view all

हिमाचल चुनाव: वीआईपी सीट बिलासपुर जहां से जेपी नड्डा रहे हैं विधायक

इस सीट से उम्मीदवार की किस्मत राजपूत वोटर ही तय करते हैं तभी बीजेपी और कांग्रेस दोनों के कैंडिडेट राजपूत हैं

FP Staff

हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं. वहां 9 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं. राज्य का बिलासपुर विधानसभा सीट राज्य की राजनीति में बेहद अहम है. इस सीट से कांग्रेस के बंबर ठाकुर मौजूदा विधायक हैं. यह एक अनारक्षित सीट है.

बिलासपुर की नींव राजा दीपचंद्र ने 1653 में रखी थी. इस जगह के बार में कहा जाता है कि इस जगह का नाम व्यासपुर था जिसका अपभ्रंश बिलासपुर हो गया. कहा जाता है कि दीपचंद्र ने ही महाभारत लिखने वाले महर्षि व्यास की याद में यह नगर बसाया था. महर्षि व्यास के यहां की एक गुफा में तपस्या करने की बात भी कही जाती है.


बिलासपुर सतलुज नदी के दक्षिण पूर्व में स्थित है और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 670 मीटर की है. बिलासपुर को कहलूर भी कहा जाता है. यहां 1894 में गोरखों ने अतिक्रमण किया था लेकिन उन्हें वहां से अंग्रेजों ने खदेड़ दिया था.

बिलासपुर एक राजपूत बहुल इलाका है जहां कि तकरीबन 37 फीसदी आबादी राजपूत है. इसके बाद आते हैं ब्राह्मण जिनका प्रतिशत 18 है.

जेपी नड्डा रह चुके हैं विधायक

शायद यही कारण है कि इस बार यहां से उतारे गए बीजेपी और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार राजपूत है. बीजेपी से सुभाष ठाकुर और कांग्रेस से बंबर ठाकुर. गौरतलब है कि केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री जेपी नड्डा इस सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि कहा यह जा रहा है कि सीएम प्रत्याशी बनने की रेस में वह राजपूत बिरादरी के प्रेम कुमार धूमल से पिछड़ गए. इसका कारण बीजेपी का यह भय बताया जा रहा है कि अगर धूमल उम्मीदवार न बनते तो राजपूत वोट कांग्रेस के वीरभद्र सिंह को जा सकता था.

इलाके में सतलुज नदी पर बने भाखड़ा बांध के विस्थापित भी रहते हैं. यहां एक सीमेंट कारखाना है जिससे लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं. 75 फीसदी साक्षरता वाले बिलासपुर में 75,360 मतदाता हैं. यहां के मौजूदा विधायक को इलाके का बड़ा दबंग माना जाता है. बंबर ठाकुर ने तो एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जेपी नड्डा की हार का कारण बने. इसके अलावा उन्हें बीजेपी के प्रेम कुमार धूमल का करीबी भी माना जाता है. कहते हैं कि बिलासपुर में बस उनकी ही चलती है.