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बिहार: ये सेक्स स्कैंडल भी 'बॉबी कांड' की तरह कब्र की ओर बढ़ रहा है?

यूपी विधानसभा चुनाव के चलते पटना में हुए दलित लड़की से गैंगरेप की खबर राष्ट्रीय स्तर पर कहीं दब सी गई है

Kanhaiya Bhelari

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के कोलाहल से दूर बिहार की राजधानी पटना में एक सेक्स कांंड गूंज रहा है. इसे चाहे पीड़ित लड़की का दुर्भाग्य कहें या कुछ और पर यूपी चुनाव के चलते बिहार के इस कांड पर राष्ट्रीय मीडिया में उतनी बहस नहीं हुई जितनी होनी जरूरी थी.

बिहार में सत्ता के गालियारों में ये अटकलें लग रही हैं कि सरकार इस कांड को दबा देना चाहती है. लोग ऐसा इसलिए भी सोच रहे हैं क्योंकि इस कांड में जिन लोगों पर आरोप लग रहे हैं, उनके ताल्लुक प्रभावशाली लोगों से हैं. वैसे भी बिहार में इस तरह के कांड के अपनी मौत मर जाने के उदाहरण रहे हैं.


जो लोग सवालों के घेरे में हैं, उनमें से एक कांग्रेस नेता ब्रजेश कुमार पाण्डेय है. पटना के सगुना मोड़ स्थित महिंद्रा जीप एजेंसी के मालिक निखिल प्रियदर्शी के अलावा कई और ताकतवर लोग हैं. ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस सेक्स कांड में कांग्रेस के एक पूर्व नेता के बेटे और सीनियर आईपीएस अफसर सहित कई और रसूखदार लोग शामिल हैं.

कांग्रेस नेता ब्रजेश पाण्डेय पर हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट में शामिल रहने का आरोप है (फोटो: फेसबुक से साभार)

जिस लड़की ने शोषण के आरोप लगाए हैं वो खुद कांग्रेस के एक दलित नेता की बेटी है. लड़की और उसके परिवार वाले अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. लड़की के पिता जो कि खुद राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने अपनी बेटी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रिय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की है.

सीबीआई जांच की मांग

बिहार विधानसभा में बीजेपी के विधायक प्रेम कुमार आरोप लगाते हैं कि, ‘इस कांड में महागठबंधन में शामिल एक बेहद ताकतवर शख्स का नाम है इसलिए जांच की गति पर विराम लगा दिया गया है.’

प्रेम कुमार ने सेक्स कांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. प्रेम कुमार ने इसके लिए विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही को बाधित किया. प्रेम कुमार ने धमकी दी है कि जब तक इस केस को सरकार सीबीआई को नहीं सौंपेगी, विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी.

बिहार के आम लोगों को जो बात खटक रही है वो यह कि इस कांड के मुख्य आरोपी निखिल प्रियदर्शी को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है.

पुलिस के वरिष्ठ सूत्रों ने दावा किया कि 22 दिसंबर 2016 को एफआईआर दर्ज होने के कई दिन बाद तक निखिल प्रियदर्शी के मोबाइल का लोकेशन पटना में दिखाता रहा.

निखिल प्रियदर्शी पर कई लड़कियों को यौन शोषण का शिकार बनाने का आरोप है (फोटो: फेसबुक से साभार)

वहीं, जांच से जुड़े डीएसपी स्तर के एक अफसर का दावा है कि ‘निखिल की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी की मुस्तैदी से छानबीन जारी है. प्रियदर्शी के फोन की लोकेशन लगातार बदल रही है और कुछ दिन पहले तक ये मोबाइल लखनऊ में एक्टिव हुआ था.’

इसी बीच, सोमवार को कोर्ट में निखिल और ब्रजेश की अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया और अगली सुनवाई 3 मार्च तक के लिए टाल दी.

बॉबी हत्याकांड याद है

जिनकी उम्र ज्यादा है और याददाश्त अच्छी है उन्हें याद होगा कि 1980 के दशक में ऐसा ही एक श्वेत निशा त्रिवेदी उर्फ बॉबी सेक्स कांंड हुआ था.

उन दिनों राज्य में कांग्रेस की सरकार के मुखिया जगन्नाथ मिश्रा थे. इस कांड में जिन पर आरोप लगे थे उनमें से कांग्रेस के कई बड़े नेता थे.

जब इस मामले का खुलासा हुआ तो बॉबी की हत्या कर दी गई. दरअसल उसकी मौत को सामान्य वजहों से हुई मौत बता दिया गया. बाद में जब हंगामा हुआ तो कुणाल किशोर नाम के एक पुलिस अधिकारी को इसकी जांच सौंपी गई.

बीजेपी बिहार सरकार और पुलिस पर इस मामले में ढिलाई बरतने के आरोप लगा रही है

एसपी किशोर कुणाल ने कब्र खुदवाकर बॉबी के शव को बाहर निकलवाया. उन्होंने शव का एक बार फिर से पोस्टमॉर्टम करवाया. दोबारा हुए पोस्टमॉर्टम में लड़की की मौत जहर से होना साबित हुआ.

किशोर कुणाल ने जांच को आगे बढ़ाते हुए आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाया. जब मामला बढ़ता हुआ लगा तो दर्जनों कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दबाव देकर जांच को सीबीआई के सुपुर्द करवा दिया.

दिल्ली में उस वक्त इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. आखिरकार इस कांड की जांच लंबी चली और अंत में परिणाम वो आया जिसकी वजह से सीबीआई की तारीफ की गई, ना कि सरकार की.