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समय से पहले चंद्रशेखर उर्फ रावण रिहा, निकलते ही कहा- बीजेपी मुझसे डर गई थी

रावण की रिहाई एक नवंबर को ही होनी थी, लेकिन सरकार के फैसले के बाद उन्हें बीती रात 2 बजे रिहा कर दिया गया

FP Staff

भीम आर्मी के संस्थापक युवा नेता चंद्रशेखर उर्फ रावण को यूपी सरकार ने जेल से रिहा कर दिया है. वो मई 2017 से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सहारनपुर जेल में बंद थे. उन पर जातीय हिंसा फैलाने का आरोप था. हालांकि जून 2017 में गिरफ्तार होने वाले रावण को बाद में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन फिर यूपी सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया.

रासुका कानून के तहत राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए सरकार आरोपी 12 महीने तक प्रशासनिक हिरासत में लेने की इजाजत होती है.

बीजेपी मुझसे डर गई थी: रावण

ऐसे में रावण की रिहाई एक नवंबर को ही होनी थी, लेकिन सरकार के फैसले के बाद उन्हें बीती रात 2 बजे रिहा कर दिया गया. यूपी सरकार द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि रावण की मां की दया याचिका और वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सरकार ने सहानुभूति जाहिर करते हुए समय से पहले रिहाई कर दी.

रिहाई के बाद रावण ने कहा, 'सरकार मुझसे डर गई थी. मुझे पूरा विश्वास है कि अगले 10 दिनों में सरकार मुझे किसी आरोप में फंसाने की कोशिश करेगी. मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में वो बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंके'.

रावण की समय से पहले रिहाई को राजनीतिज्ञ इसे बीजेपी द्वारा एससी/एसटी वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं.

क्या था पूरा मामला?

सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में सहारनपुर हिंसा की शुरुआत हुई थी. गांव में राजपूतों और दलितों के बीच हुए संघर्ष में कथित तौर पर दलितों के घर जला दिए गए थे.

इसके बाद भीम आर्मी ने एससी/एसटी शोषण के खिलाफ 9 मई 2017 को सहारनपुर में महापंचायत बुलाई. पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी लेकिन इसका आमंत्रण पत्र सोशल मीडिया में जारी हो गया था. सैकड़ों लोग महापंचायत में शामिल होने पहुंच गए जिसके बाद भीम आर्मी के सर्मथकों और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गई. इसके बाद पुलिस ने चंद्रशेखर के खिलाफ मामला दर्ज किया.