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MISA बंदी स्वतंत्रता सेनानी नहीं, जो उन्हें पेंशन मिलनी चाहिए: CM बघेल

छत्तीसगढ़ सरकार ने मध्य प्रदेश की ही तरह राज्य के 300 मीसा बदियों की पेंशन पर फरवरी से रोक लगाने का निर्देश जारी किया था

FP Staff

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीसा बंदियों की पेंशन (सम्मान निधि) को लेकर बड़ा बयान दिया है. मंगलवार को उन्होंने कहा कि मीसा बंदी स्वतंत्रता सेनानी नहीं हैं जो उन्हें पेंशन मिलनी चाहिए.

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश की ही तरह प्रदेश के मीसा बदियों की पेंशन पर रोक लगा दी थी. भूपेश बघेल सरकार ने फरवरी महीने से 300 मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंशन नहीं देने का फैसला लिया था. इस संबंध में सरकार की ओर से जिला कोषालय अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वो बैंकों को ताकीद करें कि फरवरी से उन्हें (मीसा बंदियों) इसका भुगतान न किया जाए.

सरकार के इस फैसले का बीजेपी ने विरोध किया है. हालांकि सियासी विरोध के बाद भूपेश बघेल सरकार ने मीसा बंदियों को दी जाने वाली पेंशन की फिर से समीक्षा करने के निर्देश दिए थे.

आपातकाल के दौरान देश भर में लोगों ने मीसा कानून का विरोध करते हुए गिरफ्तारी दी थी और कई महीनों तक वो जेल में रहे थे

क्या है MISA?

जून 1975 में आपातकाल (Emergency) के दौरान देश के अन्य हिस्सों के तरह अविभाजित मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोग मीसा (MISA) के तहत गिरफ्तार किए गए थे. इनमें से कई लोग लगभग 19 माह तक जेलों में रहे. इस दौरान एक बड़ा वर्ग (उपलब्ध जानकारी के अनुसार 70 प्रतिशत) वो था जो माफी मांगकर जेल से बाहर आ गया था.

छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने आपातकाल में जेल गए मीसा बंदियों को लोकतंत्र सेनानी बताते हुए उन्हें सम्मान निधि देने का नोटिफिकेशन (अधिसूचना) जारी किया था. इस आधार पर उन्हें जुलाई, 2008 से सम्मान निधि दी जाने लगी. शुरुआत में एक से छह महीने तक जेल में रहने वालों को 3000 रुपए मासिक और छह माह से ज्यादा समय जेल में रहने वालों को 6000 रुपए मासिक देने का प्रावधान किया गया.

बाद में रमन सिंह के तीसरे कार्यकाल (2013-2018) में पेंशन राशि को बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रति महीने कर दिया गया था.