उत्तर प्रदेश की पूर्व समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा शुरू की गई लगभग छह परियोजनाएं सीबीआई की जांच के दायरे में आ गई हैं. इससे तिलमिलाई समाजवादी पार्टी ने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये सरकार जांच समिति तक सीमित होकर रह गई है.
समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार बदले की राजनीति कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार जांच के लिए खुद के तंत्र पर भरोसा करने की बजाए सीबीआई पर अधिक भरोसा कर रही है.
योगी सरकार के 19 मार्च को सत्ता संभालने के बाद पूर्व की अखिलेश यादव सरकार की ओर से शुरू की गई कई परियोजनाओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है. इनमें शिया और सुन्नी वक्फ बोर्डों के कामकाज में अनियमितताएं, गोमती रिवर फ्रंट परियोजना, सचल पालना योजना और कर्नाटक के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की लखनऊ में मौत का मामला शामिल है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने दिल्ली-सहारनपुर यमुनोत्री हाईवे निर्माण परियोजना में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश भी की है.
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार जांच समिति बन गई है. ये सरकार बदले की भावना से राजनीति कर रही है ताकि चुनाव पूर्व के वादों को पूरा करने में अपनी विफलताओं को छिपा सके.
यमुनोत्री हाईवे निर्माण परियोजना में 455 करोड़ की धांधली
उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि यमुनोत्री हाईवे निर्माण परियोजना में हैदराबाद की एक फर्म ने 455 करोड़ रुपए की धांधली की है. यह काम 14 बैंकों के स्टाफ और कुछ चार्टर्ड एकाउंटेंटों की मदद से अंजाम दिया गया.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि आंतरिक जांच के बाद इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की गई. सीबीआई ने सचल पालना योजना में 1100 करोड़ रुपए की कथित धांधली के मामले में एफआईआर दर्ज की है.
वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि भारतीय वक्फ परिषद की जांच में कथित घोटाले की बात सामने आई है. शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की भूमिका और एसपी सरकार के समय वक्फ मंत्री रहे आजम खां की भूमिका इस जांच के दायरे में आई.
उत्तर प्रदेश सरकार गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में हुई अनियमितताओं की जांच भी सीबीआई से कराने के मूड में है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे, यश भारती पुरस्कार, समाजवादी पेंशन योजना, राशन कार्ड सहित कुछ अन्य परियोजनाएं भी जांच के दायरे में हैं. ये सभी परियोजनाएं अखिलेश यादव सरकार के समय शुरू हुई थीं.
सरकार ने पिछले दिनों आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. उनका शव राजधानी के वीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर पाया गया था.