सिद्दिकी से पैसे लेने के आरोप को वो ठुकरा नहीं सकी हैं. सिद्दिकी के टेप की जांच भी हो सकती है. ममता बनर्जी शारदा और नारदा के चक्कर में फंसी हैं. उधर कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल की बोलती बंद कर दी है.

कांग्रेस और इसके संभावित यूपीए-3 सहयोगियों के खिलाफ लगातार आरोप लग रहे हैं. ये ऐसे समय में हो रहा है जब सोनिया गांधी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्षी एकता की कोशिश कर रही हैं. पर, मौजूदा परिस्थितियों में विपक्षी एकता और सझा राष्ट्रपति उम्मीदवार की क्या विश्वसनीयता होगी कहना मुश्किल है.

इन सबके बीच बीजेपी मोदी सरकार के तीन साल पूरा होने का जश्न मनाने की तैयारियों में जुटी है. बीजेपी 'भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई' को जोर शोर से पेश करेगी. तीन साल पहले लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी चुटकी लेते हुए चिदंबरम को कहानीकार मंत्री बताते थे. हो सकता है अब बीजेपी शायद उनका नया नामकरण कर दे.