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अबकी बार सिर्फ बीजेपी का विस्तार, सहयोगियों को करना पड़ेगा इंतजार?

सभी चार कैबिनेट और नौ राज्यमंत्री बीजेपी कोटे से ही बनाए गए हैं

Amitesh

मोदी कैबिनेट का तीसरा विस्तार हो गया है. चार मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के तौर पर प्रोमोशन दिया गया है. जबकि नौ नए राज्यमंत्री बनाए गए हैं. मोदी कैबिनेट में पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, निर्मला सीतारमण और मुख्तार अब्बास नकवी को स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री से तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.

लेकिन, मोदी कैबिनेट के तीसरे विस्तार में केवल बीजेपी के नेताओं को ही जगह दी गई है. सभी चार कैबिनेट और नौ राज्यमंत्री बीजेपी कोटे से ही बनाए गए हैं. कैबिनेट विस्तार में बीजेपी के किसी भी सहयोगी को जगह ना दिया जाना चौंकाने वाला है, क्योंकि कैबिनेट विस्तार में सहयोगियों को भी शामिल होने की चर्चा लगातार चल रही थी.


जेडीयू से नहीं बन पाई बात

एक महीने पहले ही एनडीए में शामिल होने के बाद जेडीयू कोटे से केंद्र में मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही थी लेकिन, बात अटक गई और किसी अंतिम नतीजे तक ना पहुंचने पर जेडीयू कैबिनेट में शामिल होते-होते रह गई.

हालांकि इस बात का अंदाजा कल ही मिल गया था जब बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने साफ कर दिया था कि उन्हें कैबिनेट विस्तार के बाबत कोई जानकारी नहीं है और ना ही कोई न्योता मिला है. नीतीश के बयान से साफ था कि बीजेपी और जेडीयू में कैबिनेट में शामिल होने वाले मंत्रियों की संख्या पर बात नहीं बन पा रही है.

दरअसल, कैबिनेट विस्तार के पहले लगभग एक हफ्ते से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार दिल्ली में डेरा डाले हुए थे. इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी के कई वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं से लगातार चर्चा हुई थी. शाह ने कैबिनेट में फेरबदल को लेकर संघ के अधिकारियों से भी दिल्ली में मुलाकात कर चर्चा की थी.

सूत्रों के मुताबिक चर्चा के इस क्रम में बीजेपी की तरफ से अपने सहयोगी दलों के कैबिनेट में शामिल होने पर भी चर्चा हुई. चर्चा जेडीयू से भी की गई जो इस वक्त एनडीए का हिस्सा हो चुकी है.

सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू अपने लिए मंत्रालय में ज्यादा हिस्सेदारी मांग रही थी. जेडीयू कैबिनेट में अपने लिए तीन पद मांग रही थी, जिसमें दो कैबिनेट रैंक के मंत्री और एक राज्य स्तर का मंत्री हो, लेकिन, बीजेपी जेडीयू को दो राज्य मंत्री या एक कैबिनेट मंत्री पद देने के पक्ष में थी.

हालांकि जेडीयू दो मंत्री पद पर भी राजी हो सकती थी, बशर्ते दोनों में से एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री का पद उसे मिले. लेकिन, बात यहीं पर अटक गई. बीजेपी एक कैबिनेट से ज्यादा या फिर दो राज्य मंत्री पद देने के लिए ही तैयार हो पा रही थी.

दरअसल जेडीयू के लोकसभा में सिर्फ दो सांसद हैं जबकि राज्यसभा में उसके दस सांसद हैं. कुल 12 सांसदों के दम पर जेडीयू अपने लिए दो मंत्रियों की हिस्सेदारी की मांग कर रही थी. लेकिन, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बाकी सहयोगियों को लेकर थी.

शिवसेना के पास लोकसभा में 18 सांसद हैं जबकि उसके खाते में महज एक ही कैबिनेट मंत्री का पद है. शिवसेना के साथ बीजेपी की नाराजगी पहले से ही है. ऐसे में बीजेपी के लिए बाकी सहयोगियों को मना पाना काफी मुश्किल हो जाता क्योंकि शिवसेना भी पहले से ही और कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की मांग करती.

दूसरी तरफ, बिहार में रामबिलास पासवान की पार्टी एलजेपी के छह लोकसभा सांसद हैं जिसको केवल एक कैबिनेट मंत्रालय मिला है. यही हाल टीडीपी का ही है. ऐसे में जेडीयू को ज्यादा सीटें देने पर बीजेपी के लिए अपने दूसरे सहयोगियों को मनाना काफी मुश्किल होता.

यही वजह है कि बिहार में हनीमून पीरियड से गुजर रहे बीजेपी और जेडीयू के बीच का खुशनुमा माहौल भी थोड़े खटास में बदल गया है. लेकिन, विरोधियों ने तंज कसना शुरू कर दिया है.

आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा है कि जो अपनों का साथ छोड़ते हैं उनका यही हश्र होता है. लालू ने नीतीश कुमार पर यह चुटकी ली है.

मंत्री पद ना मिलने से शिवसेना भी है नाराज

जेडीयू के अलावा बीजेपी की दूसरी सहयोगी शिवसेना भी नाराज है. शिवसेना भी इस कैबिनेट विस्तार में अपने लिए और जगह की उम्मीद कर रही थी लेकिन, उसे न्योता तक नहीं मिला, ना ही बीजेपी ने उसके साथ कोई बातचीत करनी ही जरूरी समझी.

शिवसेना नेता संजय राउत ने इस पर तंज कसते हुए कहा है कि ये एनडीए का नहीं बीजेपी का विस्तार है. संजय राउत ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि ‘पहले भी हमलोग बीजेपी के साथ रहे हैं जब अटल जी की सरकार थी. उस वक्त सारे फैसले मिल बैठकर लिए जाते थे. लेकिन, अब तो चर्चा ही नहीं होती.’ संजय राउत ने कटाक्ष करते हुए बीजेपी आलाकमान को कहा कि आप मालिक हैं, आप जो चाहे कर सकते हैं.

शिवसेना की पहले से ही बीजेपी के साथ तनातनी चल रही है लेकिन, कैबिनेट विस्तार ने एक बार फिर से उसे नाराज कर दिया है.

एआईएडीएमके के भीतर की कलह बनी वजह

एआईएडीएमके के भी कैबिनेट विस्तार में शामिल होने की चर्चा थी. लेकिन, पार्टी के  दोनों गुटों के विलय के बाद भी तमिलनाडु में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल रही है. जेल में बंद शशिकला के भतीजे दिनाकरन के साथ लगभग 21 विधायक बताए जा रहे हैं जो कि विलय का विरोध कर रहे हैं.

ऐसे में बीजेपी आलाकमान वहां के राजनीतिक गतिरोध के दूर होने का इंतजार कर रहा है. माना जा रहा है कि तमिलनाडु के राजनीतिक हालात सुधरने के बाद एआईएडीएमके एनडीए का हिस्सा भी होगी और सरकार में भी शामिल होगी.

मोदी कैबिनेट का तीसरा विस्तार हो चुका है, लेकिन, यह विस्तार केवल बीजेपी तक ही सीमित है. ऐसे में सहयोगियों को शामिल करने के लिए आने वाले दिनों में एक और विस्तार संभव है.