view all

सरकार की विपक्ष को चुनौती, हिम्मत है तो नोटबंदी पर चर्चा करो

सरकार की कोशिश है कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि विपक्ष जानबूझकर चर्चा नहीं होने दे रहा

Amitesh

सरकार और विपक्ष नोटबंदी के मुद्दे पर अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं. संसद के भीतर इनमें से कोई टस से मस होता नहीं दिख रहा है.सरकार कह रही है हम चर्चा को तैयार हैं और प्रधानमंत्री भी बहस में हिस्सा लेंगे. लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री की माफी की मांग पर अब भी अड़ा हुआ है.

बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लगी लंबी कतारों के बीच विपक्ष को आगे की रणनीति का रास्ता नजर आ रहा है. विपक्ष की लगातार कोशिश जारी है कि वो लोगों की की परेशानी को सदन के भीतर जोर-शोर से उठाकर संसद के भीतर जनता की हमदर्द का तमगा हासिल कर सके.


लेकिन इसी लाइन में खड़े लोगों का धैर्य मोदी को और ताकत देता है. मोदी इसी धीरज को अपने फैसले पर मुहर के तौर देखते और प्रचारित भी करते हैं. बीजेपी संसदीय दल की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर से नोटबंदी को लेकर कहा कि उन्हें जनता का समर्थन मिल रहा है.

उन्होंने पार्टी के सभी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि रोडरेज में गोली चलती है लेकिन एटीएम लाइन में धैर्य दिखता है. मोदी ने बीजेपी सांसदों से कहा कि वो लोगों को कैशलेस ट्रांजेक्शन और डिजिटलाइजेशन के फायदे बताएं. उन्होंने कहा कि

अगर सभी पार्टी के लोग चुनाव प्रचार की तरह नोटबंदी के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन का प्रचार करें तो बड़ा असर देखने को मिल सकता है.

बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सदन के भीतर विपक्ष के रवैये को अलोकतांत्रिक बताया है. प्रधानमंत्री ने विपक्ष को इस मुद्दे पर बेनकाब करने की अपील भी की. उनकी इस अपील का असर भी हुआ. अब सरकार भी और आक्रामक हो गई.

राज्यसभा में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने विपक्ष पर सीधे वार करते हुए चर्चा कराने की चुनौती दे डाली. जेटली ने कहा विपक्ष केवल मीडिया कवरेज के लिए हंगामा करता है.

दूसरी तरफ, विपक्ष प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग पर अड़ा हुआ है. समाजवादी पार्टी से लेकर मायावती तक नोटबंदी के बाद की परेशानी को लेकर सदन में सरकार पर हमलावर हैं.

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले लोगों की तकलीफों को मुद्दा बनाकर मायावती सरकार की तैयारियों की पोल खोलना चाहती हैं. मायावती ने कहा कि एक महीना हो गया लेकिन अभी भी नहीं लगता कि समस्या खत्म हो रही है.

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इस पूरी लड़ाई में सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चाबंदी कर रही है.

राज्यसभा में नेताप्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने तो सरकार से सीधे तौर पर कई सवालों का जवाब मांगा. मसलन अबतक नोटबंदी के मसले पर हो रही मौत पर सरकार जवाब दे. साथ ही आजाद ने सरकार से सवाल किया है कि जब पूरा पैसा वापस आ जाएगा तो कालाधन कहां है ?

आरबीआई ने पिछले दस दिनों से यह डाटा देना बंद कर दिया है कि कितने पैसे बैंकों में जमा हुए. आखिरकार इसके पीछे क्या राज है? इसे हर दिन सदन में बताया जाए.

'वित्त मंत्री कह रहे हैं कि बैंकों में पैसा है, तो यह बताएं कि अगर बैंकों में पैसा है तो लोग लाइन में इस तरह से क्यों लग रहे हैं?'

सरकार की तरफ से तर्क यही दिया जा रहा है कि अगर सदन में चर्चा होगी तो ही सभी सवालों का जवाब होगा. अगर चर्चा नहीं होगी तो सवालों का जवाब कैसे मिलेगा.

दरअसल नोटबंदी लागू होने के लगभग एक महीने बीत जाने के बाद भी लोगों को परेशानी हो रही है. लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा करा कर सरकार को घेरने के बजाए हंगामे की रणनीति अपनाए हुए है.

अब सरकार की कोशिश है कि जनता के बीच यह संदेश दिया जाए कि विपक्ष जानबूझकर चर्चा नहीं होने दे रहा.

इस बीच रैलियों से लेकर दूसरे मंचों पर मोदी लोगों से नोटबंदी पर अपने मन की बात तो कर ही लेते हैं. नोटबंदी पर लड़ाई को गरीबों के हित में बताने में मोदी काफी हद तक सफल हो गए हैं.

ऐसे में सदन में नरम पड़ने के बजाए उनकी आक्रामक रणनीति ही जारी रही तो कोई आश्चर्य नहीं होगा.

लेकिन सवाल यही है फिर बीच का रास्ता निकलेगा कैसे या फिर पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी के नाम पर हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा.