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कालाधन रखने वाले निकाल रहे नए-नए रास्ते

नोएडा में एक्सिस बैंक की ब्रांच में फर्जी खाते पाए गए. यह खाते मजदूरों के नाम पर खोले गए थे

Dinesh Unnikrishnan

नोएडा में एक्सिस बैंक की ब्रांच में फर्जी खाते पाए गए. यह खाते मजदूरों के नाम पर खोले गए थे और उनको कंपनियों का निदेशक दिखाया गया था. यह साबित करता है कि प्रधानमंत्री की विमुद्रीकरण योजना में सेंध लगाई जा चुकी है. काले कारोबारियों द्वारा बैंक में फर्जी खाते खोल कर अपने कालेधन को बैंकिंग सिस्टम में लाने का यह सिर्फ एक उदाहरण है.

जांच अधिकारियों के हवाले से खबरों में कहा गया कि ये बैंक अकाउंट फर्जी दस्तावेज के आधार पर खोल गए. इसका मतलब है कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत है, क्योंकि उनकी रजामंदी के बिना फर्जी खाते नहीं खोले जा सकते. इसकी जांच होने की जरूरत है.


यह भी गौर करने की बात है कि एक्सिस बैंक में यह पहली बार नहीं हुआ है. कुछ दिन पहले भी दिल्ली के चांदनी चौक में एक्सिस बैंक की शाखा में आयकर विभाग ने 44 फर्जी खाते पकड़े थे. इन 44 खातों में 100 करोड़ रुपए जमा किए गए थे. एक्सिस बैंक सिर्फ एक लक्षण है कि कैसे टैक्स चोरी करने के लिए बेनामी चैनल का इस्तेमाल करके कालेधन को सफेद किया जाता है.

अब एक बड़ा सवाल उठता है कि नोटबंदी के बाद से बैंक अधिकारियों की मिली-भगत से या उनकी जानकारी के बगैर बैंकिंग सिस्टम में कितना कालाधन घुसाया गया? कितना कालाधन पहले ही फर्जी खाते के जरिये सिस्टम में आ चुका है, यह भी पता नहीं है.

वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा है कि कालाधन सिर्फ इसलिए सफेद नहीं हो जाता कि वह बैंक खाते में जमा कर दिया गया. यह अवैध पैसे को संपत्ति में बदलने का एक तरीका भी हो सकता है. मसलन, एक्सिस बैंक के केस में जांच अधिकारियों को शक था कि यह पैसा सोना खरीदने के लिए फर्जी खातों में डाला गया था. ऐसा करके टैक्स की चोरी करने वाले लोग न सिर्फ नाममात्र का जुर्माना देने से बच जाते हैं बल्कि पूरी प्रक्रिया में वे साफ बच जाते हैं.

नोटबंदी के बाद बैंकों में कुल मिलाकर 13 लाख करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं, जिनमें जनधन खातों में जमा हुई राशि भी शामिल है. यह दिखाता है कि बैंकिंग सिस्टम में मौजूद कालेधन का पता लगाना एक चुनौती है. जिस तरह से बैंक की शाखाओं में फर्जी खाते खोले गए, उसी तरह से तमाम कंपनियों ने 500 और 1000 के नोटों के बंडल अपने कर्मचारियों में बांट दिए. उनसे कहा गया कि इसे आप अपने खाते में जमा कर लें और बाद में लौटा दें.

ऐसी स्थिति में असली टैक्स चोर पकड़े नहीं जाते, न ही कोई जुर्माना भरते हैं. उनके पास बिना किसी परेशानी के साफ बच निकलने का सुनहरा मौका है. एक्सिस बैंक मामले के बाद आयकर विभाग की नजर तुरंत इन तीन चीजों पर जानी चाहिए.

पहला, नोटबंदी के ऐलान के तुरंत बाद डिपॉजिट में रिकॉर्ड तेजी. फ़र्स्टपोस्ट की रिसर्च टीम की एनालिसिस के मुताबिक, जुलाई से सितंबर के बीच बैंक में 6 लाख करोड़ रुपए जमा हुए हैं, जो पिछले 19 साल में सबसे ज्यादा हैं.

इन तीन महीनों में जमा रकम पर सरकार और आरबीआई क्या स्पष्टिकरण देगी. ये आंकड़े बहुत हैरान करने वाले हैं क्योंकि पहले की तिमाहियों में ज्यादातर बैंकों ने नेगेटिव ग्रोथ और इकनॉमिक स्लोडाउन की बात कही थी.

दूसरा, नोटबंदी के बाद सिर्फ दो हफ्तों में जन धन योजना के खातों में 21,000 करोड़ रुपए कैसे जमा हो गए.'नो योर कस्टमर' यानी केवाईसी नियम में गड़बड़ियों का फायदा उठाकर बैंकों ने ये एकाउंट खुलवाए. साथ ही गरीबों के खातों का बेजा इस्तेमाल किया.

ये वही खाते हैं जिनमें बैंकों ने अपनी तरफ से 1 रुपया डालकर उसका जीरो बैलेंस स्टेटस खत्म किया. जन धन खातों के मालिक कल तक गरीब थे और अचानक आज उनके खातों में लाखों करोड़ों रुपए जमा हो गए और वे जांच के घेरे में आ गए.

तीसरा, नोटबंदी के शुरुआती दिनों में कमर्शियल बैंकों में सहकारी बैंकों की तरफ से डिपॉजिट में काफी तेजी आई. टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 14 दिसंबर के बीच महाराष्ट्र के डिस्ट्रिक क्रेडिट को-आॅपरेटिव बैंक में 500 और 1000 रुपए के नोट में 5000 करोड़ रुपए जमा हुए थे. इसके बाद सरकार ने कोआॅपरेटिव बैंक में पुराने नोट जमा कराने पर सरकार ने पाबंदी लगा दी.

यह मानना बेवकूफी होगी कि काला धन चुराने वाले बैंक में जाकर अपनी ब्लैकमनी का खुलासा करेंगे. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि ब्लैकमनी रखने वाले कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे. एक्सिस बैंक इसका सिर्फ एक एपिसोड है.