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हिमाचल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों में है बगावत

टिकट बंटवारे के बाद दोनों पार्टियों के कई बड़े नाम निर्दलीय पर्चा भर रहे हैं

Matul Saxena

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन-पत्र भरने की तारीख की खत्म होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी और बीजेपी में टिकट न मिलने के कारण बगावत पर उतरे प्रत्याशियों ने निर्दलीय नामांकन पत्र भर कर यह सिद्द कर दिया है कि दोनों ही पार्टियों में बगावत पर पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं आई है.

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कल एक बयान दे कर यद्दपि बागी प्रत्याशियों को पार्टी की ओर से कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी है वहीं दूसरी ओर बीजेपी के प्रमुख नेता बागियों को शांत करने के लिए अपनी रणनीति पर विचार मंथन कर रहे हैं. बीजेपी में इसके लिए केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत. जे.पी. नड्डा, प्रेम कुमार धूमल. प्रदेश प्रभारी मंगल पाण्डेय. अनुराग ठाकुर आदि ज़ी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं.


बड़ी तादाद में हैं बागी

कल नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख समाप्त हो गयी है और 26 अक्टूबर तक नाम वापिस लिए जा सकते हैं. प्रदेश में 476 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरे जिनमे से सबसे अधिक 119 कांगड़ा जिला में भरे गए. चुनाव के दंगल में कितने बागी हिस्सा लेंगे यह तो 26 अक्तूबर के बाद ही पता लगेगा लेकिन कुछ विधान सभा क्षेत्रों में दोनों पार्टियों के बागी उम्मीदवारों का चुनाव लड़ना निश्चित लगता है. प्रदेश के मनाली विधानसभा क्षेत्र में भुवनेश्वर गौड़ और धर्मवीर धामी कांग्रेस पार्टी की टिकट के इच्छुक थे लेकिन इन दोनों को टिकट की दौड़ से बाहिर करके राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेश संयोजक हरि चंद शर्मा को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया गया है.

इसके विरोध में धर्मवीरधामी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन-पत्र भरा है. यदि धामी चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा लाभ बीजेपी के उम्मीदवार गोविन्द ठाकुर को होगा. शिमला जिले के रामपुर विधान सभा क्षेत्र से भी कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान नेता और कभी वीरभद्र सिंह के खासमखास रहे सिंघी राम ने भी टिकट न मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भरा है. यदि सिंघीराम ने चुनाव लड़ा तो रामपुर विधान सभा क्षेत्र में भी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.

बीजेपी के बड़े नाम भी बागी

उधर दूसरी ओर बीजेपी भी पूरी तरह बगावत रोकने में असफल रही है. नड्डा के गृह-जनपद बिलासपुर में हालांकि बगावत पर अंकुश लग गया है लेकिन शिमला, कांगड़ा और चंबा में पार्टी अभी तक बगावत को पूरी तरह रोक नही सकी है. जिला शिमला की कुसुम्पटी विधान सभा क्षेत्र से बीजेपी का टिकट न मिलने के चलते वीरभद्र सिंह की पत्नी के भाई पृथ्वी विक्रम सेन ने निर्दलीय पर्चा भरा है.

चंबा में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. वर्तमान विधायक वी.के. चौहान ने निर्दलीय नामांकन भरा है. जिला कांगड़ा के पालमपुर में बीजेपी टिकट के प्रबल दावेदार प्रवीण शर्मा ने भी टिकट ना मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.

दोनों राष्ट्रीय दलों में बगावत का यह सिलसिला घातक सिद्द हो सकता है. आगामी दो दिनों में यदि इन बागी उम्मीदवारों को मनाया नही गया तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए मुसीबत हो सकती है.