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अर्थव्यवस्था पर यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली की बहस निजी लड़ाई में बदल गई है

यशवंत सिन्हा और अरुण जेटली दोनों की तरफ से कोशिश एक-दूसरे की नीतियों और उनकी क्षमता को लेकर घेरने की हो रही है

Amitesh

वित्त मंत्री अरुण जेटली पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के हमले ने धीरे-धीरे निजी लड़ाई का रूप अख्तियार कर लिया है. दोनों के बीच चल रही जुबानी जंग थम नहीं रही है. ऐसे में अर्थव्यवस्था पर चर्चा पिछड़ रही है.

यशवंत सिन्हा के सवालों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के पटलवार ने इस लड़ाई को दोनों नेताओं के बीच अहम की लड़ाई में तब्दील कर दिया है. साफ लग रहा है कि यशवंत सिन्हा को अर्थव्यवस्था से ज्यादा चिंता वित्त मंत्री अरुण जेटली को  असफल बताने को लेकर है.


यशवंत सिन्हा के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया जो कि सीधे यशवंत सिन्हा को ही निशाना बना कर कहा गया था.

जेटली का पलटवार

'INDIA @70, MODI @3.5' किताब  के विमोचन के अवसर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली को पलटवार का मौका मिल गया. जेटली ने कहा कि इस किताब का नाम अगर JOB APPLICANT@80' होता तो ज्यादा उपयुक्त होता. जाहिर है कि उनका सीधा इशारा पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की ओर था.

अरुण जेटली ने इशारों ही इशारों में यशवंत सिन्हा पर हमला कर दिया जिसमें उन्होंने 80 की उम्र में उनके वित्त मंत्री बनने की इच्छा को लेकर कटाक्ष था. हालाकि यशवंत सिन्हा ने कभी भी खुलकर अपनी तरफ से किसी पद की लालसा नहीं जताई है, लेकिन, मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी और सरकार में अपनी उपेक्षा का दर्द उनको सालता रहता है.

यह दर्द उस वक्त भी छलक कर सामने आया था जब यशवंत सिन्हा ने 75 की उम्र पार कर जाने के बाद अपने-आप को ‘ब्रेन-डेड’ तक बता दिया था. अपनी पूछ नहीं होने से परेशान सिन्हा सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते वक्त निशाने पर सीधे वित्त मंत्री अरुण जेटली को ले रहे हैं. जिसपर अब पटलवार जेटली की तरफ से हो रहा है.

अरुण जेटली ने किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि उदारीकरण के बाद 2000 से 2003 तक वित्त मंत्री के तौर पर यशवंत सिन्हा का कार्यकाल बदतर था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उन्हें हटाना पड़ा था.

जेटली ने नोटबंदी और GST को फायदेमंद बताते हुए कहा कि महंगाई को रिकॉर्ड स्तर पर ले जाने वाले सवाल पूछ रहे हैं. जेटली ने ये भी कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के असर आगे चलकर नजर आएंगे.

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महंगाई लाने वाले और खराब वित्त मंत्री के तौर पर काम करने के बाद मंत्रालय से हटाए जाने वाले वित्त मंत्री के तौर पर जब अरुण जेटली ने यशवंत सिन्हा का परिचय कराया तो उन्हें यह बात अब चुभ गई. अरुण जेटली के कार्यकाल पर सवाल उठाने वाले सिन्हा अपने पुराने कार्यकाल पर हुए हमले और अपनी क्षमता पर सवाल खड़े होने से तिलमिला से गए.

सिन्हा और जेटली उठा रहे हैं एक-दूसरे की क्षमता पर सवाल

यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर मैं नौकरी मांग रहा होता तो अरुण जेटली आज वहां नहीं होते जहां इस वक्त हैं.  यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं रिटायरमेंट के बाद राजनीति में नहीं आया था. बल्कि मैंने तो आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में शामिल हुआ था. ऐसे में अब अस्सी की उम्र में मुझे नौकरी की जरूरत नहीं.

यशवंत सिन्हा ने कहा कि समाचार एजेंसी  एनआई से बातचीत में कहा कि अरुण जेटली ने अच्छा भाषण दिया लेकिन, आडवाणी जी की उस बात को भूल गए जिसमें किसी पर भी निजी हमले ना करने की सलाह दी गई थी.

अरुण जेटली ने वित्त मंत्री रहते यशवंत सिन्हा के बदतर प्रदर्शन के आधार पर उनकी मंत्रालय से विदाई की बात कही थी. हालाकि उस वक्त भी यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्रालय से हटाकर विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दे दी गई थी. अब यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली का पलटवार करते हुए कहा है कि अगर मैं किसी काम का नहीं था तो मुझे विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी क्यों दे दी गई थी.

इस पूरी कहानी की शुरूआत सबसे पहले यशवंत सिन्हा के इंडियन एक्सप्रेस में छपे उस लेख से ही हुई थी जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे अरुण जेटली की नीतियों पर सवाल उठाए थे. सिन्हा ने अपने लेख में अरुण जेटली के वित्त मंत्री बनाए जाने के फैसले पर भी सवाल खड़ा किया था.

उनकी तरफ से अरुण  जेटली की काबिलियत पर सवाल खड़ा करने के साथ-साथ उनकी कैबिनेट में एंट्री को लेकर भी तंज कसा गया था.

अमृतसर से लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद अरुण जेटली को जिस तरह वित्त मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई उस पर सवाल खड़ा करते हुए यशवंत सिन्हा ने वाजपेयी सरकार की याद दिला दी. यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘1998 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद जसवंत सिंह और प्रमोद महाजन जैसे कद्दावर नेताओं को तात्कालिक तौर पर कैबिनेट में जगह नहीं दी गई थी.’

यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर हमला बोलते हुए अपने लेख में जेटली पर एक और निजी तौर पर कटाक्ष किया था. सिन्हा ने कहा था ‘प्रधानमंत्री ये दावा करते हैं कि उन्होंने काफी करीब से गरीबी देखी है. उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि देश का हर नागरिक भी गरीबी को करीब से देखे.’

दोनों की तरफ से कोशिश एक-दूसरे की नीतियों और उनकी क्षमता को लेकर घेरने की हो रही है. लेकिन, ऐसा करते वक्त दोनों नेता इस बात को भूल रहे हैं कि इससे अपनी ही पार्टी की फजीहत हो रही है. लेकिन, इसकी चिंता शायद यशवंत सिन्हा को नहीं होगी क्योंकि वो तो पहले से ही पार्टी में किनारे कर दिए गए हैं.