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दिल्ली के भविष्य की राजनीति की आहट तो साबित नहीं होगा बवाना उपचुनाव?

चुनाव आयोग ने भी बवाना उपचुनाव को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं

Ravishankar Singh

23 अगस्त को होने वाले बवाना विधानसभा उपचुनाव को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में इस उपचुनाव को लेकर काफी बेचैनी है.

तीनों पार्टियों ने इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. बवाना उपचुनाव तीनों पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट भी साबित हो सकता है. इस चुनाव को जीतने वाली पार्टी का दिल्ली में राजनीतिक आधार का मूल्यांकन किया जा सकता है.


बवाना उपचुनाव में वैसे तो 8 उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं लेकिन बीजेपी के वेद प्रकाश, कांग्रेस के सुरेंद्र कुमार और आप के राम चंद्र के बीच टक्कर मानी जा रही है.

चुनाव आयोग ने भी बवाना उपचुनाव को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी कर रखे हैं. पिछले कई दिनों से इस चुनाव पर प्रशासन ने नजर रखी हुई है.

बवाना में कुल वोटरों की संख्या 2 लाख 94 हजार 589 है. चुनाव आयोग ने इस बार वोटरों को फोटो वोटर स्लिप के अलावा खास तौर पर डिजाइन की हुई वोटर अवेयरनेस बुकलेट भी दे रही है.

प्रशासन ने चुनाव को देखते हुए बड़े स्तर पर तलाशी अभियान चला रखा है. पुलिस ने अब तक यहां से 8 हजार 91 देसी शराब की बोतलें और 17 हजार 720 क्वॉर्टर की बोतलें जब्त की हैं.

इसके अलावा अंग्रेजी शराब की 4 हजार 105 बोतलें, 11 हजार 88 क्वॉर्टर की बोतलें और बीयर की भी कई बोतलें जब्त की गई हैं. पुलिस ने 26 लोगों के खिलाफ 31 एफआईआर दर्ज की गई है.

चुनाव के चलते 594 लोगों के खिलाफ एक्शन लिए गए हैं. 82 लाइसेंसी हथियार जमा किए जा चुके हैं. 5 अवैध हथियार सीज किए गए हैं. अवैध हथियार को लेकर दो एफआईआर दर्ज हुई है और 5 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

दिल्ली की तीनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव कैंपेन के दौरान 314 रैलियां और पब्लिक मीटिंग की. आचार संहिता उल्लघंन के चार मामले सामने आए. इन मामलों पर एफआईआर दर्ज की गई.

राजनीतिक दलों के नेता पिछले कई दिनों से बवाना के वोटरों का मूड भांपने की कोशिश में लगे हुए थे. सोमवार को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था. सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

बवाना उपचुनाव में लोगों की शिकायत है कि यहां पिछले 15 सालों से जलभराव की समस्या सबसे गंभीर हैं. हालात ऐसे हैं कि बारिश में लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. सालभर में सीवर मैनहोल कई बार ब्लॉक होते हैं.

बवाना उपचुनाव को लेकर बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी बड़े-बड़े दावे किए हैं. लेकिन, ऐसा माना जा रहा है कि इस बार कुछ चौंकाने वाले नतीजे आ सकते हैं.

हम आपको बता दें कि बीजेपी ने इस चुनाव में बवाना से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे वेद प्रकाश को अपना उम्मीदवार बनाया है.

वेद प्रकाश ने पिछला चुनाव आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीता था. लेकिन, वेद प्रकाश ने एमसीडी चुनाव के ठीक पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था.

ऐसे में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी पिछले कई दिनों से बवाना में अड्डा जमाए हुए हैं. मनोज तिवारी ने क्षेत्र में कई जनसभाओं को संबोधित किया है. बीजेपी ने बवाना सीट जिताने की जिम्मेदारी पार्टी नेताओं में बांट दी है.

बीजेपी एमसीडी चुनाव की जीत की लय को बनाए रखना चाहती है और इसीलिए दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी जी-जान से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं.

वहीं कांग्रेस की नजर अपना अस्तित्व बचाने पर है. कांग्रेस ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा को विशेषतौर पर उपचुनाव में जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है. कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार इस क्षेत्र के पूर्व विधायक रह चुके हैं.

एमसीडी चुनाव और हाल के रजौरी गार्डेन उपचुनाव में कांग्रेस ने बढ़िया प्रदर्शन किया था. बवाना उपचुनाव जीत कर कांग्रेस फिर से दिल्ली की सत्ता में दम दिखा सकती है.

साल 1993 से अस्तित्व में आई दिल्ली विधानसभा के लिए हुए छह चुनावों में से तीन बार कांग्रेस ने दो बार बीजेपी ने और एक बार आम आदमी पार्टी ने बवाना सीट से जीत हासिल की है.

आम आदमी पार्टी ने पहले से ही यहां से भाई रामचंद्र को प्रत्याशी बना रखा है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल विधानसभा उपचुनाव पर लगातार नजर बनाए हुए हैं.

पिछले रजौरी गार्डन विधानसभा उपचुनाव में आम आम आदमी पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. ऐसे में आप बवाना सीट को हर हाल में जीतना चाहती है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद इस विधानसभा क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं.

सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी इस चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. बीजेपी से टिकट ना मिलने पर गुज्जन सिंह आप में शामिल हो गए जिससे पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा है.

देश की जनता को भले ही लगे कि यह दिल्ली में महज एक सीट के लिए चुनाव हो रहा है. लेकिन, दिल्ली का यह एक सीट का उपचुनाव अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नही हैं. क्योंकि आने वाले समय में इस हार-जीत का दिल्ली की सियासत पर काफी फर्क पड़ने वाला है.