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बीएचयू के आंदोलन के पीछे छिपे इन 6 सवालों के जवाब कौन देगा

लाठीचार्ज और बंद के बाद आखिरी सांसें गिन रहा है लड़कियों का आंदोलन

Avinash Dwivedi

बीएचयू में लड़कियों का आंदोलन जमीन पर लगभग आखिरी सांसें गिन रहा है. मान लें कि बस खत्म ही है. सोशल मीडिया ही एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां पर वो अभी भी दिखाई पड़ रहा है क्योंकि सोशल मीडिया पर लाठीचार्ज करने का विकल्प अभी प्रशासन और सरकार को नहीं मिला हुआ है.

रविवार शाम से ही आंदोलन ढीला पड़ना  शुरू हो गया था. वहां मौजूद लड़कियों का दावा है कि मॉलेस्टेशन की पीड़िता लड़की पर उसके परिवार के जरिए दबाव बनाकर बीएचयू प्रशासन ने उसे मॉलेस्ट किए जाने के वक्त को प्रार्थना-पत्र में शाम 6 के बजाए 8 करवा लिया.


इसके पीछे कारण यह था कि बीएचयू में गर्ल्स हॉस्टल के गेट शाम 7:30 पर बंद हो जाते हैं और ऐसे में उस वक्त के बाद छात्रा का बाहर होने पर मॉलेस्ट होना उसकी गलती से माना जाएगा न कि प्रशासन की गलती से.

त्रिवेणी छात्रावास की कुछ लड़कियों ने बताया कि लड़कियों को 'इज्जत' और 'भविष्य' का हवाला देकर, उनके परिवार पर 'नैतिकता' का दबाव बनाकर ऐसे काम निकाल लेना बीएचयू प्रशासन का पुराना एजेंडा रहा है.

स्टूडेंट्स का कहना है कि ये खबर फैलते ही त्रिवेणी छात्रावास की स्टूडेंट्स अपने हॉस्टल वापस लौटने लगीं. पर महिला महाविद्यालय की छात्राएं फिर भी बीएचयू मेनगेट पर टिकी रहीं. जो आधी रात को लाठी चार्ज तक वहीं थीं. उनका कहना था कि पीड़िता को न्याय दिलाने के साथ ही यह लड़कियों की सुरक्षा का भी मसला है. ऐसे में हमारी मांगें वही हैं.

इसी बीच शनिवार रात बिना किसी पूर्व सूचना के प्रशासन ने बीएचयू मेन गेट (सिंहद्वार) पर लाठीचार्ज कर दिया. लड़कियां महिला महाविद्यालय के अंदर भागीं तो उन्हें बाहर खींचकर मारा गया. फिर उन पर अंदर पुलिस ने पत्थर फेंके और बाद में घुसकर भी मारा.

एक छात्र ने फर्स्टपोस्ट से बात करते हुए कहा, 'गनीमत ये रही कि लड़कियों को पीटकर ही छोड़ गए, उठाकर नहीं ले गए. बलात्कार नहीं किया. वरना जितनी आक्रामकता से पुलिस वाले पिटाई कर रहे थे, लड़कियां बुरी तरह से डरी हुई थीं.'

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि लाठीचार्ज करने वाले सारे पुलिसकर्मी पुरुष ही थे, महिला पुलिसकर्मी नहीं. लाठीचार्ज के वक्त के इस वीडियो में आप लड़कियों को पीटते और उन पर पत्थर फेंकते पुलिसकर्मियों को देख सकते हैं.

काफी लड़कियां पुलिस के पीटे जाने, पत्थर फेंकने और पैरों तले कुचले जाने से घायल हुई हैं.

बताते चलें कि कई दिनों से बीएचयू कला संकाय के दो छात्रावासों बिड़ला और लाल बहादुर शास्त्री में भी तनातनी थी. रविवार शाम किसी बात पर वह फिर भड़क उठी. जिसके बाद पुलिस वहां भी पहुंची और काफी देर पुलिस और स्टूडेंट्स के बीच पेट्रोल बम, आंसू गैस के गोले और फ्लैश बम चले. इसके बाद 2 बजे तक सारा मामला खत्म हो गया. तब से सवेरे तक सन्नाटा और डर कैंपस में पसरा रहा. अब नई खबर ये है कि कई स्टूडेंट्स अपना-अपना सामान पैक कर घर निकल रहे हैं.

महिलाओं के हॉस्टल में घुसते पुरुष पुलिसकर्मी

लड़कियों का कहना है अनाधिकारिक रूप से हॉस्टल वॉर्डन ने घर जाने का आदेश दिया है. एक स्टूडेंट का कहना है कि फिलहाल प्रशासन शायद ही लड़कियों की सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाएगा. आंदोलन को छल और बल से दबाया जा चुका है. ये आगे के कई सालों के लिए लड़कियों में निराशा भर देगा. पर इस बीच ऐसे भी कई सवालों पर स्टूडेंट्स बातें कर रहे हैं, जो अनुत्तरित रह गए हैं-

1. धरना-प्रदर्शन खत्म हो चुका है. बीएचयू में 2 अक्टूबर तक छुट्टी कर दी गई है. ऐसे में क्या आगे लड़कियों की सुरक्षा के किसी भी उपाय पर बीएचयू प्रशासन विचार करेगा. वो भी जब वर्तमान वीसी की विदाई में मात्र एक माह का वक्त बाकी है?

2. क्या सुरक्षा गार्ड्स में महिलाओं की भर्ती, GS CASH जैसी कोई बॉडी स्थापित करना जैसी मांगें अभी कई सालों के लिए दब जाएंगीं?

ये सवाल और गंभीर तब हो जाता है जब एक स्टूडेंट सवाल करती है कि भविष्य में अगर GS CASH जैसी कोई बॉडी बीएचयू में बन जाती है और काम करने लगती है तो क्या उसके भी कर्ता-धर्ता पित्तृसत्तात्मक सोच से ग्रसित प्रोफेसर्स की कोई बॉडी नहीं करेगी?

3. बीएचयू के कई प्रोफेसर्स पर पहले ही पितृसत्तात्मक मानसिकता से ग्रसित होने और उसी के अनुसार काम करने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में क्या इन लोगों के संरक्षण में क्या एक भी मामले की ठीक निगरानी हो सकेगी या सारे मामले ऐसे ही शाम 6 को 8 बनाकर प्रशासन को पाक-साफ दिखा, दबाए जाते रहेंगे और सारी गलती लड़कियों के मत्थे मढ़ी जाती रहेगी.

4. कुछ छात्र इसमें जातिगत राजनीति का एक और एंगल देख रहे हैं. बीएचयू में अगले वीसी की जल्द ही नियुक्ति होनी है और वर्तमान वीसी का कार्यकाल 26 अक्टूबर को खत्म हो रहा है. कहा जा रहा है, ऐसे में बीएचयू की ब्राम्हण-ठाकुर लॉबी सक्रिय हो चुकी है. और इसी घटना की आड़ में जातीय लॉबी अपना-अपना आदमी सेट करने में लगी हुई है.

5. बीएचयू की राजनीति से जुड़े छात्र विश्विद्यालय प्रशासन और वीसी पर कई बड़े आरोप लगाते हैं. छात्रों की मानें तो बीएचयू में कथित रूप से बड़ी संख्या में वर्तमान वीसी ने अराजक तत्वों और गुंडों को शरण दे रखी है.

क्या नए वीसी कैंपस में मौजूद गुंडागर्दी की इस समस्या का निदान कर सकेंगे. स्टूडेंट्स का मानना है कि बीएचयू में घटने वाली लगभग सारी ही अराजक घटनाओं और छेड़छा़ड़ में ऐसे ही अराजकतत्वों का हाथ होता है.

6. छात्र सवाल उठा रहे हैं कि हर बार जब कोई ऐसा बवाल होता है तो न ही कोई बीएचयू का स्वघोषित छात्रनेता मार खाता है और न ही कैंपस में होता है. सारे ही छात्रनेता लाठीचार्ज के पहले ही गायब हो गए थे. किसी ने लाठी नहीं खाई है. सवाल ये भी उठता है कि इन छात्रनेताओं को पहले से कैसे पता होता है कि प्रशासन ने आज रात लाठीचार्ज करवाने का विचार कर लिया है?