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एमसीडी चुनाव: क्या हुआ तेरा वादा, कैसे बदला रिश्तेदारों को टिकट न देने का इरादा

चुनाव में टिकट बंटवारे पर अपने ही वादे को भूल गई बीजेपी

Amitesh

बीजेपी की तरफ से एमसीडी चुनाव में इस बात का वादा किया गया था कि न तो किसी मौजूदा पार्षद को और न ही किसी नेता के रिश्तेदार को टिकट दिया जाएगा.

दावा इस बात का किया जा रहा था कि हालात ऐसे बनाने की कोशिश होगी जिसमें जमीनी कार्यकर्ताओं को ही तरजीह दी जाएगी. जमीनी कार्यकर्ताओं में भी युवाओं पर सबसे ज्यादा जोर रहेगा.


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लेकिन, लगता है बीजेपी के सारे वादे महज वादे बनकर ही रह गए हैं. रिश्तेदारों को टिकट न देने के वादे से बीजेपी पीछे हट गई है. बीजेपी नेताओं के कई रिश्तेदार चुनाव मैदान में डटे हैं तो कई जगह युवाओं पर बुजुर्गों को तरजीह देकर पार्टी ने सबको चौंका दिया है.

कई नेताओं के रिश्तेदार को मिले टिकट

नंदिनी शर्मा को बीजेपी ने मालवीय नगर से एमसीडी चुनाव में मैदान में उतारा है. नंदिनी शर्मा पिछला विधानसभा चुनाव भी मालवीय नगर से ही लड़ चुकी हैं जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले वो एमसीडी चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

इसके अलावा बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके विनोद कुमार बिन्नी के भाई राजीव चौधरी को दल्लूपुरा से टिकट मिला है. बिन्नी बीजेपी में शामिल होने से पहले आप के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत भी चुके हैं.

बीजेपी सांसद उदित राज

बीजेपी ने सांसद उदित राज के भतीजे विजय राज को मंगोलपुरी बी से चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि मदनपुर खादर से कमलेश देवी को पार्टी ने इस बार चुनाव मैदान में उतारा है जिनके देवर पहले बीजेपी के टिकट पर पार्षद रहे हैं. इस बार बीजेपी ने मौजूदा पार्षद का टिकट क्या काटा, भाभी जी मैदान में उतर गईं.

लेकिन, पार्टी की तरफ से हद तो तब हो गई जब मौजूदा निगम पार्षद की बेटी को भी इस बार टिकट थमा दिया. कुरैशनगर से बीजेपी की निगम पार्षद हूर बानो की बेटी रूबीना को इस बार  बीजेपी ने टिकट थमा दिया.

पार्टी के फॉर्मूले के मुताबिक, मौजूदा पार्षदों और उनके रिश्तेदारों को टिकट नहीं दिया जाना था. लेकिन, किसी मौजूदा पार्षद की बेटी को ही टिकट थमा देने पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

आखिर बीजेपी के उस फॉर्मूले का क्या हुआ जिसमें वादा किया गया था रिश्तेदारों को टिकट नहीं दिया जाएगा?

अब बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि इस बात की जांच करवाएंगे कि आखिरकार ये गलती हुई कैसे? कैसे एक मौजूदा पार्षद की बेटी को टिकट दे दिया गया.

युवाओं पर वरिष्ठों को भी तरजीह

लेकिन, ये हाल केवल रिश्तेदारों तक सीमित नहीं है. युवाओं को तरजीह देने की बात कहने वाली बीजेपी के भीतर काफी वरिष्ठ लोगों को टिकट भी दिया गया है.

राजौरी गार्डन क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार कर्नल ओबेराय भी उम्र के करीब सात दशक देख चुके हैं, लेकिन, बीजेपी को इसमें कुछ भी गलत नहीं लग रहा है. स्थानीय निकाय के चुनाव में भी बीजेपी ने उन्हें टिकट थमा दिया है.

कुछ ऐसा ही हाल है रानीबाग से उम्मीदवार वंदना जेटली का. इनकी उम्र भी करीब 60 साल है. लेकिन, युवा कार्यकर्ता पूजा सहगल का टिकट काटकर इन्हें भी टिकट थमा दिया गया है.

फिलहाल जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में लगी बीजेपी ने कई जगहों पर अपने वादों की बलि भी चढ़ा दी है. अब देखना है पार्टी को चुनाव में ये फार्मूला कितना रास आता है?