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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: कोर्ट ने दिया आडवाणी, जोशी और उमा को समन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई की यह विशेष अदालत सन् 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है

FP Staff

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर गठित विशेष अदालत ने गुरुवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी को 30 मई को व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई की यह विशेष अदालत सन् 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है. छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद गिराने की साजिश में संलिप्तता को लेकर अदालत में चल रहे मामले की सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेशी से छूट मांगने के लिए बीजेपी नेताओं ने अदालत से राहत मांगी थी.


गुरुवार को 5 आराेप‍ियों श‍िवसेना नेता सतीश प्रधान, महंत नृत्य गोपाल दास, रामविलास वेदांती, चंपत राय, बैकुंठ लाल शर्मा की पेशी होनी थी. लेकिन सिर्फ सतीश प्रधान ही अदालत के सामने उपस्थित हुए.

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इससे पहले 20 मई को हुई सुनवाई के दौरान महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चपंत राय बंसल और धर्मदास ने सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद इन सभी को कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था. जबकि इस पिछली सुनवाई में सतीश प्रधान गैरहाजिर थे.

पिछली सुनवाई के दौरान महंत वेदांती ने कोर्ट में अपना गुनाह कबूलते हुए कहा था कि  उनके कहने पर भी कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था. वेदांती ने था कहा कि अगर राम मंदिर के लिए उन्हें फांसी पर भी चढ़ना पड़े तो वे तैयार हैं.

सुप्रीम के आदेश पर हो रही है रोजाना सुनवाई 

तस्वीर: पीटीआई

इससे पहले 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार सहित कई वरिष्ठ भाजपा और वीएचपी नेताओं के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने का फैसला सुनाया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा मई 2010 में नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को खारिज करने के बाद सीबीआई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि इस मामले में रोजाना सुनवाई हो. इसके साथ ही रायबरेली से लखनऊ केस ट्रांसफर कर दिया गया था.

साथ ही इस फैसले में इस मामले से जुड़े जजों के तबादले पर रोक लगा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह भी आदेश दिया था कि इस मामले में रोज उनका वकील कोर्ट में मौजूद रहेगा.

कौन-कौन हैं आरोपी 

छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी. सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. हालांकि अब तक इनमें से छह आरोपियों की मौत हो चुकी है.

कल्याण सिंह अभी राजस्थान के राज्यपाल हैं. इस वजह से उन पर अभी कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.