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बीजेपी राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक, विधानसभा चुनाव पर रहेगा फोकस

बैठक दिल्ली में 6 और 7 जनवरी को हो रही है

Amitesh

विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही बीजेपी ने भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक दिल्ली में 6 और 7 जनवरी को हो रही है. ऐसे में इस कार्यसमिति में मुख्य रूप से फोकस यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर ही रहेगा.

दिल्ली के एनडीएमसी कंवेंशन सेंटर में हो रही कार्यसमिति की बैठक 6 जनवरी को शाम 4 बजे शुरू होगी, जिसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का सबसे पहले अध्यक्षीय भाषण होगा. कार्यसमिति की बैठक के अगले दिन 7 जनवरी को एक आर्थिक और दूसरा राजनीतिक प्रस्ताव पास होगा.


आर्थिक प्रस्ताव में मुख्य रूप से फोकस कालेधन और नोटबंदी के ऊपर होगा, जिसमें नोटबंदी पर सरकार के कदम की सराहना होगी. कालेधन के खिलाफ आने वाले दिनों में मोदी सरकार की तरफ से और भी कड़े कदम उठाने की बात भी होगी. सरकार पहले से ही डिजिटलाइजेशन पर आगे बढ़ने की बात कर रही है.

राजनीतिक प्रस्ताव में पांच राज्यों के चुनाव का जिक्र होगा, जिसमें संगठन मजबूत करने और पार्टी के बेहतर प्रदर्शन करने का भी जिक्र होगा.

पीएम को भाषण से पार्टी को मिलेगी दिशा 

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने फर्स्टपोस्ट हिंदी से बातचीत में कहा कि इस बैठक में चुनाव पर फोकस होगा और इसको लेकर प्रधानमंत्री जब बोलेंगे तो पार्टी के लिए एक दिशा देने वाला होगा.

नोटबंदी के बाद मोदी की तरफ से अलग-अलग मंच से अपनी बात कही गई है. इस फैसले को ही हथियार बनाकर विपक्षी दलों को भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ जोड़ने की कोशिश भी मोदी की तरफ से की जाती रही है.

लेकिन, अब कार्यसमिति की बैठक में उनके भाषण से चुनाव मैदान में उतरने से पहले पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए मंत्र मिलेगा.

जाहिर है इस वक्त पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा होगा नोटबंदी का. जहां मोदी इसे कालेधन के खिलाफ लड़ाई में बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे.

वहीं, दूसरे विरोधी दल इस फैसले पर जनता को हो रही परेशानी पर मोदी को घेरेंगे. लिहाजा, मोदी नोटबंदी पर अपने आक्रामक अंदाज में कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर से दिख सकते हैं. कोशिश होगी इस बार अपने सभी कैडर को सख्त संदेश देने की, कैसे विरोधियों को नोटबंदी पर घेरा जाए. साथ ही, नोटबंदी के मसले पर जनता के बीच जाकर इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाए कि नोटबंदी उनके फायदे के लिए है.

महाराष्ट्र, गुजरात और चंडीगढ़ के स्थानीय निकाय के चुनावों में मिली जीत ने बीजेपी आलाकमान का मनोबल बढ़ाया भी है. लेकिन उन्हें भी इस बात का एहसास है कि स्थानीय निकाय के चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव की डगर मुश्किल होगी. लिहाजा तैयारी भी बड़ी हो रही है और मोदी के समापन भाषण में विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति की एक झलक भी देखने को मिलेगी.