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छत्तीसगढ़ में बन रहा है नया राजनीतिक समीकरण, माया से हाथ मिलाएंगे जोगी

छत्तीसगढ़ में नई राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारी चल रही है. इसके मुख्य सूत्रधार बन रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी.

Syed Mojiz Imam

छत्तीसगढ़ में नई राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारी चल रही है. इसके मुख्य सूत्रधार बन रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी. जोगी राज्य में तीसरे विकल्प के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिरी में चुनाव है. बीजेपी को हराने के लिए बनते बिगड़ते फार्मूले में अजित जोगी नया राजनीतिक गणित बैठा रहे हैं.

अजित जोगी ने बीएसपी की अध्यक्ष मायावती से मुलाकात की है. जिसमें 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव को लेकर चर्चा हुई है. हालांकि गठबंधन पर अभी औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित हैं. अजित जोगी को लग रहा है कि बीएसपी के साथ जाने से कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उनकी पार्टी खड़ी हो सकती है. हालांकि मायावती ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.


मायावती कांग्रेस से भी बातचीत कर रही हैं, जिसका नतीजा आना बाकी है. क्योंकि मायावती राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में पार्टी की बिसात बिछाने में लगी हैं. इन तीनों राज्यों में बीएसपी अभी अपनी जोर आजमाइश में लगी है. लेकिन फिलहाल छ्त्तीसगढ़ में कांग्रेस गठबंधन के मूड में दिखाई नहीं दे रही है.

बीएसपी, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और जीजेपी गठबंधन का प्रस्ताव

राज्य में चुनाव से पहले एक बड़े गठबंधन का प्रस्ताव मायावती के सामने अजित जोगी ने रखा है. जिसमें राज्य के और छोटे दलों को साथ लेकर गैरबीजेपी, गैरकांग्रेस का विकल्प रखा जाए. इसे लेकर बातचीत जल्दी शुरू हो जाएगी. मायावती भी कांग्रेस के अलावा और दलों के साथ बातचीत कर रही हैं, जिससे ऐन मौके पर किसी भी तरह की दिक्कत से बचा जा सके. मायावती को लग रहा है कि कांग्रेस के साथ जाने में उनके हिस्से में कम सीटें आएंगी. इससे पार्टी का नुकसान हो सकता है. इसको लेकर पार्टी के भीतर मंथन चल रहा है.

अजित जोगी सोच रहे हैं कि एक बड़ा गठबंधन तैयार करके कांग्रेस के विकल्प के तौर पर अपने आप को पेश करें. जिसको लेकर ये कवायद चल रही है. जहां तक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का सवाल है. इसके अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम तमखार से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राम दयाल उड़के इससे चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इसलिए कांग्रेस के साथ बीजेपी का गठबंधन नहीं हो पा रहा है. जीजेपी की उपस्थिति लगभग हर विधानसभा में है. हर विधानसभा में उनके पास दो से तीन हजार वोट हैं. ये वोट जिता तो नहीं सकते लेकिन हार का कारण बन सकते हैं. कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अकेले चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन गठबंधन का विकल्प अभी खुला है.

मायावती और जोगी की दबाव की राजनीति

कांग्रेस को दबाव में लेने के लिए मायावती की पैंतरेबाजी भी है क्योंकि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बीएसपी के साथ जाने में चुपचाप है तो मध्य प्रदेश, राजस्थान में बीएसपी के साथ गठबंधन करना चाहती है. मायावती चाहती हैं कि छत्तीसगढ़ पर भी कांग्रेस बातचीत करे लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. बताया जा रहा है कि मायावती कांग्रेस के इंचार्ज पीएल पुनिया से नहीं मिलना चाहती हैं. कांग्रेस के आलाकमान की तरफ से अभी कोई पेशकश नहीं हुई है.

कांग्रेस-बीएसपी का मामला बन सकता है अगर कांग्रेस अध्यक्ष किसी और नेता को इस काम में लगाए. हो सकता है कि चुनाव नजदीक आने पर कांग्रेस या सोनिया की टीम से मायावती से बातचीत करने के लिए जाए, लेकिन ये कहना अभी जल्दबाजी होगी. वहीं अजित जोगी कांग्रेस से अलग होने के बाद भी कांग्रेस से मोहभंग नहीं कर पा रहे हैं. अजित जोगी समझ रहे हैं कि इस दबाव में कांग्रेस आ सकती है.उनकी पार्टी और कांग्रेस के साथ मायावती के ज़रिए गठबंधन हो सकता है.हालांकि कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अजित जोगी के साथ किसी भी तरह से तालमेल नहीं हो सकता है.राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं है.कर्नाटक की सरकार इसका उदाहरण है.

मायावती और अजित जोगी के रिश्ते

अजित जोगी और कांशीराम से काफी अच्छे संबध रहे हैं. कांशीराम जब हुमांयू रोड पर रहते थे तब अजित जोगी भी वहीं रहा करते थे. तब से दोनों के रिश्ते हैं. कांशीराम जहां दलित समुदाय के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे थे. वहीं अजित जोगी अनुसूचित जनजाति के कांग्रेस में बड़े नेता थे. जाहिर है कि राजनीतिक मजबूरियां दोनों को एक साथ खीच कर साथ खड़ा करने की कोशिश कर रहीं हैं.लेकिन मायावती सिर्फ रिश्ते के बुनियाद पर अजित जोगी के साथ तालमेल के लिए हामी भरेगी इसकी संभावना कम है.मायावती को राजनीतिक फायदा होगा तभी वो गठबंधन के लिए तैयार हो सकती हैं.

बीजेपी को होगा फायदा

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के रमन सिंह की सरकार 15 साल से चल रही है.जिसको हटाने के लिए कांग्रेस नाकाम रही है. खुद अजित जोगी जब कांग्रेस में थे तब भी रमन सिंह चुनाव जीत रहे थे. लेकिन इस बार बीजेपी के पक्ष में माहौल पहले जैसा नहीं है लेकिन कांग्रेस बीजेपी की सीधी टक्कर की जगह तीसरा विकल्प तैयार होता है तो बीजेपी को फायदा होगा. क्योंकि बीजेपी के खिलाफ जा रहा वोट कई हिस्सों में बंट सकता है. जिससे रमन सिंह चौथी बार सत्ता में वापसी कर सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में बीएसपी और अजित जोगी की ताकत

छत्तीसगढ़ में बीएसपी की ताकत ज्यादा नहीं है. 2003 के चुनाव में दो सीटें मिली थीं फिर 2008 के चुनाव में दो सीट पर जीत मिली, लेकिन 2013 में ये घटकर एक हो गई है. पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए बीएसपी कोशिश कर रही है. बूथ लेवल तक कमेटी बनाई जा रही है. बीएसपी जांजगीर चांपा, बस्तर और रायगढ़ में मजबूत है.

वहीं अजित जोगी की पार्टी 2016 में बनी है. इसके लिए ये पहला चुनाव है. जो ताकत इस पार्टी की है वो सिर्फ अजित जोगी की वजह से ही है. अजित जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर तीन साल काम कर चुके है लेकिन सत्ता वापसी करने में नाकाम रहे हैं. कई विवाद में भी उनका और परिवार का नाम आ चुका है. उनके बेटे अमित जोगी की सदस्यता रद्द करने के लिए कांग्रेस ने स्पीकर को औपचारिक पत्र भी दिया है.