राज्यसभा सदस्य और लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में बीते बुधवार को ‘अचानक’ ऐलान किया कि 'शत्रु जी आरजेडी के शत्रु थोड़े ही हैं. ये तो बीजेपी के शत्रु हैं.' यह सुनते ही लालू यादव के बच्चों, मीसा भारती, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव, के बीच विराजमान बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का चेहरा खुशी से खिल गया.
मीसा भारती के बयान के कुछ देर बाद ही आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने एक बयान की सौगात से बिहारी बाबू की खुशी में कई गुना इजाफा कर दिया. बताते हैं कि सिंह का बयान शत्रुघ्न सिन्हा को बहुत अधिक सुकून दे रहा है.
लेकिन बीजेपी खेमे में भी खुशी की लहर
आरजेडी के कद्दावर नेता और लालू यादव के परम विश्वासी सिंह ने पत्रकारों को बताया, 'पटना साहब लोकसभा क्षेत्र से आरजेडी का अगला उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा होंगे.'
सबसे मजेदार बात ये है कि मीसा भारती और रघुवंश प्रसाद सिंह के बयानों ने बीजपी के खेमे में भी खुशी की लहर फैला दी है. दिल्ली से लेकर पटना तक के बीजेपी के नेतागण बेसब्री से इस सुअवसर का इंतजार कर रहे थे. नाम नहीं लिखने की शर्त पर बीजपी के एक महत्वपूर्ण लीडर ने बताया, ' सच बताएं तो हम भी यही चाहते थे.'
बीजेपी कोटे से सरकार में एक मंत्री की खुशी परवान पर है. वो कहते हैं, 'अब मजा आएगा का खेल का. सिनेमाई विश्वनाथ को 2019 के लोकसभा चुनाव में अहसास हो जाएगा कि पटना के कॉस्मोपोलिटन मिजाज एवं फिजां को आवाज की जादूगरी से कैद या मोहित नहीं किया जा सकता है. पटना गांव नहीं बल्कि लगातार बढ़ता और बदलता हुआ शहर है. यहां के नागरिकों ने लालटेन की रोशनी में रहना कभी पसंद नहीं किया.'
हालांकि एक बार 2004 चुनाव में येन-केन प्रकारेण तथा सरकारी मदद से रामकृपाल यादव यहां लालटेन जला चुके हैं. वैसे, ये भी सच है कि उस जीत के पीछे रामकृपाल यादव की अपनी पाक-साफ छवि का भी भरपूर योगदान था.
शॉटगन को गंभीरता से नहीं लेती बीजेपी
दरअसल, बीजपी की राज्य इकाई ने शाॅटगन को कभी गंभीरता से नहीं लिया है. दक्षिण भारत के कई राज्यों की सिनेमाई हस्तियों के उलट जमीन पर इनकी कभी पकड़ नहीं रही. देखा जाता रहा है कि सिन्हा हवा हवाई राजनीति करने के महारथी हैं. बीजेपी नेतृत्व ने कभी भी अपनी इच्छा से उनको लोकसभा का टिकट नहीं दिया है. उन्हाेंने कभी टिकट के लिए अर्जी भी नहीं लगाई. उनके समर्थक गर्व के साथ कहते फिरते हैं, 'हमरा नेता आला कमान से सिंबल मांगता नहीं है, छीन लेता है.'
पटना साहिब लोकसभा सीट के असली हकदार केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद रहे हैं. यहां की जमीन पर राजनीति की खेती करके पार्टी के वजूद को बढ़ाया है. लेकिन 2009 के चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा अचानक से पटना आ गए. रविशंकर प्रसाद तमाशबीन बनकर अपने सीट का अपहरण देखते रहे.
2014 लोकसभा के चुनाव में भी अपने नकली पॉपुलरिटी का मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर बिहारी बाबू ने पटना साहिब लोकसभा का सीट अपने कब्जे में कर ली. उस बार भी रविशंकर प्रसाद खून का घूंट पीकर रह गए. तबतक बीजपी को नरेंद्र मोदी के रूप में एक विशाल और डायनेमिक चेहरा मिल चुका था. कहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जब शत्रुघ्न सिन्हा की राजनीतिक कुंडली देखी तो पाया कि हर क्षेत्र में शत्रु जी जीरो बटा जीरो हैं.
बीजेपी नेताओं को नहीं है कोई गरज
विरोधी की बात कौन कहे, बीजपी के नेताओं ने भी पीएम को सबूत के साथ बताया, 'जनता और कार्यकर्ता से एमपी साहब का कोई लेना देना नहीं है. पुच्छल तारे के माफिक साल में दो-चार बार पाटलीपुत्र की धरती पर टपकते हैं और फिर मिस्टर इंडिया की तरह गायब हो जाते हैं.'
केंद्र सरकार के एक मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा प्रकरण पर हंसते हुए बताते हैं, जान छूटी, लाखों पाए'. वो आगे कहते हैं, 'ये महाशय रहते हमारे घर में हैं, घूमने-फिरने का काम हमारे साधन से करते हैं, खाते भी हमारा ही हैं, पर भजन लालू यादव का करते हैं.' उन्होंने बताया, 'नरेंद्र मोदी के राज में पार्टी में बात का पुआ पकाने वालों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.'
दूसरी तरफ आरजेडी नेता भी खुश हैं कि पार्टी को पटना साहब लोकसभा क्षेत्र से एक ‘तगड़ा’ कैंडिडेट मिल गया. आरजेडी के एक नेता बताते हैं, 'हमलोग तो विचार कर रहे थे कि इस सीट को कांग्रेस पार्टी के कोटे में दे दिया जाए. रामकृपाल यादव के बीजपी में भागने के बाद यहां उम्मीदवार का अकाल हो गया था.'
बहरहाल, 2019 की महाभारत में इसका फैसला हो जाएगा कि 73 वर्षीय शाॅटगन अपनी पुरानी पार्टी को खामोश करने में सफल होते हैं या फिर स्वयं खामोश हो जाते हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)