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कैसे मिलेगा वर्णिका को इंसाफ?: दबाव में जब पुलिस करे आरोपियों के सामने ‘सरेंडर’

हरियाणा सरकार सुभाष बराला के साथ खड़ी है और पिता बेटे विकास के साथ. रसूख की वजह से पुलिस भी विकास के साथ खड़ी दिख रही है.

Kinshuk Praval

चंडीगढ़ में युवती के अपहरण की कोशिश को छेड़छाड़ का मामला बता कर जमानत देने वाली हरियाणा पुलिस पर कोई दबाव नहीं है. अब नैतिक आधार पर इस्तीफे का दबाव हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला के ऊपर भी नहीं है. हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि सुभाष बराला का इस मामले से लेना देना नहीं है. सीएम मनोहर खट्टर ने कहा कि बेटे की करतूत की वजह से पिता को दंडित नहीं किया जा सकता है.

तस्वीर साफ है कि इस मामले में हरियाणा सरकार बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला के साथ खड़ी है. पिता सुभाष बराला अपने आरोपी बेटे विकास बराला के साथ खड़े हैं. पिता के रसूख और खट्टर सरकार के रुख की वजह से हरियाणा पुलिस भी बेटे के साथ ही खड़ी नजर आ रही है. हरियाणा पुलिस कह रही है कि जरूरत पड़ने पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा. सवाल ये है कि जब आज इस मामले में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है तो आने वाले समय में क्या कार्रवाई होगी?


वर्णिका की आवाज भी एक वक्त के बाद तमाम घटनाओं की तरह दब जाएगी. वर्णिका थाने से लेकर मीडिया के सामने चिल्ला चिल्ला कर अपने साथ हुई घटना को बार बार दोहरा चुकी है उसके बावजूद पुलिस जांच की बात कर रही है. ये हाल है हरियाणा में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद करने वाली सरकार का. क्या सरकार को इस घटना में भी कोई राजनीतिक साजिश नजर आ रही है?

बहरहाल इस घटना से वो मां-बाप सावधान हो जाएं जिनकी बेटियां हरियाणा में नामी कंपनियों में काम करती हैं. चाहे गुरूग्राम हो या फिर चंडीगढ़, आम परिवार की बेटी ही नहीं बल्कि हाईप्रोफाइल परिवार की बेटियां भी सुरक्षित नहीं है. वर्णिका के पिता सीनियर आईएएस अफसर हैं. शायद उस वजह से ही चंडीगढ़ पुलिस ने मौका ए वारदात पर पहुंचने की जहमत उठाई और बेटी का अपहरण करने की कोशिश करने वालों को गिरफ्तार किया. यहां तक तो चंडीगढ़ पुलिस ने फर्ज अदा कर दिया लेकिन जब आरोपियों पर कानूनी धाराएं लगाने का असली मौका आया तब खुद पुलिस ने ही आरोपियों के सामने सरेंडर कर दिया. विकास बराला पर महज छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया. जबकि पीड़ित वर्णिका का कहना है कि उसका अपहरण करने की कोशिश की गई. ये राजनीति के रसूख का असर था कि खाकी वर्दी को विकास बराला को तत्काल प्रभाव से जमानत देनी पड़ गई. बड़ा सवाल ये भी है कि हरियाणा पुलिस किसी भी आपराधिक मामले में थाने से जमानत नहीं देती है. यहां तक कि छेड़खानी जैसे मामलों में भी आरोपियों को सीधे कोर्ट में पेश करती है. ऐसे में विकास बराला को कौन सी धाराओं के तहत जमानत दे दी गई?

सड़क की घटना चंडीगढ़ के थाने में जा कर मामूली कैसे बन गई?  बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बेटे की करतूतों पर पुलिस ने इतनी सावधानी से पर्दा डाला कि सेक्टर 26 और सेक्टर 7 के 5 जगहों की सीसीटीवी फुटेज ही गायब भी हो गई.

पुलिस की कारगुजारी से साफ है कि उस पर राजनीतिक दबाव है क्योंकि मामला हाईप्रोफाइल है. इसके बावजूद हरियाणा पुलिस किसी भी तरह के दबाव से इनकार कर रही है. पुलिस की दलील है कि अगर राजनीतिक दबाव होता तो घटना की रात एफआईआर कैसे दर्ज हो गई? यानी पुलिस भी ये मानती है कि रसूख के दबाव के चलते वो कई मामलों में केस दर्ज ही नहीं करती है. तकरीबन 90 प्रतिशत ऐसे मामलों में पुलिस आरोपियों के दबाव में होती हैं और बेटियों को इंसाफ नहीं मिल पाता है.

सवालों के घेरे में अब प्रदेश बीजेपी का रुख भी है. क्योंकि इस घटना ने हरियाणा में सियासी भूचाल भी ला दिया है. खासतौर से तब जबकि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बीजेपी नारा लगा रही है. लेकिन उसकी ही सरकार वाले राज्य में उसकी ही पार्टी के अध्यक्ष का बिगड़ैल बेटा रास्ते से गुजरने वाली अकेली लड़की के अपहरण की कोशिश करता है. संदेश पार्टी की छवि को लेकर भी संजीदा है तो विपक्ष के लिये भी एक मौका है. लेकिन खुद पार्टी के भीतर ही इस पर बयान आ गया. जाहिर तौर पर मामला संगीन है जिसे कि सिर्फ सियासी चश्मे से देखा या आंका नहीं जा सकता. कुरूक्षेत्र से बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने इसे गंभीर मामला बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की.

आम धारणा ये हो  सकती है कि क्या नैतिक आधार पर बेटे की शर्मसार हरकत पर पिता सुभाष बराला अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगे? लेकिन प्रदेश सरकार ने इस्तीफे से साफ इनकार कर दिया क्योंकि बेटे की सजा बाप को क्यों मिले. हालांकि राजकुमार सैनी का कहना है कि बेटों को घर से ही संस्कार मिलते हैं.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि बीजेपी आरोपी को बचाने की कोशिश न करे. ये सवाल उठेंगे ही क्योंकि वर्णिका किसी राजनीतिक दल से नहीं बल्कि वो एक बेटी है जबकि हरियाणा पुलिस का रुख वर्णिका को न्याय दिलाने में संदेह पैदा कर चुका है.

हालांकि अब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि 'चंडीगढ़ में आईएएस ऑफिसर की बेटी के साथ छेड़छाड़ के मामले में वह PIL दायर करेंगे. चंडीगढ़ पुलिस की रीढ़ की हड्डी नहीं है, उसकी सर्जरी की आवश्यकता है, इसलिए मैं PIL फाइल करने जा रहा हूं.' सुब्रमण्यम स्वामी का ये बयान हालांकि बीजेपी के लिये डैमेज कंट्रोल का काम कर सकता है या फिर डैमेज बढ़ा भी सकता है.

लेकिन इस घटना से एक बेटी ने बहादुरी की जो मिसाल कायम की वो ये संदेश देने में कामयाब रही कि भ्रष्ट तंत्र से निपटने के लिये मुंह ढक कर अपनी बात कहने की जरूरत नहीं. मुंह वो छिपाएं जो रसूख के दम पर कुछ भी करने को आजाद हैं क्योंकि उनके बेनकाब होने का खतरा ज्यादा है.