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तेज-ऐश्वर्या प्रकरण: सत्ता और ताकत के खेल में दो जिंदगियां मोहरा बनकर रह गईं!

नीतीश सरकार में तेज प्रताप के साथ काम कर चुके चंद्रिका राय क्या समझ नहीं पाए कि तेज और उनकी बेटी की जोड़ी बेमेल है?

Swati Arjun

शादी हमारे सामाजिक जीवन का एक अहम पड़ाव होता है, जिससे आम तौर पर हर व्यस्क इंसान को गुजरना पड़ता है. दुनिया में और हर सभ्य समाज में इसे काफी इज्जत और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन देश और सभ्यताओं की भिन्नता के कारण कई बार इस सामाजिक प्रक्रिया में कुछ स्थानीय  और स्थापित मान्यताओं, बाध्यताओं और जरूरतों को ज्यादा महत्व दिया जाता है, न कि उन दो लोगों को जो इस बंधन या संबंध में जुड़ने जा रहे होते हैं.

तेज प्रताप-एश्वर्या की शादी मान्यताओं, बाध्यताओं, जरूरतों और राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की भेंट चढ़ने की मिसाल


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी के बेटे और नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी एश्वर्या राय की शादी भी इन्हीं मान्यताओं, बाध्यताओं, जरूरतों और राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की भेंट चढ़ाई जाने वाली शादियों में ताजा मिसाल बनकर सामने आई है.

आज भले ही इस शादी के टूटने की खबर, मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन सच यह है कि जब यह शादी होने की घोषणा की गई थी, तब भी यह उतनी ही सुर्खियों में रही थी. लालू यादव के बड़े बेटे तेज कभी भी राजनीतिक मटीरियल लगे ही नहीं. वो एक मनमौजी किस्म के, पूजा-पाठ करने वाले, कभी बांसुरी बजाकर कृष्ण तो कभी शिव का रूप धर कर जीवन जीने वाले मस्तमौला और फक्कड़ किस्म के इंसान लगे. उनका ज्यादा वक्त रासलीला का स्वांग रचने, मंदिर-मंदिर भटकने, किसी सार्वजनिक जगह पर जलेबी तलने, बीच सड़क पर खुले नल के नीचे बैठकर नहाने से लेकर फिल्मों में एक्टिंग करने तक ही सीमित रहा.

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक उन्होंने हिंदी मीडियम से ग्यारहवीं तक की शिक्षा हासिल की है. लेकिन, घोर राजनीतिक परिवार में जन्मे तेज प्रताप ने कभी भी सत्ता या पार्टी या पद को लेकर अपनी शादी से पहले तक कभी भी कोई खास रूचि नहीं दिखाई थी. और यह बात शायद उनके माता-पिता को पता था, और यही वजह है कि लालू यादव के जेल जाने के बाद पार्टी के औपचारिक कर्ता-धर्ता छोटे भाई तेजस्वी यादव बनाए गए न कि तेज प्रताप. सच तो यह है कि परिवार के भीतर राजनीतिक विरासत को लेकर जो भी तनातनी सामने आई है उसमें अक्सर मीसा भारती का नाम आया है, न कि तेज प्रताप का.

तेज प्रताप ने पटना के फैमिली कोर्ट में पत्नी ऐश्वर्या से तलाक की अर्जी लगाई है. जिसकी 29 नवंबर को सुनवाई होनी है

बिहार के एक रसूखदार राजनीतिक परिवार से आने वाली ऐश्वर्या की पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग है

इसके विपरीत ऐश्वर्या जो कि खुद बिहार के एक रसूखदार राजनीतिक परिवार से आती हैं उनकी पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग है. वो बिहार के दसवें मुख्यमंत्री दारोगा राय की पोती और बिहार सरकार में मंत्री रहे और लालू के करीबी चंद्रिका राय की बड़ी बेटी हैं. उन्होंने पटना के मशहूर कॉन्वेंट स्कूल नॉट्रेडेम से बारहवीं तक की पढ़ाई करने के बाद, दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से पोस्ट ग्रैजुएशन और फिर एमिटी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. वो एक तेज-तर्रार, हाईप्रोफाईल मेट्रो कल्चर में पली-बढ़ी लड़की हैं.

न ऐश्वर्या के ऐसा होने में कोई बुराई है न ही तेज प्रताप के. तेज अपनी जगह सही हैं और ऐश्वर्या अपनी जगह. दिक्कत कहीं है तो उस राजनीतिक अरेंजमेंट से जिसके तहत उनके परिजनों ने उनकी बेमेल शादी करवाई है. जैसे-जैसे, खबरें छन-छन कर आ रहीं हैं, उससे तो कम से कम यही लगता है कि न तो इस अरेंजमेंट से तेज खुश थे और न ही ऐश्वर्या. तेज के मुताबिक उन्हें शुरू से इस शादी के नहीं चलने का डर था क्योंकि वो अपनी और ऐश्वर्या की परवरिश में जो मूल फर्क है उसको समझते थे. लेकिन जैसा कि होता आया है, कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वकांक्षाओं, साजिश (जैसा कि वो कहते हैं) और बड़े मकसद यानी जाति के आधार पर वोटबैंक को मजबूत करने के एजेंडे के तहत इस शादी को अंजाम तक पहुंचाया गया. ऐश्वर्या भी यादव जाति से आती हैं.

लेकिन, लोगों की आकांक्षाओं के बोझ के तले तेज और उनकी पत्नी इस रिश्ते को निभा पाने में सफल नहीं हुए. ऐसा कहा जा रहा है कि कुशाग्र और घर की बड़ी बहू ऐश्वर्या पार्टी में बड़े भाई होने के नाते तेज के लिए बड़ा पद चाहती हैं (जिसकी बानगी पिछले कुछ महीनों के दौरान तेज के कुछ ट्वीट्स से सामने आया) और वो लगातार इसका दबाव बना रहीं थी. इसमें ऐश्वर्या को उनकी मां पूर्णिमा राय का भी साथ हासिल था, लेकिन पत्नी और परिवार के बीच तेज खुद को परेशान हालत में खड़ा पा रहे थे और अंतत: उन्होंने तलाक का फैसला कर लिया.

लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप की ऐश्वर्या राय के साथ 12 मई को पटना में धूमधाम से शादी हुई थी

चंद्रिका राय समझ नहीं पाए कि तेज और उनकी बेटी की जोड़ी बेमेल है

अगर, हम फ्लैशबैक में जाएं तो याद करेंगे कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले और बाद में, नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने तक दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जो भी वाद-विवाद हुआ उसमें अकसर तेज निशाने पर रहे. उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कई बार तेज की शादी के मुद्दे पर छींटाकशी भी थी. शायद, इन सब बातों ने एक दबाव का माहौल बना दिया था. जिसके बाद आनन-फानन में इस शादी का ऐलान कर दिया गया. चंद्रिका राय के पास यह अच्छा मौका था - अपनी बेटी को पूर्व मुख्यमंत्री की पोती से मौजूदा मुख्यमंत्री की भाभी या बहू बनाने का. जाहिर है, इससे उनका राजनीतिक कद और करियर दोनों ही न सिर्फ बेहतर होता बल्कि लंबे समय तक के लिए सुरक्षित भी. लेकिन, क्या तेज प्रताप के साथ नीतीश मंत्रिमंडल में काम कर चुके चंद्रिका राय वो नहीं समझ पाए जो पूरे राज्य की जनता समझ गई थी कि तेज और उनकी बेटी की जोड़ी बेमेल है?

हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है. हमारे देश में इसका इतिहास सदियों पुराना है. सबसे बड़ा उदाहरण तो सम्राट अकबर और राजपूत राजकुमारी जोधा का पाणिग्रहण संस्कार है. इस तरह के रिश्तों में राजनीति के अलावा, औद्योगिक फायदा, बिजनेस डील, पावर इक्वेशन और सामाजिक मान प्रतिष्ठा बड़ा कारक बनती है. जैसे लक्ष्मी निवास मित्तल की बेटी वनीशा मित्तल और अमित भाटिया की शादी, श्वेता बच्चन और निखिल नंदा, सौरभ धूत और राधिका सिंघल, सुशांतो रॉय और ऋचा आहूजा, विवेक बियानी और तनुश्री धूत शामिल हैं. जो इस बात की तस्दीक करता है कि हमारे देश में आज भी बड़े और रसूखदार परिवारों में होनेवाली शादियों में प्रेम या आपसी तालमेल की जरूरत सबसे आखिरी होती है, पहले और ज्यादा महत्वपूर्ण अक्सर राजनीतिक और औद्योगिक गठबंधन होता है.

मौजूदा प्रकरण के बाद हम सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं कि सत्ता और ताकत के इस खेल में युवा जिंदगियों को मोहरा नहीं बनाया जाएगा.