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अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कल: बहुत याद आएगा वाजपेयी का वह भाषण

शुक्रवार को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है. कई मुद्दे हैं चर्चा के केंद्र में लेकिन क्या हमें कुछ वैसा सुनने को मिलेगा जो 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कही थी

FP Staff

शुक्रवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है. सरकार से लेकर विपक्ष ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां की हैं. सरकार जहां अपने पाले में जरूरी संख्या का दावा कर रही है तो विपक्ष का कहना है कि उसे भी जरूरी सांसदों का समर्थन प्राप्त है. 2019 में आम चुनाव है, इसलिए चर्चा के केंद्र में कई ऐसे मुद्दे हैं जो गरमा-गरम बहस को न्योता देंगे. इन मुद्दों में अहम हैं-आंध्र प्रदेश के लिए अलग राज्य का दर्जा और मॉब लिंचिंग. जब संसद का सत्र चल रहा हो और ऐसे तल्ख मुद्दे अध्यक्ष के पटल पर हों तो गंभीर बहस होना लाजिमी है लेकिन क्या हमें वैसा कोई भाषण सुनने को मिलेगा जो 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में दिया था.

तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बने मात्र 13 दिन हुए थे और उनकी सरकार लुढ़कने की दहलीज पर खड़ी थी. देश के संसदीय इतिहास में शायद यह पहला मौका था जब किसी प्रधानमंत्री ने सदन में इतना लंबा-चौड़ा बोला और देश-दुनिया की जनता अवाक् सुनती रही. हालांकि इसका एक कारण यह भी माना जाता है कि सरकारी टीवी चैनल दूरदर्शन ने इसका लाइव प्रसारण किया था जिस कारण वाजपेयी को अपनी बात जन-जन तक पहुंचाने में काफी मदद मिली.


वाजपेयी तब विपक्ष के लाए अविश्वास में भले 'लुढ़क' गए लेकिन उनके भाषण ने देश की जनता में हमेशा के लिए विश्वास कायम कर दिया, जिसकी दुहाई आज भी बीजेपी देती है.

तब वाजपेयी ने संसद में कहा था, मैंने दशकों तक राजनीति की लेकिन आज खुद व्यक्तिगत आलोचनाओं से घिरा हूं.... मैं उन चार पार्टियों का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं कि जब सबने मेरा साथ छोड़ दिया, ये मेरे साथ खड़ी रहीं. इनमें शिवसेना और अकाली दल शामिल हैं....मेरे ऊपर आरोप लग रहे हैं कि मैं सत्ता लोलुप हूं और मैं जो भी काम कर रहा हूं उसी सत्ता लोलुपता का परिणाम है...जब देश की अधिकांश जनता ने मुझे वोट दिया है, तो मुझे क्यों सत्ता का दावा करने से शर्माना चाहिए? क्या जनता ने हमारी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर हमारे ऊपर जो भरोसा जताया है उसे छोड़कर मुझे रणक्षेत्र से भाग जाना चाहिए?

वाजपेयी ने आगे कहा, साफ-साफ कहें कि आप मुझे किसी कीमत पर सत्ता में बने रहने नहीं देंगे. इस सदन में हिटलर के नारे लगाए जा रहे हैं...मुझे फासीवादी कहा जा रहा है...मैं पिछले चार दशकों से राजनीति कर रहा हूं..हमने यह लड़ाई लोकतांत्रिक ढंग से लड़ी है..और मेरे ऊपर फासीवादी तरीके अपनाने के आरोप लग रहे हैं...यह नकारात्मक राजनीति है...यह रिएक्शनरी राजनीति है..यह ऐसी राजनीति है जो हमें हर कीमत पर रोकना चाहती है, हमें अछूत बनाते हुए...यह कोई स्वस्थ राजनीति नहीं हो सकती.