गुजरात में बीजेपी के विकास के एजेंडे और गुजरात मॉडल पर बीजेपी के प्रचार की काट के लिए कांग्रेस ने पहले नारा दिया ‘विकास पागल हो गया है.’ अब बारी बीजेपी की है. विकास के एजेंडे को पटरी से ना उतरने देने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. अब बीजेपी ने कांग्रेस के नारे जवाब दिया है- ‘मैं ही गुजरात हूं, मैं ही विकास हूं.’
बीजेपी के रणनीतिकारों ने इस नारे को बहुत ही सोच-समझ कर ईजाद किया है. क्योंकि बीजेपी ने बहुत ही चतुराई से विकास के नारे को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया है. बीजेपी ने जिस अंदाज में गुजरात और विकास को एक-दूसरे का पर्यायवाची बना दिया है, उसके बाद कांग्रेस के नेताओं को ‘विकास पागल हो गया है’ बोलने के पहले कई बार सोचना पड़ेगा.
एक अक्टूबर से शुरू हो रही गुजरात गौरव यात्रा में बीजेपी ने इसी नारे को पंच लाइन बनाया है. बीजेपी ‘गौरव यात्रा’ के दौरान गुजरात के लोगों को 1995 से अबतक यानी पिछले 22 सालों के दौरान हुए विकास को बताएगी. बीजेपी हर हाल में विकास के एजेंडे को ही सामने रखा है. तभी तो इस यात्रा के दौरान अहमदाबाद से प्रस्तावित बुलेट ट्रेन से लेकर विकास के और सभी कामों को दिखाने का फैसला किया गया है.
एक अक्टूबर से पंद्रह अक्टूबर तक चलेगी यात्रा
इसके पहले 2002 में गुजरात गौरव यात्रा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने निकाली थी जिसके बाद बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली थी. एक बार फिर से बीजेपी उसी उम्मीद में है.
गुजरात गौरव यात्रा नवरात्र के ठीक बाद एक अक्टूबर से शुरू हो रही है. इस दिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी सरदार पटेल के जन्म-स्थल उत्तर गुजरात के करमसद से गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. जबकि अगले दिन दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर महात्मा गांधी के जन्मस्थल पोरबंदर से भी मुख्यमंत्री विजय रुपाणी द्वारा गौरव यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा.
बीजेपी सरदार पटेल और महात्मा गांधी, इन दोनों महापुरुषों की विरासत को पहले से ही कांग्रेस से हथियाने में लगी है. अब गौरव यात्रा का आगाज इन दोनों की जन्मस्थली से कर बीजेपी ने सांकेतिक बढ़त लेने की एक और पहल की है.
फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में बीजेपी के गुजरात के प्रभारी महाचिव भूपेंद्र यादव ने बताया कि ‘बीजेपी 1995 से ही विकास की निरंतरता के लिए, स्थायित्व के लिए व्यापक रूप से अभियान चला रही है जिसमें हर विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन होगा.’
बीजेपी की तरफ से गौरव यात्रा के दौरान बताया जाएगा कि 1995 से अबतक बीजेपी सरकार के दौरान किस तरह कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर नियंत्रण हुआ. 2002 के बाद तो गुजरात में कहीं कर्फ्यू तक नहीं लगा.
गुजरात गौरव यात्रा लगभग 148 विधानसभा क्षेत्रों से होते हुए गुजरेगी. यात्रा से जुडे बीजेपी के एक नेता के मुताबिक, इस दौरान करीब चार सौ स्वागत कार्यक्रम होंगे, जिसमें प्रतिदिन लगगभ चार से पांच कार्यक्रम कराए जाने की तैयारी हो रही है.
गौरव यात्रा के दौरान बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता, गुजरात चुनाव प्रभारी वित्त मंत्री अरुण जेटली और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी संबोधित करेंगे.
पाटीदारों को मनाने की कोशिश
दरअसल इस यात्रा का रुट इस तरह बनाया गया है कि इसमें गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा पहुंचा जा सके. गुजरात में पाटीदार आंदोलन के बाद बीजेपी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने किले को फिर से मजबूत करने की तैयारी में है.
पाटीदार आंदोलन के बाद के हालात को ही थामने के लिए ही बीजेपी ने पटेल नेताओं को इस यात्रा की अगुआई का जिम्मा सौंपा है. गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल करमसद से यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघाणी पोरबंदर से गौरव यात्रा का नेतृत्व करेंगे.
यात्रा का प्रभारी पूर्व मंत्री गोरधन झडफिया और पूर्व मंत्री कौशिक पटेल को बनाया है. ये दोनों ही पाटीदार नेता हैं. बीजेपी की नजर पाटीदारों की नाराजगी दूर करने की है, जिससे हार्दिक पटेल के असर को कम किया जा सके.
विकास का एजेंडा सबसे उपर
बीजेपी की तरफ से विकास के गुजरात मॉडल को लेकर इस पूरी यात्रा के दौरान लघु फिल्म दिखाई जाएगी. इसके अलावा विज्ञापनों के जरिए बड़े स्तर पर पिछले बाईस साल के विकास काम को प्रचारित करने की तैयारी है.
बीजेपी दिखाने की कोशिश करेगी कि पिछले तेरह साल के मोदी राज में हुए काम के चलते ही गुजरात उद्योग के साथ कृषि विकास में भी देश में काफी आगे है. बीजेपी का कहना है कि पिछले 20 साल में राज्य का बजट करीब 11 हजार करोड़ रुपए से एक लाख 71 हजार करोड़ रुपए पर पहुंचा है. इससे योजनाओं पर अधिक धन खर्च होने लगा है और प्रति व्यक्ति आय में दस गुनी वृद्धि हुई है.
बाइस साल से गुजरात की सत्ता में काबिज बीजेपी पर अपने किले को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है. 1995 में कांग्रेस को पटखनी देकर गुजरात की सत्ता में आई बीजेपी को भी इस बात का एहसास है. लिहाजा बीजेपी ने भी अभी से अपनी तैयारी कर ली है. अब पार्टी की रणनीति को जमीन पर उतारने की कोशिश हो रही है.
पिछले 15 सालों में यह पहली बार है जब गुजरात विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांधीनगर से दिल्ली चले जाने के बाद हो रहा है. बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री 2001 में सत्ता संभालने के बाद से ही गुजरात के सभी विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के ही ईर्द गिर्द लड़ा जाता रहा है.
विरोधियों के निशाने पर रहे मोदी को हमेशा इस बात का सियासी फायदा भी मिला क्योंकि जब-जब मोदी विरोध के नाम पर कांग्रेस के नेता चुनावी मैदान में कूदते थे, मोदी इसे पांच करोड़ गुजराती लोगों की अस्मिता से जोड़ देते. विरोधियों को हर बार मुंहकी खानी पड़ती.
अब एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात गौरव यात्रा के समापन के दौरान गांधीनगर में मौजूद रहेंगे. 16 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस यात्रा के समापन के मौके पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ शिरकत करने वाले हैं. इसी दिन बीजेपी के गुजरात के सभी पन्ना प्रमुखों का भी महासम्मेलन भी होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.