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मुख्यमंत्रियों के धरनों में पीएम पद की दावेदारी की होड़ भी दिख रही है

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नायडू का दिल्ली पहुंचना इत्तेफाक नहीं है. मोदी एक दिन पहले नायडू के घर में जाकर उन्हें ललकारते हैं तो अगले ही दिन नायडू दिल्ली में मोदी की सरकार के सामने धरना देने दिल्ली पहुंच जाते हैं.

Amitesh

दिल्ली के आंध्रभवन में सुबह से ही विपक्षी दलों का जमावड़ा लगा था. मोदी हटाओ के नारे लगा रहे अपने समर्थकों की मौजूदगी में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मौके पर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला बोला. नायडू ने कहा, ‘अगर आप हमारी मांगें नहीं मानेंगे तो हमें मनवाना आता है. यह आंध्र प्रदेश के लोगों के स्वाभिमान का मामला है. जब भी वे हमारे स्वाभिमान पर हमला करेंगे हम उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैं यह सरकार खासतौर पर पीएम को चेतावनी दे रहा हूं कि वो पर्सनल अटैक बंद करें. ’

दरअसल इससे पहले रविवार को पीएम मोदी ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में रैली के दौरान चंद्र बाबू नायडू को निशाने पर लेते हुए कहा था, 'आप सीनियर हैं दल बदलने में. आप सीनियर हैं नए-नए दलों से गठबंधन करने में. आप सीनियर हैं अपने खुद के ससुर के पीठ में छुरा भोंकने में. आप सीनियर हैं एक चुनाव के बाद दूसरा चुनाव कराने में.' नायडू को यह बात चुभ गई थी लिहाजा दिल्ली में आंध्र भवन में उन्होंने प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया.


दरअसल चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने और राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत केंद्र के किए गए वादों को पूरा करने की मांग को लेकर यह भूख हड़ताल कर रहे थे. चंद्रबाबू नायडू की एक दिन की भूख हड़ताल थी, जिसमें वे दिल्ली पहुंचकर अपनी आवाज बुलंद करने की कोशिश में थे.

लेकिन, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नायडू का दिल्ली पहुंचना इत्तेफाक नहीं है. मोदी एक दिन पहले नायडू के घर में जाकर उन्हें ललकारते हैं तो अगले ही दिन नायडू दिल्ली में मोदी की सरकार के सामने धरना देने दिल्ली पहुंच जाते हैं. किसी राज्य के मुख्यमंत्री की तरफ से प्रधानमंत्री और केंद्र की सरकार के खिलाफ धरना देना अपनी राजनीति चमकाने और दिल्ली की सियासत में अपने-आप को और मजबूत करने की कोशिश दिखा रहा है.

नायडू के इस धरने में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, शरद यादव से लेकर मुलायम सिंह यादव तक पहुंचे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस धरने में पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली. विपक्षी दलों के सभी नेताओं के निशाने पर थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरोप था लोकतंत्र और संविधान की हत्या का.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘मैं आंध्र प्रदेश के लोगों के साथ खड़ा हूं. ये किस तरह के प्रधानमंत्री हैं? वे आंध्र प्रदेश के लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं करते.’

चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे के नाम पर ही एनडीए से अलग हो चुके हैं. एनडीए छोड़ने के बाद लगातार देश भर में घूम-घूम कर विपक्षी दलों को मोदी के खिलाफ एक करने में लगे हैं. अब दिल्ली में फिर से विशेष राज्य के दर्जे की मांग के बहाने उनकी कोशिश राज्य में अपने पॉजिशन को मजबूत करने की है.

वे राज्य की जनता को दिखाने में लगे हैं कि उनके लिए वो प्रदेश से लेकर दिल्ली तक संघर्ष करने में लगे हैं. अपने मंच पर राहुल-केजरीवाल से लेकर मनमोहन-मुलायम तक सभी नेताओं को जुटाकर नायडू अपने कद को बड़ा करने की कवायद में भी हैं.

लेकिन, वे अकेले ऐसे मुख्यमंत्री नहीं हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से भी कुछ वैसी ही कोशिश हो रही है. 3 फरवरी को अपनी ही राज्य की राजधानी में कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का धरना सियासी फायदा उठाने की कवायद का हिस्सा लग रहा था. शारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई की कोलकाता के पुलिस कमिश्नर से पूछताछ की कोशिश को ममता बनर्जी ने केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से संविधान और लोकतंत्र को खत्म करने की कवायद बताकर हंगामा किया गया.

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद शिलांग में पूछताछ की इजाजत दे भी दी गई है. लेकिन, एक मौजूदा मुख्यमंत्री का अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना देना और उस धरने में विपक्षी दलों के नेताओं का जमावड़ा लगाना यह दिखाता है कि कैसे सभी नेता मुख्यमंत्री पद पर बने रहते केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठकर अपनी सियासत चमकाने की कोशिश में हैं.

लेकिन, बात केवल चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी की नहीं. अब इस कवायद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कूद पड़े हैं. मुख्यमंत्री रहते हुए धरने पर बैठने की शुरुआत करने वाले केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने पर होंगे. 13 फरवरी को हो रहे धरने में इस बार भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल धरने की अगुआई करेंगे और उनके निशाने पर होंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. इस दिन भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के अलावा विपक्षी दलों के सभी नेताओं का जमावड़ा जंतर-मंतर पर होगा.

अब देखना है कि बाजी कौन मारता है. लेकिन, मौजूदा मुख्यमंत्रियों का अपने मंच पर विपक्षी नेताओं का जमावडा लगाना अपने कद को बढ़ाने की कोशिश नजर आ रही है.