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बिहार: सियासी दल ‘जिन्न’ पटाओ अभियान में जोर-शोर से जुटे हैं, 2019 का 'महाभारत' जीतना मकसद

अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए बिहार के सियासी दलों के बीच ‘जिन्नों’ को अपने-अपने पक्ष में रिझाने और पटाने की जबरदस्त रूप से होड़ शुरू हो गई है. कौन दल बाजी मारेगा इसका पता 2019 में ही चलेगा

Kanhaiya Bhelari

नीतीश कुमार वर्ष 1995 में हुआ विधानसभा चुनाव बुरी तरह हार चुके थे. लालू यादव गदगद थे क्योंकि पहली बार उन्हें पूर्ण बहुमत मिला था. चुनाव में पराजित विपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएम लालू यादव बैलेट बाक्स से ‘जिन्न’ निकालकर यानी चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली कराकर सत्ता पर काबिज हुए हैं.’

आदतन कम बालने वाले नीतीश कुमार विपक्ष के इस आरोप से बहुत ज्यादा इत्तफाक नहीं रखते थे. बातचीत में उन्होंने बताया कि ‘जिन्न तो बैलेट बाक्स से निकले हैं. लेकिन मैं इस भ्रम में कतई नहीं हूं कि कोई गड़बड़ी कराकर इतना बड़ा स्कोर खड़ा कर लेगा.’


'वोट जिन्न की शक्ल में बैलट बाक्स से बाहर आया है'

‘राजा’ के घोर राजनीतिक विरोधी नीतीश कुमार ने समझाया था कि ‘दूसरी बार सीएम की कुर्सी पाने के बाद लालू यादव ने अति पिछड़ों और दलितों को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए उनके बीच जाकर लगातार झूठ की खेती की है. सीएम ने उनको आसमान से तारे लाकर देने तक का आश्वासन दिया है. उसी जमात का वोट जिन्न की शक्ल में बैलट बाक्स से बाहर आया है.’

लालू यादव

नीतीश कुमार ने तब ‘शपथ’ लिया था कि इन ‘जिन्नों’ को एक दशक के भीतर अपने पक्ष में लाउंगा और लालू यादव को चुनावी समर में शिकस्त दूंगा.’ आकाशीय तारे नहीं पाने के कारण लालू यादव से नाराज ‘जिन्नों’ ने अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को सीएम की गद्दी पर बिठाने के लिए अग्रेसिव होकर मतदान किया.

बहरहाल, 2019 में होने वाली महाभारत को घ्यान में रखकर बिहार के सियासी दलों के बीच ‘जिन्नों’ को अपने-अपने पक्ष में रिझाने और पटाने की जबरदस्त रूप से होड़ शुरू हो गई है. कौन दल बाजी मारेगा यह तो 2019 के चुनावी समर में ही पता चलेगा. बिहार में अति पिछड़ों की आबादी करीब 32 प्रतिशत है जबकि दलित और महादलित के तौर पर विभाजित अनुसूचित जाति की संख्या 16 फीसदी के आस-पास मानी जाती है.

‘जिन्न’ के समर्थन से सत्ता पर पिछले 13 वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाने वाले मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार अति पिछड़े, दलित और महादलित कुनबे को अपने पाले में करने की मुहिम के तहत कई कार्यक्रम चला रहे हैं. बिहार के हर जिले में अगस्त महीने में अति पिछड़ा सम्मेलन कार्यक्रम का युद्धस्तर पर आयोजन किया गया. अभी एक सप्ताह से हर जिला मुख्यालय में दलित-महादलित सम्मेलन हो रहा है जो शनिवार तक चलेगा.

नीतीश कुमार

'नीतीश कुमार ने कभी भी अनाप-शनाप आश्वासन नहीं दिया है'

जेडीयू के प्रवक्ता और विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार दावा करते हैं कि ‘इन वर्गाें से ताल्लुक रखने वाले लोगों का अपार समर्थन मिल रहा है. इसका मूल कारण यह है कि हमारे नेता नीतीश कुमार ने कभी भी अनाप-शनाप आश्वासन नहीं दिया है. बल्कि जो कहा है वो किया है. आने वाले चुनाव में जेडीयू उनके सामाजिक भागीदारी को नजरअंदाज नहीं करेगा.’ राजनीतिक गलियारे में नीतीश कुमार का हाल में दिया गया बयान, ‘आरक्षण को कोई समाप्त नहीं कर सकता है’, ‘जिन्न’ पटाओ मुहिम से जोड़कर देखा जा रहा है.

एक ओहदेदार सरकारी मुलाजिम ने वाॅटसऐप मैसेज भेजकर बिहार के सभी 57 जेलों के जेलरों से वैसे कैदियों का कास्ट ब्रेकअप मांगा है जो 2016 में लागू दारूबंदी कानून को तोड़ने के आरोप में जेल गए हैं. कहते हैं कि सरकार की तरफ से इस तरह की पहल तब की गई जब मीडिया में खबर छपी कि पकड़े गए करीब डेढ़ लाख कानून तोड़कों में 90 प्रतिशत अति पिछड़ा, दलित और महादलित समाज से आते हैं. चुनावी वर्ष में ‘जिन्न’ की नाराजगी राजनीतिक सेहत के प्रतिकूल होगा.

‘जिन्न’ को खुश कर के अपने घर में लाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की तरफ से जोर-शोर से अभियान चलाया जा रहा है. विपझ के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पिछले मई महीने से लगातार जलसे आयोजित किए जा रहे हैं. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी को अपने पक्ष में लाने की बात को इस मुहिम से जोड़कर देखा जा रहा है. आरजेडी ने 3 दिसंबर को पटना में 3 दिवसीय अति पिछड़ा सम्मेलन आयोजित करने का ऐलान किया है.

उसी प्रकार, बीजेपी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) भी इस मजबूत वोटबैंक को अपनी-अपनी झोली में बटोरने के लिए दंड बैठक कर रहे हैं. अति पिछड़ा समाज से जुड़े पनेरी जाति की रैली को संबोधित करते हुए मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि ‘देश में बीजपी ही एकमात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो समाज से वंचित जातियों पर विशेष ध्यान देती है.’

उपेंद्र कुशवाहा

'EBC, दलित और महादलित उपेंद्र कुशवाहा को CM के पद पर देखने के लिए बेचैन' 

केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली आरएलएसपी पिछले 2 महीने से राज्य भर में दलित-अति पिछड़ा अधिकार सम्मेलन करा रही हैं. जिसका समापन 8 अक्टूबर को पटना में महारैली आयोजन के साथ होगा. प्रदेश महासचिव बसंत चौधरी दावा करते हैं, ‘ईबीसी, दलित और महादलित उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री के पद पर देखने के लिए बेचैन हैं.’ लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी अपने पार्टी के पदाधिकारियों को निर्देश दे दिया है कि ‘जिन्न को अपने बंगला में लाने के लिए युद्धाभ्यास शुरू कर दो.’