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राम मंदिर पर बिल लाकर समाज की शांति भंग करना नहीं चाहते: कैलाश विजयवर्गीय

कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाना आखिरी विकल्प है, अभी दूसरे विकल्पों की लेनी होगी मदद

Bhasha

मंगलावर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक इंटरव्यू में राम मंदिर पर कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के बयान पर कल से ही घमासान मचा हुआ है. जहां एक ओर आरएसस ने मोदी के बयान को सकारात्मक बताया है, वहीं कुछ सहयोगी पार्टियों ने असंतुष्टि जताई है. अयोध्या को संतों को भी उनके इस बयान से निराशा हुई है.

उधर बीजेपी के नेता भी इस संदर्भ में पार्टी का पक्ष रखने की कोशिश में लगे हुए हैं. पीएम के बयान से अब साफ है कि राम मंदिर पर बिल की मांग और बढ़ जाएगी.


अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करने के लिये अध्यादेश लाए जाने को 'आखिरी विकल्प' बताते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार को कहा कि इस मसले के समाधान के लिए अभी दूसरे उपाय आजमाए जा सकते हैं.

विजयवर्गीय ने कहा, 'राम मंदिर मामले में अध्यादेश लाए जाने को लेकर अभी जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस मसले के समाधान के लिए अन्य विकल्प खुले हैं.

उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई होने वाली है. देखते हैं कि वहां क्या निर्णय होता है. इसके अलावा, दोनों पक्ष आपस में बात कर इस मसले को सुलझा सकते हैं.'

विजयवर्गीय में कहा, 'बीजेपी एक जवाबदेह पार्टी है. राम मंदिर मामले में हम फिलहाल अध्यादेश लाकर देश में सामाजिक समरसता का ताना-बाना प्रभावित कतई नहीं चाहते.'

हालांकि बीजेपी महासचिव ने कहा, 'अगर भविष्य में जरूरी होगा, तो राम मंदिर मामले में अध्यादेश भी लाया जाएगा. लेकिन अध्यादेश लाया जाना इस सिलसिले में आखिरी विकल्प होगा.'

विजयवर्गीय ने कहा, 'हमारी जवाबदेही है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो और इसके साथ ही देश में शांति भी बनी रहे.'