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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शुरू होने वाला है विधानसभा सत्र लेकिन विपक्ष का नेता तय नहीं

हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं. जिसमें दोनों राज्यों में 15 सालों से सत्ता में रही बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

FP Staff

हाल ही में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं. जिसमें दोनों राज्यों में 15 सालों से सत्ता में रही बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. साथ ही दोनों राज्यों में बीजेपी के 15 साल के शासन को खत्म कर कांग्रेस ने अपनी सरकार बना ली. हालांकि चुनाव होने के इतने दिन बाद भी बीजेपी विपक्ष के नेता का नाम भी तय नहीं कर पाई है.

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनावों में हार के बाद अब जल्द ही दोनों राज्यों में विधानसभा सत्रों की शुरुआत होने वाली है. लेकिन अभी तक बीजेपी विपक्ष के नेताओं के नामों को अंतिम रूप देने के लिए जूझ रही है. मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पसंदीदा नेता के रूप में उभरे हैं. हालांकि उन्होंने विपक्ष के नेता के रूप में अनिच्छा व्यक्त की तो फैसले का अधिकार आलाकमान के हाथों सौंप दिया गया है.


हालांकि, आरएसएस का विचार है कि लोकसभा चुनावों के लिए कोने-कोने में राज्य नेतृत्व को सक्रिय भूमिका में रहने की आवश्यकता है. वहीं विधानसभा चुनावों विफल रहने के बाद संघ को कथित तौर पर प्रतिक्रिया मिली है कि बीजेपी कार्यकर्ता राज्य के नेताओं से नाराज हैं. ऐसे में चौहान को विपक्ष के नेता के बजाय पार्टी में भूमिका दी जा सकती है.

वहीं पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भी स्थिति कुछ खास अलग नहीं है. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के अलावा उनके दो पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर भी विपक्ष के नेता के पद की दौड़ में हैं. बीजेपी आलाकमान ने कथित तौर पर पार्टी के मामलों का आकलन करने के लिए हाल ही में एक पर्यवेक्षक भेजा था और अंतिम निर्णय लेने के लिए वह फिर से राज्य का दौरा करने की संभावना है.

वहीं मध्य प्रदेश में विधानसभा का पहला सत्र 7 जनवरी से और छत्तीसगढ़ में 4 जनवरी से शुरू हो रहा है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी के अब 15 विधायक ही हैं तो वहीं मध्य प्रदेश में बीजेपी के 109 विधायक हैं.