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ये क्या कह गए सुशील मोदी? हाथ जोड़ने से बिहार में रुकेगा क्राइम?

यूपी में योगी सरकार पर एनकाउन्टर को लेकर भले ही सवाल उठते हों लेकिन अपराधियों के सामने हाथ जोड़ने को लेकर तो कम से कम कोई राजनीतिक ‘तेजस्वी’ सवाल नहीं उठा सकता है

Kinshuk Praval

बिहार के मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर समीर कुमार की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. हत्यारे एके-47 से उन पर बेतहाशा गोलियां बरसाते रहे और फिर हवा में गोलियां चलाकर फरार हो गए. वारदात से लोग सन्न रह जाते हैं. राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ जाती है. आएलएसपी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा कहते हैं कि, 'हे भगवान ये क्या हो रहा है?'

जाहिर तौर पर सुशासन के दावे के दौर में इस तरह के अपराधों के शोर में सियासी सन्नाटा कैसे बना रह सकता है. आरोप लगेंगे ही और सवाल भी उठेंगे. लेकिन उन सबसे बेपरवाह बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक अलग राग छेड़ दिया. सुशील मोदी अपराधियों से गुहार लगा रहे हैं. वो याचक की मुद्रा में अपराधियों से हाथ जोड़ कर कह रहे हैं कि कम से कम पितृपक्ष पर किसी प्रकार का अपराध न करें.


किसी राज्य के डिप्टी सीएम का अपराधियों के साथ इस तरह का अनुनय-विनय वाकई कई सवाल खड़े करता है. ये राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर से उठते भरोसे का सबूत सा दिखता है. बयान से लगता है कि जैसे खुद राज्य सरकार का भी आम जनता की ही तरह राज्य की कानून व्यवस्था पर से भरोसा उठ चुका है. शायद डिप्टी सीएम भी ये जानते हैं कि अपराध रोके नहीं जा सकते हैं इसलिये पितृपक्ष का सहारा लेकर हाथ जोड़ने से कम से कम कुछ दिनों के लिये ही सही अपराध पर रोक लग सके.

कमजोर हाथों में राजदंड सुरक्षित नहीं रहता है. फिर बेबसी से भरे बयानों पर क्या कहा जाए. सुशील मोदी का ये बयान साबित कर रहा है कि अपराधियों पर नकेल कसने में सरकार के हाथ कांप रहे हैं इसलिये सरकार हाथ जोड़ रही है.

बिहार से सटे यूपी में भी अपराधियों का आतंक और क्राइम कम नहीं है लेकिन यहां अपराधी ही हाथ जोड़ कर थानों के चक्कर लगा रहे हैं ताकि उनका एनकाउन्टर न हो जाए. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों को सरेआम ठोक देने की धमकी दी जिसके चलते वो विवादों में भी घिर गए हैं. वहीं दूसरे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि यूपी में अपराधियों के खात्मे के बाद ही रामराज्य की स्थापना हो सकेगी. यूपी में एनकाउन्टरों की गूंज है. एनकाउन्टरों के खौफ से कई जगहों पर अपराधी खुद जेलों में जाकर सरेंडर कर आए हैं.

इसके उलट बिहार में अपराधी एके-47 लहरा रहे हैं और डिप्टी सीएम कह रहे हैं कि पितृपक्ष में तो कम से कम अपने पुरखों का ख्याल कर लो. कोई हत्या या लूट मत करो. क्या ऐसी अपीलों से बेखौफ,बेरहम और जड़ अवचेतन के अपराधी पिघलेंगे और वो कोई अपराध करने से पहले सरकार की गुहार को याद करेंगे?

अगर अपराध पर लगाम कसने में कोई भी राज्य सरकार नाकाम साबित होती है तो वो कम से कम डिप्टी सीएम सुशील मोदी की तर्ज पर सियासी बहानेबाजी कर जनता के साथ इमोशनल अत्याचार ना ही करे. बेहतर होता कि पितृपक्ष के मौके पर सुशील मोदी 15 दिनों के भीतर हत्यारों को उनके सही ठिकानों पर पहुंचाने का ऐलान करते.

अक्सर रमजान के मौके पर जम्मू-कश्मीर में सेना सीज़फायर का ऐलान करती है. लेकिन ऐसा भी कतई नहीं है कि सेना आतंकियों से हाथ जोड़ कर हमले न करने की अपील करती है. सुशील मोदी की अपराधियों से भावनात्मक अपील दरअसल सीजफायर का सियासी इस्तेमाल दिखाई देती है.

सुशील मोदी के बयान पर राजनीतिक विरोधियों को भी एक मौका मिला. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अपराधियों के सामने गिड़िगिड़ाने से शासन नहीं चलता है बल्कि शासन रौब से चलता है. वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि बिहार में पुलिस से ज्यादा अपराधियों के पास एके-47 है और कुछ दिनों में अपराधियों के पैर भी पकड़ें जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा.

बिहार में कानून व्यवस्था हर दौर की सरकार के वक्त बड़ा मुद्दा रहा है. लेकिन हाल ही बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं के चलते बिहार मॉब लिंचिंग कैपिटल बनती जा रही है. पांच दिनों में बिहार में मॉब लिंचिंग की 6 घटनाएं हुईं हैं. भीड़ ने कानून हाथ में लेकर आरोपियों की पीट-पीटकर हत्या कर डाली.

बिहार में यौन उत्पीड़न, गैंगरेप और मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों की वजह से ही सीएम नीतीश कुमार ने 12 सितंबर को कानून व्यवस्था की समीक्षा के लिए हाईलेवल मीटिंग बुलाई थी. जाहिर तौर पर नीतीश के विकास और सुशासन के दावों पर कानून व्यवस्था के हालात बड़ी चुनौती हैं. लेकिन डिप्टी सीएम सुशील मोदी पूरे बिहार की बजाए सिर्फ गया को लेकर ही फिक्रमंद दिखे. वो नहीं चाहते कि पितृपक्ष के मौके पर अपराधी अपनी वारदात से गया की धरती को बदनाम करें. काश ये फिक्र वो बिहार के लिए भी दिखाएं और अपराधियों से सख्ती से निपटने के लिए यूपी सरकार की ही तरह कोई एलान करते. यूपी में योगी सरकार पर एनकाउन्टर को लेकर भले ही सवाल उठते हों लेकिन अपराधियों के सामने हाथ जोड़ने को लेकर तो कम से कम कोई राजनीतिक ‘तेजस्वी’ सवाल नहीं  उठा सकता है.