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किसानों के जीवन में बही बदलाव की बयार

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह के ब्लॉग का एक हिस्सा

Radha Mohan Singh

सबसे पहले किसान भाइयों-बहनों और समस्त देश वासियों को 68वें गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत बधाई.

आज सारा देश 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. एक राष्ट्र के रूप में गणतंत्र अपनाए हमें 67 साल हो गये हैं. आजादी के बाद जब हमने अपने लिए  गणतंत्र चुना था, तब हमारे सामने अनेक चुनौतियां थीं लेकिन हमने हर चुनौती का सामना किया और उन पर विजय पायी.


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नित नयी चुनौतियां और मुश्किलें आती रहीं लेकिन हर बीतते वर्ष के साथ हमारे गणतंत्र का ताना बाना मजबूत होता गया. आज हमारा देश, विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक गणतंत्र के रूप में पूरी दुनिया के सामने सिर उठाए शान से खड़ा है.

एक गणतांत्रिक देश की पहचान क्या होती है. यही ना कि वह अपने नागरिकों के प्रति उत्तरदायी हो और उनके हित में काम करते हुए वह संविधान को सर्वोच्च प्राथमिकता दे. हमने जन को प्राथमिकता दी, हमारे सारे क्रियाकलाप के केन्द्र में जन ही रहा. यही कारण है कि हर वर्ष

जब गणतंत्र दिवस पर गांव-शहरों के गली-मुहल्लों और कूचों में तिरंगा फहराता है तो जन-जन के मन में राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता और गौरव का एहसास हिलोरें मारने लगता है.

हम सब जानते हैं कि इस देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने से लेकर देश को आगे बढ़ाने और सजाने-संवारने में किसानों की भूमिका अहम रही है. आज भी लगभग आधी से ज्यादा आबादी कृषि और कृषि से जुड़े कामों में लगी है. यह किसान की मेहनत का ही परिणाम है कि कृषि में हम कहां से कहां तक आ पहुंचे है.

किसानों की कर्मठता से देश को नई दिशा 

आजादी से लेकर आज तक हर विपरीत परिस्थिति में राष्ट्र का मनोबल बनाए रखने में किसानों ने योगदान दिया है. किसानों की कर्मठता ने हमेशा देश को एक नयी गति दी है.

किसानों की कर्मठता की ताजा मिसाल यह है कि 20 जनवरी, 2017 तक देश में 628.34 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल की इसी अवधि के 592.36 लाख हेक्टेयर से 35.98 लाख हेक्टेयर अधिक है. किसानों की मेहनत का परिणाम हमें बागवानी, डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन जैसे अनेक क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है.

जबसे हमारी सरकार आयी है तबसे किसान इसकी केन्द्र में है. 2016 में भी किसान सरकार की प्राथमिकताओं में सबसे उपर थे, इस वर्ष और आगे भी किसान सरकार के क्रियाकलापों के केन्द्र में रहेंगे.

हमारी सरकार जानती है कि जहां देश का आधा कार्य बल कृषि में लगा हो वहां किसानों को आगे बढ़ाए बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता.

किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने की कोशिश 

हमारी सरकार किसानों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के काम में लगी है. दरअसल, सरकार चाहती है कि किसान सिर्फ पारम्परिक खेती पर निर्भर ना रहें. वे अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती के साथ दूसरे विकल्प भी अपनाएं.

ये विकल्प हैं- बागवानी, डेयरी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, कृषि वानिकी, जैविक खेती और पुष्प कृषि.

उदाहरण के तौर पर किसान अगर टमाटर उगाता है तो सब्जी के रूप में इलाके में इसकी तात्कालिक बिक्री के इतंजाम तो हो हीं, साथ यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि टमाटर के अन्य प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद भी बनें ताकि किसान की उपज हर हाल में बिके और अच्छे दाम पर बिके. सरकार किसानों के लिए ऐसी ही व्यवस्था खड़ी करने में जुटी है.

इसी तरह आलू और अन्य कृषि उपज के इस्तेमाल के लिए भी ऐसे तरीके अपनाए जा सकते हैं.

किसानों को आर्थिक मदद 

सरकार ने बागवानी, डेयरी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, कृषि वानिकी, जैविक खेती और पुष्प कृषि जैसे क्षेत्रों में किसानों को आगे लाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं और उन्हें इस काम में हर तरह की आर्थिक मदद भी दी जा रही है.

सरकार का मानना है कि किसान खेती बाड़ी करने के लिए जरूरी पैसे के लिए सरकारी कर्ज पर निर्भर ना रहे बल्कि अपने उद्यमों से इतनी आमदनी कर ले कि उन्हें कर्ज की जरूरत ही ना पड़े और अगर पड़े भी वे इसके दबाव में ना आए.

कर्ज किसानों के लिए अपनी आमदनी और अपना उद्यम बढ़ाने का साधन बने, ना कि किसी परेशानी का सबब. वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने का माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य सरकार के इसी नजरिए का एक हिस्सा है. अच्छी बात यह है कि सरकार की सकारात्मक सोच के अच्छे नतीजे आने शुरू हो गये हैं.

हमारी सरकार का यह भी मानना है कि खेती बाड़ी और किसानी के तौर तरीकों में आमूलचूल परिवर्तन लाये बिना किसानों की हालत सुधारी नहीं जा सकती. इसलिए सरकार किसानों के लिए आय के अनेक साधन खोलने के साथ, खेती-बाड़ी के तौर तरीकों में भी आमूल-चूल परिवर्तन ला रही है.

किसानों की आय में इजाफा है मकसद 

मकसद है लागत में कमी, उत्पादन में इजाफा और आय में बढ़ोत्तरी. इस सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में जितनी भी कृषि योजनाएं शुरू की हैं, उन सबके मूल में यही तीन लक्ष्य हैं.

चाहे वह नीम लेपित यूरिया की योजना हो, खेत की मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड बांटने की योजना हो, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हो, परम्परागत कृषि विकास योजना हो, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हो या राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना हो.

सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में किसानों की परेशानी दूर करने के लिए चौतरफा उपाय किए हैं. कृषि का आवंटन दोगुना कर दिया गया है. कृषि क्षेत्र और किसानों के कल्याण की राशि 15,809 करोड़ रूपये से बढ़ाकर 35,984 करोड़ रूपये कर दी गयी है.

सिंचाई के लिए नाबार्ड के सहयोग से 20,000 करोड़ रूपये की लंबी अवधि का कार्पस फंड बनाया गया है. इसमें वर्ष 2016-17 के लिए रु. 12,517 करोड़ के माध्यम से 23 योजनाएं पूरी की जाएंगी.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत बहुत ही कम प्रीमियम पर पूरे बीमा की व्यवस्था की गयी है. राष्ट्रीय आपदा कोष के मानको में परिवर्तन किया गया है. कृषि ऋण प्रवाह बढ़ाकर 9 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है.

जैविक खेती को बढ़ावा

कर्ज के ब्याज की वापसी का दबाव कम करने के लिए सरकार ने 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है. परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के अंतर्गत एग्रीकल्चरल मार्केटिंग एवं ई-ट्रेडिंग प्लेटफार्म से किसान अपना उत्पाद फायदे वाले कृषि मंडियों में सुगमता से बेचकर अधिक लाभ कमा रहे हैं.

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई की बेहतर सुविधाएं दी जा रही है. इसके तहत हर खेत को पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. नीम लेपित यूरिया उर्वरक की क्षमता बढाई गयी है और पोटाश एवं डीएपी के दाम कम किए गये हैं.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन में चावल, गेहूं, दलहन के अलावा मोटे अनाज, गन्ना, जूस एवं कपास आदि को शामिल कर उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. किसानों तक शुद्ध एवं उत्तम गुणवत्ता वाले बीज पहुंचे, इसके लिए राष्ट्रीय बीज निगम की क्षमता बढ़ा दी गयी है.

गरीब किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ने के लिए सरकार ने गतिविधियां तेज कर दी है. नारियल किसानों की भरपूर मदद की जा रही है. गन्ने  के किसानों के लिए नीतिगत फैसले लिए गये हैं, साथ ही सरकार श्वेत (दूध) एवं नीली क्रांति (मछली पालन) पर विशेष जोर दे रही है.

कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार पर फोकस

कुक्कुट कार्यकलापों में उद्यमशीलता का विकास किया जा रहा है. कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

कृषि शिक्षा में सरकार ने बड़ा बदलाव लाते हुए पाँचवी डीन्स कमेटी रिपोर्ट पर आधारित समिति के निर्देशों को अनुमोदित कर दिया है . डीन्स कमेटी रिपोर्ट को  शिक्षा सत्र 2016-17 से लागू किया गया है.

इस नये पाठ्यक्रम के माध्यम से कृषि आधारित समस्त स्नातक कोर्स प्रोफेशनल कोर्स की श्रेणी में तब्दील हो गये हैं. इससे कृषि स्नातकों को नौकरी और रोजगार में सुविधा होगी.

बिहार के राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जिसके तहत चार महाविद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं . केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल के अंतर्गत छः नए कॉलेज खोले गये हैं.

इससे पूर्वोत्तर भारत में कृषि कॉलेजों की संख्या में पिछले दो वर्षों में लगभग 85 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई. विभिन्न राज्यों में उच्च कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दो वर्षों में आठ नए कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की है.

वर्ष 2013 की तुलना में नई सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 में भाकृअनुप द्वारा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रों के दाखिले में लगभग 41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

कृषि विज्ञान केन्द्रों को सुदृढ़ करने का कार्य प्रारंभ किया गया है जिसके तहत प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में मिट्टी जांच की सुविधा, कौशल विकास को बढ़ावा, एकीकृत खेती प्रणाली, आदि की व्यवस्था के साथ कार्मिकों की संख्या को भी बढ़ाया गया है.

छात्रों को व्यवसायिक रूप से सक्षम बनाने के लिए स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत वर्ष 2016-17 से स्कालरशिप के रूप में सभी छात्रों के लिए स्टूडेंट रेडी के दौरान 6 माह के लिए रू. 3000 प्रति माह मानदेय की शुरूआत की गयी है.

कृषि अनुसंधान का बजट बढ़ा

पहले यह राशि रू. 750 प्रति माह थी. इस कार्यक्रम में ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव,पौधा प्रशिक्षण/औद्योगिक जुड़ाव/प्रशिक्षण,कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा. वर्ष 2016-17 में कृषि अनुसंधान के बजट में लगभग 500 करोड़ रूपये की अभूतपूर्व वृ‍द्धि की गई है.

वहीं कृषि विस्तार में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 90 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी करके इसे 750  करोड़ रूपये कर दिया गया है. साथ ही सरकार कृषि के लगभग सभी क्षेत्रों में अतिआधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रही है ताकि किसानों को समय पर सटीक सूचनाएं और सुविधाएं मुहैया करायी जा सके.

सरकार ने ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं को 2.87 लाख करोड़ रुपये का अनुदान देना शुरू किया है जो यूपीए सरकार के पूर्ववर्ती 5 साल की तुलना में 228% ज्यादा है.

हमारी सरकार किसानों के जीवन में सकारात्मक और गुणात्मक बदलाव लाने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए हमारा मंत्रालय पूरे मनोयोग से काम कर रहा है. हमने ढाई वर्ष में भारतीय कृषि में मील के अनेक पत्थर स्थापित किए हैं लेकिन अभी भी किसान हित में बहुत से काम करने बाकी हैं. सभी राज्य अगर इसमें हमारा और सहयोग करें, तो हमारे रास्ते आसान हो जाएंगे.

आप सबको गणतंत्र दिवस की एक बार फिर बधाई.

आपका

राधा मोहन सिंह

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री

भारत सरकार