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उपेन्द्र कुशवाहा के बयानों के जवाब BJP दे रही है, JDU को बोलने की जरूरत क्या है?: श्रवण कुमार

बिहार सरकार में ग्रामीण विकास और संसदीय कार्यमंत्री और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी श्रवण कुमार से खास बातचीत

Vivek Anand

बिहार की सियासत की सरगर्मी एक दिन के लिए भी कम नहीं पड़ती. 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से गहमागहमी है. एनडीए में सीटों का बंटवारा एक बड़ा मसला है. पिछले दिनों बिहार के सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात हुई थी. कहा जा रहा था कि अगले 4-5 हफ्तों में सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकाल लिया जाएगा. लेकिन अब तक बात अटकी हुई है.

इसी मसले पर हमने बिहार सरकार में ग्रामीण विकास और संसदीय कार्यमंत्री श्रवण कुमार से बात की. श्रवण कुमार बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं. वो नालंदा विधानसभा क्षेत्र से 1995 से अब तक लगातार जीतते आ रहे हैं. पेश है उनके साथ की गई बातचीत के अंश


फ़र्स्टपोस्ट- बिहार में पिछले दिनों एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर काफी गहमागहमी रही. एक बार खबर यहां तक चली कि नीतीश कुमार फिर से महागठबंधन में जा सकते हैं. फिर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बीच मुलाकात हुई. अब बीजेपी ने एक सकारात्मक पहल करते हुए जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश को राज्यसभा का उपसभापति बनवा दिया. इसके बाद क्या अब मान लिया जाए कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सबकुछ ठीक हो गया है, रिश्तों में गर्मजोशी पहले की तरह आ गई है?

श्रवण कुमार- राजनीति संभावनाओं का खेल है. नीतीश कुमार की एक खासियत है कि जिस गठबंधन में नीतीश कुमार रहते हैं, वो गठबंधन धर्म का पालन करते हैं. उनके लिए सीट कोई महत्व का विषय नहीं है. सीट बढ़ भी सकती है, घट भी सकती है. जब किसी गठबंधन को उन्होंने तिलांजलि दे दी और उसके बाद नए गठबंधन में शरीक हुए हैं, तो नीतीश कुमार उस गठबंधन धर्म का पालन करेंगे.

नीतीश कुमार बीजेपी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे. जब चुनाव का समय आएगा तो जो हमारी ताकत है, जो हमारी हैसियत है उसके हिसाब से सीटों का बंटवारा होगा. गठबंधन है, गठबंधन रहेगा और कुछ भी गठबंधन में गड़बड़ नहीं है. कुछ भ्रामक खबरें आती हैं तो नीतीश कुमार मीडिया में उसका खंडन भी करते रहते हैं.

फ़र्स्टपोस्ट- बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि अगले 4-5 हफ्तों में सीट शेयरिंग का मसला सुलझा लिया जाएगा. कोई न कोई फॉर्मूला निकाल लिया जाएगा. तो क्या अब फॉर्मूला मिल गया है. आपको क्या लगता है कि जेडीयू को कितनी सीटें मिलेंगी?

श्रवण कुमार- सीट कितनी मिलेगी इसके बारे में नहीं बता सकता. लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि सीट को लेकर गठबंधन में कोई समस्या नहीं है. गठबंधन पूरी तरह से एकजुट है. 2019 का चुनाव हमलोग मिलकर लड़ेंगे. दिल्ली के तख्त पर एक बार फिर से हमलोग मोदीजी को बिठाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट- आप लंबे समय से जेडीयू में हैं. नीतीश कुमार के बेहद करीबी भी हैं. ऐसे ही करीबी किसी वक्त में उपेन्द्र कुशवाहा भी थे. उन्होंने नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली. पिछले दिनों उनके काफी सारे बयान चर्चा में रहे. पहले तो उन्होंने ये कहा कि 2019 में आरएलएसपी को जेडीयू से ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. फिर बयान आया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनना चाहिए, तीन टर्म के बाद उन्हें खुद बिहार की राजनीति से हट जाना चाहिए. एनडीए के भीतर रहते हुए आरएलएसपी लगातार जेडीयू को चुनौती दे रही है. आप क्या कहेंगे?

श्रवण कुमार- वो निजी तौर पर बयान दे रहे हैं. जिस पर बीजेपी की तरफ से उनके राष्ट्रीय प्रवक्ता, बिहार के प्रवक्ता से लेकर डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी तक अधिकृत बयान दे चुके हैं. अब ये बहस का विषय नहीं है. बिहार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा और कौन रहेगा ये तो बिहार की जनता तय करती है. पार्टियों के लीडर ये तय नहीं कर सकते कि बिहार का सीएम कौन होगा.

नीतीश कुमार बिहार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश में सबसे लोकप्रिय नेता के तौर पर उभर रहे हैं. मैं कह रहा हूं मुख्यमंत्री के रूप में नहीं नेता के रूप में उभर रहे हैं. खासकर बिहार की जनता के लिए उन्होंने काम किया है. आजादी के 72 वर्षों में महात्मा गांधी और बापू के सपनों को साकार करने के लिए अगर किसी एक आदमी ने सोचा तो वो हैं नीतीश कुमार. बिहार में हमारा सात निश्चय बापू के बताए रास्ते का अनुकरण करने वाला फैसला है. दलितों और महादलितों के लिए हमने बहुत काम किए हैं. हमने उन घरों में रोशनी जलाए हैं जहां सदियों से अंधेरा है.

फ़र्स्टपोस्ट- इधर बहुत चर्चा चल रही है कि उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलएसपी महागठबंधन के साथ जा सकती है. 1994 में जब समता पार्टी बनी थी तो आपलोग एकसाथ थे. उस वक्त कहा गया कि ये कोइरी-कुर्मी जाति की पार्टी है, लव-कुश की पार्टी है. आरएलएसपी और जेडीयू के वोट बैंक का आधार एक जैसा ही है. ऐसे में अगर वो महागठबंधन में चले जाते हैं तो आपके वोट बैंक को चोट पहुंचेगा. कोइरी वोट बैंक छिटकेगा?

श्रवण कुमार- देखिए वोट बैंक किसी का नहीं होता है. जातियों के बंधन अब पहले की तरह नहीं रहे हैं. वो टूट रहे हैं. अब लोग विकास देखना चाहते हैं. अब भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस को लोग पसंद कर रहे हैं. न्याय के साथ विकास को लोग पसंद कर रहे हैं. जो काम नीतीश कुमार आज कर रहे हैं, देश का कोई राज्य उसका मुकाबला नहीं कर सकता है. ये मैं दावे के साथ कह सकता है.

फ़र्स्टपोस्ट- आप जब विकास की बात करते हैं. तो अचानक याद आता है मुजफ्फरपुर का शेल्टर कांड. मुजफ्फरपुर में जो हुआ उसने तो नीतीश कुमार की छवि पर काफी आघात पहुंचाया है?

श्रवण कुमार- ये घटना बहुत दुखद है. जितनी भी इसकी निंदा की जाए कम है. लेकिन घटना जो घटी है, उसकी जानकारी कहां से मिली है? घटना को किसने पकड़ा? सरकार की जो इच्छाशक्ति है, जो जीरो टॉलरेंस की नीति है, सरकार का जो न्याय के साथ विकास की नीति है, उससे हम पीछे नहीं हटने वाले हैं.

जो लोग इस घटना में संलिप्त हैं, वो पकड़े जा रहे हैं. और मुझे याद है कि 11 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुआ है. 11 लोगों में से 10 लोग पकड़े गए. मैंने संसदीय कार्यमंत्री होने के नाते जवाब दिया था. विपक्ष की ओर से मांग उठी की सीबीआई से इसकी जांच होनी चाहिए, हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में जांच होनी चाहिए. अगर सरकार को कुछ भी छिपाना होता तो फिर केस सीबीआई को क्यों देती? फिर हाईकोर्ट की देखरेख में इसकी मॉनिटरिंग क्यों करवाती? इस तरह की घटना में शामिल लोग न बचे हैं और न बचेंगे. सरकार न किसी को फंसाती है और न किसी को बचाती है.

फ़र्स्टपोस्ट- लेकिन फिर भी समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के इस्तीफे में देरी हो गई. जिस तरह से विपक्ष ने सरकार पर तीखे हमले किए अगर मंजू वर्मा को पहले हटा दिया गया होता तो नीतीश सरकार पर इतनी अंगुलियां नहीं उठती?

श्रवण कुमार- विपक्ष का जो काम है वो करेगी. लेकिन इतनी बात मैं जरूर कह सकता हूं कि अभी भी बहुत चीजों को जानने और समझने की जरूरत है. मंजू वर्मा ने इस्तीफा दिया है. उनके पति के बारे में कुछ चीजें कही जा रही हैं तो उन्होंने ईमानदारी और निष्पक्षता का परिचय दिया. उन्होंने समझा कि हमारे मंत्री रहते हो सकता है कि निष्पक्ष जांच न हो इसलिए वो पद से हट गईं. इसके लिए तो उनका धन्यवाद देना चाहिए.

फ़र्स्टपोस्ट- एक बात कही जाती है कि नीतीश कुमार का पहला कार्यकाल बहुत अच्छा था. उसी के बूते उन्हें जनता ने दूसरा कार्यकाल दिया. वो भी अच्छा रहा. तीसरे कार्यकाल में आते-आते बात बिगड़ गई. सृजन घोटाला आ गया, छात्रवृति घोटाला आ गया. बीच में आपलोग महागठबंधन के साथ चले गए. महागठबंधन के साथ जाने पर कहा जाने लगा कि जंगलराज की वापसी आ गई. आज लालू के बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नीतीश सरकार को राक्षसराज कह रहे हैं. क्या आपको लगता है कि महागठबंधन के साथ जाने के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई जो अभी तक संभल नहीं पाई है.

श्रवण कुमार- कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से खराब नहीं हुई है. लेकिन अभी छोटी भी घटना होती है तो बड़ी चर्चा हो जाती है. सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बड़े से बड़ा कदम उठाया है. गलत काम करने वाला बड़े से बड़ा कद्दावर नेता या अधिकारी नीतीश कुमार के शासन में बचकर नहीं निकला है. एक-एक चीज का उद्भेदन हुआ है. मैं मानता हूं कि सृजन घोटाला हुआ है. गड़बड़ियां हुई हैं. लेकिन हमने उसको पकड़ने का काम किया है. दोषियों को जेल की सलाखों में बंद करने का काम किया है. आज इस तरह की घटना न हो इसके लिए सख्त कार्रवाई सरकार की तरफ से की जा रही है.

फ़र्स्टपोस्ट- 2019 के चुनाव को लेकर खूब गहमागहमी है.बिहार की स्थिति बिल्कुल अलग है. एनडीए में कई सारे दल हैं. आरएलएसपी भी है, रामविलास पासवान की पार्टी है, आप भी हैं, बीजेपी भी है. सबके अपने-अपने दावे हैं. आप क्या उम्मीद करते हैं बड़ा भाई कौन होगा, छोटा भाई कौन होगा. सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा?

श्रवण कुमार- हमने पहले बताया राजनीति संभावनाओं का खेल है. जब समय आता है तो घटक दल के सारे बड़े नेता मिल बैठकर इस मामले का हल निकालेंगे. मैं समझता हूं कि 2019 का जो चुनाव होगा, वो हमारा होगा. हमलोग के पक्ष में होगा.

फ़र्स्टपोस्ट- उपेन्द्र कुशवाहा ने हाल के दिनों में जेडीयू और सीएम नीतीश को लेकर कई सारे बयान दिए हैं. नीतीश कुमार की तरफ से कोई जवाब क्यों नहीं आता है?

श्रवण कुमार- नीतीश कुमार जवाब क्या दें? उन्हें जवाब तो मिल रहा है. जब उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे तो बीजेपी ने उनको जवाब दिया. अब इस पर नीतीश कुमार क्या बोलें? बिहार की जनता वोट डालती है. वो वोट डालकर मुख्यमंत्री चुनती है. कोई पॉलिटिकल पार्टी वोट डालकर मुख्यमंत्री नहीं चुनती. पॉलिटिकल पार्टी सीएम तब बनाती है, जब उसे बिहार की जनता का जनादेश मिलता है. जब जनता के हाथ में सबकुछ है तो जनता जो तय करेगी हम उसे स्वीकार करेंगे.

फ़र्स्टपोस्ट- 2019 की तैयारी चल रही है और साथ में ये भी कहा जा रहा है कि लोकसभा के साथ राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हो सकते हैं. 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव है. अगर 2019 में ही बिहार का चुनाव करवा लिया जाए तो क्या आप तैयार हैं? आपकी इस पर क्या राय है?

श्रवण कुमार- इस पर पार्टी की तरफ से अधिकृत बयान आ चुका है. उस पर काफी बातें आगे बढ़ चुकी हैं. हम इसके पक्ष में हैं कि सारे चुनाव एकसाथ होने चाहिए. लेकिन सभी राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ होने चाहिए. ऐसा न हो कि कुछ राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ हो जाएं और बाकी के रह जाएं. इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत होगी.

फ़र्स्टपोस्ट- एक आखिरी सवाल है कि जब आपने महागठबंधन से निकलने का फैसला किया. उस वक्त के बारे में कई सारी बातें की जाती हैं. कहा जाता है कि सिर्फ करप्शन का मुद्दा नहीं था. बहुत सारी चीजें और भी थी, जिसकी वजह से आप अलग हुए. क्या कहानी थी उस वक्त की

श्रवण कुमार- देखिए. बातें बिल्कुल स्पष्ट थी. उस वक्त के डिप्टी सीएम पर आरोप लगे थे. उन्हें जनता को जवाब देना था. उन्हें काफी वक्त दिया गया. लेकिन जब काफी वक्त देने के बाद भी वो जवाब नहीं दे पाए. तो हमने अपने आपको अलग कर लिया. यही स्थिति थी.