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बीजेपी का जेटली पर फिर से भरोसा, मिली गुजरात में महाविजय की जिम्मेदारी

इस पूरी ‘टीम जेटली’ को बनाने के पीछे अमित शाह की ही रणनीति मानी जा रही है

Amitesh

वित्तमंत्री अरुण जेटली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर भरोसा दिखाया है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेटली को गुजरात चुनाव का प्रभारी बनाकर इसका संकेत दे दिया है.

गुजरात विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह दोनों का गृह राज्य गुजरात ही है. ऐसे में पार्टी को महज जीत से नहीं बल्कि महाजीत की दरकार होगी.


गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे को सीधे मोदी-शाह की जीत या हार की तौर पर देखा जाएगा, लिहाजा पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. बीजेपी ने पहले से ही गुजरात में मिशन 150+ का लक्ष्य रखा है. मतलब गुजरात की 182 सीटों में से 150 सीटों को जीतने का लक्ष्य.

बीजेपी को लगता है कि गुजरात की महाविजय 2019 की लड़ाई से पहले उसके मनोबल को और उंचा कर देगी. अरुण जेटली को गुजरात की बड़ी जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने गुजरात चुनाव की अहमियत का संकेत भी दे दिया है.

अरुण जेटली इसके पहले बतौर पार्टी प्रभारी महासचिव 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति का लोहा मनवा चुके हैं. गुजरात दंगों के बाद हुए इस चुनाव में बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश की गई. लेकिन नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता के साथ-साथ जेटली की रणनीति ने उस वक्त पार्टी को तमाम बाधाओं से बाहर निकाल लिया.

2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 117 सीटें मिली यानी बहुमत से काफी ज्यादा. 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी जेटली की काफी सक्रिय भूमिका रही. जब कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने मौत का सौदागर वाला बयान दिया तो इसे लपकने का काम जेटली ने ही किया था.

गुजरात से जेटली का पुराना नाता

उस वक्त अरुण जेटली की ही रणनीति की बदौलत बीजेपी ने इसे बडे जोर-शोर से उठाया जिसके बाद कांग्रेस के लिए यह बयान उल्टा पड़ गया.

इसके बाद भी गुजरात से जेटली का नाता लगातार रहा. 2000 में पहली बार गुजरात से राज्यसभा पहुंचने वाले अरुण जेटली लगातार तीसरी बार गुजरात से ही राज्यसभा सांसद हैं.

बतौर सांसद गुजरात से लगातार उनका जुड़ाव भी रहा है. गुजरात से मौजूदा सांसद और गुजरात के पहले प्रभारी रहने के अनुभव को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.

अरुण जेटली के साथ चार केंद्रीय मंत्रियों की भारी-भरकम टीम को भी उनके साथ लगाया गया है. जेटली के साथ ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी को गुजरात चुनाव का काम संभालेंगे. इन चारों मंत्रियों को गुजरात चुनाव  का सह-प्रभारी बनाया गया है.

गुजरात में हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को दो सीटें मिली थी लेकिन एक सीट पर कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले अहमद पटेल जीतने में सफल हो गए थे. उस वक्त बीजेपी की तरफ से अहमद पटेल को हराने की तमाम कोशिशें असफल हो गई थीं.

अहमद पटेल की जीत को कांग्रेस बड़े पैमाने पर भुनाने की कोशिश भी कर रही है. अहमद पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव भी हैं, लिहाजा उनके लिए भी गुजरात विधानसभा चुनाव काफी अहम है. यही वजह है कि बीजेपी ने अहमद पटेल की काट के तौर पर अरुण जेटली जैसे पार्टी के कद्दावर नेता को सामने कर दिया है.

अरुण जेटली का मोदी सरकार में कद काफी बड़ा है. नंबर तीन की हैसियत में इस वक्त सरकार में दो बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. वित्तमंत्री के तौर पर काम कर रहे जेटली के पास रक्षा मंत्रालय की भी अहम जिम्मेदारी है. मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्रालय छोड़कर गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार है.

जल्द होगा कैबिनेट फेरबदल

गुजरात चुनाव का प्रभारी बनाए जाने के बाद अरुण जेटली के लिए वित्त मंत्री औऱ रक्षा मंत्री के रुप में काम करना काफी मुश्किल होगा. एक साथ तीन-तीन बड़ी जिम्मेदारी के बाद अब माना जा रहा है कि अगले कैबिनेट विस्तार में अरुण जेटली का बोझ हल्का किया जा सकता है.

जेटली से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी लेकर किसी फुलटाइम व्यक्ति को इस अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है. ऐसे में जेटली बतौर वित्त मंत्री सरकार में काम करते रहेंगे और उनके लिए गुजरात विधानसभा चुनाव पर भी फोकस कर पाना आसान होगा.

लेकिन अपने गृह राज्य गुजरात में अमित शाह भी पूरी तरह से रणनीति बनाते नजर आएंगे. यूपी जैसे बड़े राज्य में ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार अमित शाह के लिए भी गुजरात में अब तक की सबसे बड़ी जीत की जरुरत होगी.

इस बात को शाह समझते भी हैं. लिहाजा इस पूरी ‘टीम जेटली’ को बनाने के पीछे उनकी ही रणनीति मानी जा रही है. शाह के साथ-साथ बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव भी बतौर गुजरात के प्रभारी काफी सक्रिय दिख रहे हैं.

मोदी-शाह की अपेक्षा पर अगर ‘टीम जेटली’ खरी उतर गई तो एक बार फिर से अरुण जेटली बीजेपी के भीतर चाणक्य की भूमिका में नजर आ सकते हैं.