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जनता के द्वार रथयात्रा लेकर पहुंचे शिवराज, क्या जनता देगी आशीर्वाद?

सोशल मीडिया पर उनकी रथयात्रा की जमकर चर्चा हो रही है, तस्वीरों में उमड़ती भीड़ बता रही है कि शिवराज सिंह का जादू और प्रभाव अब भी कम नहीं हुआ है

FP Staff

मध्य प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए अपने काम का लेखाजोखा लेकर जनता के बीच में हैं. सोशल मीडिया पर उनकी रथयात्रा की जमकर चर्चा हो रही है. तस्वीरों में उमड़ती भीड़ बता रही है कि शिवराज सिंह का जादू और प्रभाव अब भी कम नहीं हुआ है.

उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद राज्य की सत्ता की कमान बीते 13 सालों से शिवराज सिंह चौहान के पास रही है. वह एमपी के सबसे विश्वसनीय ब्रांड बनकर उभरे हैं. सूबे में वे एक ऐसे सीएम बनकर उभरे हैं जिन्हें अर्जुन सिंह के बाद सबसे ज्यादा लोकप्रियता मिली है.


मध्य प्रदेश को सड़क, बिजली और पानी जैसे मुद्दों के बीच से सत्ता संभालने वाले शिवराज सिंह ने राज्य को बीमारू और पिछड़े राज्यों की लिस्ट से बाहर किया है. कृषि क्षेत्र में भी एमपी ने बीते एक दशक में खासी प्रगति की है. हालांकि बीते तीन सालों में व्यापमं से लेकर मंदसौर में किसानों की हत्या जैसे मामलों ने शिवराज सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर कटघरे में खड़ा किया गया है, बावजूद इसके राज्य के दूर दराज और ग्रामीण इलाकों उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है.

उमा को क्रेडिट दे रहे हैं शिवराज

'मैं' के नाम पर चुनाव लड़ने वाले शिवराज ने टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा सीट पर लोगों को संबोधित करते हुए पहली बार प्रदेश के विकास का श्रेय किसी और को दिया है. उन्होंने कभी भाजपा के कार्यकाल के पूरे होने का नहीं बल्कि अपना कार्यकाल पूरा होने का जश्न मनाया. शिवराज ने अपने 15 साल के कार्यकाल में पहली बार जनता के बीच उमा भारती का नाम लेते हुए कहा कि 2003 में दिग्विजय सिंह सरकार खिलाफ अभियान का नेतृत्व उमा भारती ने किया और कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका गया.

बकौल शिवराज, 'उमा ने मध्यप्रदेश के विकास की आधारशिला रखी. मैंने, उमा भारती और बाबूलाल गौर ने मिलकर प्रदेश की किस्मत को बदलने का काम किया है.'

ट्राइबल इलाकों को कर रहे हैं टारगेट

रोजाना करीब दो-ढाई सौ किलोमीटर की यात्रा करके लोगों के बीच पहुंच रहे शिवराज का पहला टारगेट है ट्राइबल ग्रामीण इलाका है, क्योंकि वो यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि इन्हीं सीटों पर कांग्रेस फिर से वापसी कर सकती है. इन 47 में से 32 सीट्स बीजेपी के पास हैं, वहीं 15 पर कांग्रेस का कब्जा है. लोकसभा की 29 सीट्स में से 6 सीटें आदिवासी हैं. इनमें से 5 पर बीजेपी और 1 पर कांग्रेस है. यानी कहा जा सकता है कि बीजेपी आदिवासी सीटों के दम पर जीत सकती है.

ग्रामीण, किसान और आदिवासी इलाका कांग्रेस की ताकत बन सकता है और भाजपा यहीं कमजोर पड़ सकती है. जन आशीर्वाद यात्रा अलीराजपुर से जोबट और वहां से थांदला की ओर जा रही है और यह पूरा आदिवासी इलाका है. लेकिन सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर पर हुए काम ने इस इलाके को जैसे छोटे शहरों में तब्दील कर दिया है.

12 से 14 घंटे कर रहे हैं काम

पिछले तीन बार से प्रदेश के मुखिया रहे शिवराज इस बार भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. इस बार भी शिवराज चुनाव की तैयारी उसी तरह कर रहे हैं जैसे पहली बार कोई नेता जनता के बीच खड़ा हो. जनता के मुखातिब होने का एक भी मौका न छोड़ने वाले शिवराज दिन में 12 से 14 घंटे काम कर रहे हैं.

14 जुलाई से अपनी रथयात्रा शुरू कर चुके शिवराज इस बार भी चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. हर छोटी-बड़ी जगह जहां शिवराज की काफिला पहुंच रहा है उसके चारों तरफ हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ नजर आती है. जहां तक नजरें जाती हैं बस लोगों की उत्साहित भीड़ नजर आती है जो अपने मुखिया को सुनना चाहती हैं. शिवराज यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि भाजपा कहां कमजोर पड़ सकती है और कांग्रेस कैसे इस बात का फायदा उठा सकती है.

पहली बार पोस्टर में अपने अलावा मोदी को जगह

खास बात यह है कि पहली बार शिवराज ने पोस्टर और होर्डिंग में अपने अलावा किसी और को जगह दी है. 2013 के चुनाव में भाजपा के अकेले नायक रहे शिवराज इस बार पोस्टर और होर्डिंग में पीएम मोदी के साथ नजर आ रहे हैं.

सोशल मीडिया का भरपूर प्रयोग

चौथी बार वोट मांगने के लिए जनता के बीच खड़े शिवराज जहां ग्रामीण वोटरों को जोड़ने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा कर रहे हैं, वहीं युवाओं को जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का भी भरपूर प्रयोग कर रहे हैं. शिवराज की इस यात्रा का पूरी ब्यौरा उनके अधिकारिक ट्विटर और फेसबुक हैंडल पर मौजूद हैं. हजारों लोगों की भीड़ में घिरे शिवराज की इस यात्रा की ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं जिसे स्क्रोल करते वक्त भीड़ देखकर आप भी एक मिनट के लिए ठहर जाएंगे.

उधर शिवराज बोलना शुरू करते हैं और इधर उनके अधिकारिक हैंडल से लाइव शुरू हो जाता है. कुल मिलाकर इसे आप एक पंथ दो काज भी कह सकते हैं. उनके भाषण में कही गई महत्वपूर्ण बातों की बकायदा प्रेस रिलीज भी जारी कर दी जाती है.

क्या सत्ता आएगी हाथ

सैकड़ों वेलफेयर स्कीम चलाने वाले शिवराज सिंह के पॉलिटिकल मॉडल का कोई मुकाबला नहीं है. हर छोटी से छोटी समस्या का समाधान निकालने में माहिर शिवराज को शायद इसी वजह से अर्जुन सिंह के बाद सबसे अधिक लोकप्रियता मिली है. करीब दो लाख से ज्यादा विकास योजनाएं देने का दावा करने वाली शिवराज सरकार की इस जन आशिर्वाद यात्रा का कितना असर होगा यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जिस तरह इस यात्रा में लोगों का सैलाब उमड़ रहा है उससे साफ नजर आ रहा है कि जनता शिवराज मामा को कितना पसंद करती है.

(न्यूज18 के लिए उदिता परिहार की रिपोर्ट)