view all

बीजेपी को राजस्थान उपचुनाव में भारी झटका, कई बूथों पर मिले 2, 1 और 0 वोट

राजस्थान में हुए उपचुनावों में हार के बाद नतीजों के सूक्ष्म विश्लेषण में सत्ताधारी दल बीजेपी के लिए कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं.

FP Staff

राजस्थान में हुए उपचुनावों में हार के बाद नतीजों के सूक्ष्म विश्लेषण से सत्ताधारी दल बीजेपी के लिए कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं. बीजेपी को दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कई पोलिंग बूथों पर 2,1 और यहां तक कि शून्य वोट भी मिले हैं. गौरतलब है कि ये इलाके अभी तक बीजेपी के गढ़ के रूप में जाने जाते रहे हैं.

अजमेर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें हैं. इनमें 7 अजमेर जिले में आती हैं और एक उदयपुर जिले में. इस लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार हर सीट पर पिछड़ गया.


पार्टी से ही मिली रिपोर्ट के मुताबिक अजमेर लोकसभा सीट की नसीराबाद विधानसभा सीट के बूथ नंबर 223 पर बीजेपी उम्मीदवार को 1 वोट मिला है. वहीं कांग्रेस को 582 वोट मिला है. 224 नंबर बूथ पर बीजेपी को सिर्फ 2 वोट मिले हैं और कांग्रेस 500 वोट.

दिल्ली में मौजूद एक पार्टी नेता ने कहा, 'हम राजस्थान में इन दोनों सीटों पर हारे हैं. 1985 और 1998 को छोड़कर विपरीत परस्थितियों के बावजूद हम इन दोनों सीटों पर जीते हैं. शहरी क्षेत्रों के वोटरों का पार्टी से दूर खिसकना हमारे लिए परेशानी वाली बात हो सकती है.'

इसके अलावा एक और दिक्कत वाली बात हार-जीत का अंतर भी है. अलवर लोकसभा सीट पर 2014 में पार्टी ने ढाई लाख वोटों से जीत पाई थी. उपचुनाव में 2 लाख वोटों से हार हुई है.

2014 में राजस्थान सहित उत्तर भारत के करीब आधा दर्जन राज्यों में पार्टी का स्ट्राइक रेट करीब 90 प्रतिशत के पास था. अगर 2019 में इन राज्यों में पार्टी को घाटा होता है उसे दूसरे राज्यों में अपनी राह और बेहतर करनी होगी.

एक और बात जो राजस्थान का राजनीतिक ट्रेंड है कि जो पार्टी विधानसभा का चुनाव जीतती है वो आगे होने वाले लोकसभा चुनाव में भी बाजी मारती है. राज्य में विधानसभा चुनाव इस सार के आखिर में होने हैं.

एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि कुछ लोग सीएम बदलने की बात कर रहे हैं. लेकिन ऐसे बदलावों से कुछ नहीं होने वाला. पार्टी को राज्य में दोबारा वापसी के लिए बड़े स्तर बदलाव करने होंगे.

बीजेपी के लिए राज्य में एक बड़ी परेशानी खुद सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया भी हैं क्योंकि बीते दो दशकों के दौरान वसुंधरा ही वो नेता हैं जिन्हें राजस्थान बीजेपी की पहचान के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में अगर चुनाव से पहले केंद्रीय नेतृत्व कोई कार्रवाई करता है तो उसे बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

(न्यूज़18 के लिए सुमित पांडे की स्टोरी)