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छत्तीसगढ़ः फूड पार्क के लिए रामदेव को जमीन नहीं देना चाहते हैं किसान

किसान कुंज लाल साहू का कहना है कि अगर उनके पास जमीन रहेगी तो वह जीने-खाने का इंतजाम कर लेंगे. बिना जमीन वह कुछ नहीं कर पाएंगे

FP Staff

भला किसान अपनी जमीन कैसे इतनी आसानी से छोड़ सकता है. छत्तीसगढ़ के किसान बाबा रामदेव को जमीन नहीं देना चाहते हैं. वहां रामदेव की कंपनी पतंजलि फूड पार्क बनाने की पहल कर चुकी है. इसमें अन्य कंपनियां भी साझेदार है. लेकिन किसान उन्हें अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं.

राजनंदगांव जिले के 66 किसानों ने जमीन देने से इंकार कर दिया है. सरकार की ओर से इस गांव में फूड पार्क के लिए जमीन अधिगृहित किए जा रहे हैं. किसानों ने अगर उनकी जमीन चली जाती है तो उनके जीवन यापन का साधन उनके हाथ से निकल जाएगा.


हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूर विजेटला गांव में जमीन खरीदी जा रही है. सरकार प्रति एकड़ 10 लाख रुपए दे रही है. यह यहां की जमीन के बाजार भाव से चार गुणा अधिक है.

फूड पार्क के निर्माण में 762 करोड़ रुपए होने हैं खर्च 

छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते साल तीन कंपनियों से करार किया था. इसके तहत लगभग 762 करोड़ रुपए के अनुमानित खर्च पर पतंजलि सहित अन्य दो कंपनियों संग एमओयू किया गया था.

सरकार का कहना है कि पतंजलि एक हर्बल और कृषि प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने जा रही है. इसके लिए वह 671 करोड़ रुपए का निवेश करने का वादा किया है. सरकार का ये भी कहना है कि इस फूड पार्क से लगभग दो लाख किसानों को लाभ होगा.

यहां 1000 से अधिक किसान अपनी जमीन देने को पहले ही तैयार हो गए हैं. वहीं कुछ किसान इसके लिए तैयार नहीं है. धनराज नामक किसान 2.5 एकड़ के मालिक हैं. उनका कहना है कि अगर उनकी जमीन चली जाती है तो वह बेरोजगार हो जाएंगे.

कम जमीन वाले किसान कर रहे हैं विरोध 

वहीं कुंज लाल साहू का कहना है कि अगर उनके पास जमीन रहेगी तो वह जीने-खाने का इंतजाम कर लेंगे. बिना जमीन वह कुछ नहीं कर पाएंगे. कुंजलाल के परिवार में सात सदस्य हैं.

विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि जिस वक्त इस परियोजना की घोषणा सरकार ने की, वह उसी समय से विरोध कर रहे हैं. सरकारी हस्तक्षेप के बाद कुछ किसान तैयार हुए. ये वैसे किसान हैं जिनके पास अधिक जमीन हैं, उन्हें एक साथ बहुत मोटा पैसा मिल जा रहा है.

सरकारी अधिकारी भी इस बात सहमत हैं. इलाके के एसडीएम अतुल विश्वकर्मा का कहना है कि जिनके पास अधिक जमीन हैं, वही किसान इसके लिए तैयार हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों से अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. अगर किसान नहीं मानेंगे तो वह सरकार को इसकी रिपोर्ट सौंप देंगे.

वहीं पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिराजारावाला ने कहा कि उनका उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना है. सरकार जमीन अधिग्रहित कर रही है. वह चाहेंगे कि किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले.