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जुबानी जंग से बिहार के बवाल का क्या नतीजा निकलेगा?

शह और मात के इस खेल में महागठबंधन के सभी किरदार सही वक्त की तलाश में हैं

Amitesh

बिहार सरकार में आरजेडी कोटे से आपदा प्रबंधन मंत्री चंद्रशेखर जांच एजेंसी सीबीआई को लेकर आग बबूला हैं. सीबीआई से उनकी नाराजगी है अपने पार्टी के आका लालू यादव और उनके परिवार पर हो रही कारवाई को लेकर. पार्टी के प्रथम परिवार को लेकर चंद्रशेखर की वफादारी कुछ यूं छलकी कि सबसे वफादार जानवर को भी सियासत के इस मायाजाल में घसीट लिया.

लालू-राबड़ी परिवार को शिकंजे में फंसता देख गुस्से में मंत्री चंद्रशेखर ने मर्यादा की सारी हदों को पार कर दिया. मंत्री जी ने सीबीआई की तुलना कुत्ते से कर दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी वाले यूपीए सरकार के वक्त सीबीआई को सरकार का तोता कहते थे, अब तो सरकार के लिए सीबीआई तोता नहीं, बल्कि कुत्ते के जैसा है.


चंद्रशेखर के बयान के मायने 

मंत्री चंद्रशेखर की तरफ से दिया गया बयान उनकी तरफ से दो बातों की तरफ इशारा करता है. पहला आरजेडी के भीतर के उस डर को उनका बयान सामने ला रहा है, जिसका जिक्र खुद मंत्री जी कर रहे हैं. चंद्रशेखर ने कहा है कि अगर लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव जेल भी चले गए तो भी अगले महीने की 27 तारीख को होने वाली पटना की रैली में इनकी तस्वीर लगाकर भी हम रैली करेंगे.

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चंद्रशेखर की बात से साफ लग रहा है कि आरजेडी नेताओं के भीतर इस बात का डर है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के उपर इस्तीफे की तलवार तो पहले से ही लटकी हुई है. लेकिन, तेजस्वी के साथ-साथ लालू-राबड़ी पर भी अगर शिकंजा कसता है तो उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है.

लेकिन, मंत्री चंद्रशेखर की तरफ से दिए गए बयान के दूसरे पहलू पर गौर करें तो लगता है कि इस बयान के ही सहारे चंद्रशेखर लालू दरबार में अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं. परिवारवाद की प्रतिमूर्ति क्षेत्रीय दलों के भीतर जी-हुजूरी तो जगजाहिर है. लेकिन, मंत्री चंद्रशेखर ने अपने दरबारी राग के आगे मर्यादा की सारी हदें भूल कर सीबीआई को सरकार का कुत्ता तक कह डाला.

बयानबाजी से तेज होती सियासी उठापटक

मंत्री चंद्रशेखर के बयान से बिहार के भीतर मचे सियासी उठापटक की छटपटाहट भी दिखती है. लेकिन, ये छटपटाहट और भी आरजेडी नेताओं में दिख रही है. आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने ये कहकर एक बार फिर से माहौल गरमा दिया कि जेडीयू के नेता बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं. रघुवंश सिंह के बयान से महागठबंधन की तल्खी फिर सतह पर आ गई.

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नीतीश के दिल्ली दौरे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद लगा कि नीतीश कुमार राहुल के माध्यम से तेजस्वी के इस्तीफे का दबाव बनाना चाहते थे. लेकिन, तमाम कवायदों के बावजूद अब तक तेजस्वी के इस्तीफे ना देने को लेकर लालू अड़े हुए हैं. लालू की इसी जिद्द पर जेडीयू के प्रवक्ता लगातार हमलावर हैं.

अब चंद्रशेखर और रघुवंश सिंह की तरफ से दिए बयानों पर जेडीयू की तरफ से फिर से पलटवार हुआ है. जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने रघुवंश प्रसाद सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि वो राजनीतिक रूप से आजकल बेरोजगार हो गए हैं. उनके मन की पीड़ा सामने आ रही है. इसमें हम कोई मदद नहीं कर सकते.

जेडीयू प्रवक्ता की तरफ से दिया गया यह बयान दोनों दलों के बीच हिचकोले खाते रिश्तों को दिखाने के लिए काफी है, जिसमें दिन प्रति दिन भरोसा कम होता जा रहा है.

शह और मात के किरदारों को सही वक्त का इंतजार 

दूसरे प्रवक्ता संजय सिंह ने एक बार फिर कहा है कि इंतजार कीजिए वो पल आएगा. संजय सिंह उस पल के आने का इंतजार कर रहे हैं. मतलब जेडीयू बार-बार यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की नीति पर चलते हुए किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे.

लेकिन, उनकी अपनी बेदाग छवि इस वक्त सवालों के घेरे में है. लेकिन, नीतीश इस वक्त सोच-समझकर हर चाल को चल रहे हैं जिसमें किसी भी तरह की आंच ना उनकी छवि पर आए और ना ही उनके उपर महागठबंधन तोड़ने का आरोप भी लगे.

महागठबंधन के भीतर शह और मात के इस खेल में कांग्रेस भी बीच-बीच में सक्रिय हो जाती है. बीजेपी दूर से तमाशा देख रही है. शह और मात के इस खेल में महागठबंधन के सभी किरदार सही वक्त की तलाश में हैं.