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बिहार कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक चौधरी का अगला कदम क्या होगा ?

चौधरी अभी भी पार्टी के भीतर एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम करने की बात कह रहे हैं लेकिन, उनकी तल्खी आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर के भूचाल का संकेत दे रही है.

Amitesh

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाए गए अशोक चौधरी के अगले कदम का इंतजार अब सबको है. क्या अशोक चौधरी कांग्रेस में ही एक समर्पित सिपाही की तरह काम करते रहेंगे या फिर कांग्रेस के बाहर अब अपना सियासी सफर शुरू करेंगे. ये चंद सवाल आजकल पाटलिपुत्र की सियासी फिजाओं में तैर रहे हैं.

अध्यक्ष पद से विदाई के अगले ही दिन अशोक चौधरी जब मीडिया से मुखातिब हुए तो उनके तेवर तल्ख दिखे. पद से हटाए जाने का दर्द साफ-साफ दिख  भी रहा था. अशोक चौधरी ने कांग्रेस के बिहार प्रभारी सी पी जोशी पर पार्टी आलाकमान को गुमराह करने का आरोप लगा दिया.


अशोक चौधरी के JDU में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे

अशोक चौधरी ने कहा कि जिस व्यक्ति ने देशभर में कांग्रेस की लुटिया डूबो दी उसे बिहार चलाने की जिम्मेदारी दी गई.

पार्टी तोड़ने के आरोप पर अशोक चौधरी ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए. उन्होंने पार्टी पर दलित नेता को अपमानित करने का आरोप भी लगा दिया. अशोक चौधरी ने दलित कार्ड खेलकर इस वक्त कांग्रेस को भी मुश्किल में डालने की कोशिश की है.

हालांकि चौधरी अभी भी पार्टी के भीतर एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम करने की बात कह रहे हैं लेकिन, उनकी तल्खी आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर के भूचाल का संकेत दे रही है.

सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले तक अशोक चौधरी के जेडीयू में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. इस तरह के कयासों को बल भी तब  मिला जब अशोक चौधरी कई मोर्चों पर नीतीश सरकार का बचाव करने लगे.

चौधरी की नीतीश कुमार के साथ अभी पुरानी दोस्ती खत्म होती नहीं दिख रही है. महागठबंन की सरकार में बतौर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम किया है.

लेकिन, महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ बिहार में नई सरकार बना ली. जुलाई के आखिर में हुए इस सियासी घटनाक्रम के बाद से ही कांग्रेस में टूट को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं.

उस वक्त कई कांग्रेसी नेताओं के बयानों से भी साफ लग रहा था कि वो बिहार में लालू यादव के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि लालू के साथ मिलकर अगला चुनाव जीतना उनके लिए मुश्किल होगा. बिहार में कांग्रेस के 27 एमएलए हैं. कयास लग रहा था कि इनमें से दो तिहाई एमएमए यानी 18 एमएलए टूटकर जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.

पार्टी आलाकमान अशोक चौधरी से खुश नहीं हैं

कांग्रेस में संभावित टूट का सूत्रधार अशोक चौधरी को ही बताया जा रहा था, जिसे चौधरी ने कई बार खंडन भी किया और आरोप लगाया कि उन्हें बदनाम करने की कोशिश के तहत ऐसा किया जा रहा है.

हालांकि इस बीच बिहार कांग्रेस के भीतर बवाल को ध्यान में रखकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक चौधरी समेत पार्टी के सभी विधायकों को दिल्ली तलब किया था. अलग-अलग बातचीत भी हुई और विधायकों की राय जानने के बाद लगभग तय भी हो गया था कि आलाकमान अशोक चौधरी से खुश नहीं है.

आखिरकार अशोक चौधरी को अध्यक्ष पद से चलता कर दिया गया. अब नए अध्यक्ष का ऐलान भी जल्द होगा, लेकिन, तबतक बिहार में कांग्रेस के लिए कौरव कादरी को कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया गया है.

सूत्रों के मुताबिक अगर अभी अशोक चौधरी के नेतृत्व में कांग्रेस में बगावत होती है तो फिर इसे कांग्रेस के भीतर अशोक चौधरी के विरोधी नेताओं का आरोप सच साबित हो जाएगा. लिहाजा अभी अशोक चौधरी वेट एंड वाच की मुद्रा में  ही काम करते दिखेंगे.

अब नए अध्यक्ष के बनने तक का इंतजार अशोक चौधरी कर सकते हैं. माना जा रहा है कि अगले  साल अप्रैल में राज्यसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस के सामने अपने विधायकों को जोड़े रखने की बड़ी चुनौती होगी. उस वक्त अशोक चौधरी और उनके समर्थक विधायक शायद कोई बड़ा फैसला कर लें, जिसको लेकर अबतक कयास भर ही लग रहे हैं.