मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली कंपनियों को उम्मीद है कि आने वाले आम बजट में मोबाइल फोन पर लगने वाले अलग-अलग शुल्कों की दरें जारी रहेंगी.
मोबाइल निर्माता कंपनियों की इस उम्मीद की मुख्य वजह यह है कि नोटबंदी के कारण मोबाइल की बिक्री में काफी गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) जुलाई से लागू होने वाला है.
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कुछ मोबाइल निर्माता कंपनियों का मानना है कि सरकार को मोबाइलों को सस्ता करने के लिए उचित माहौल तैयार करना चाहिए. इससे बढ़ते हुए कॉम्पिटिशन के बीच देश को इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक्सपोर्ट हब बनाया जा सकता है.
इन कंपनियों को उम्मीद है 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिए आने वाले आम बजट में टैक्स हॉलीडे के साथ-साथ कैपिटल गुड्स के आयात पर भी ड्यूटी में छूट मिल सकती है.
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पिछले साल चमड़ा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और रत्न और ज्वेलरी उद्योगों के क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए कई तरह की रियायतें दी गई थीं.
एक सरकारी अफसर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘सरकार के ऊपर रोजगार के अवसरों को बढ़ाने का भारी दबाव है. इसकी वजह यह है कि सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद रोजगार के बेहतर अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं.’
अफसर ने यह भी कहा कि कई मंत्रियों ने इस बारे में चिंता जाहिर की कि उनके क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा नहीं हो रहे हैं.