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Assembly Election Results: 3 राज्यों में कांग्रेस को मिली जीत का महागठबंधन पर क्या होगा असर?

अब जबकि कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाने जा रही है तो इस हालत में मजबूत हुई कांग्रेस एसपी-बीएसपी को शायद ही पसंद आएगी

Amitesh

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने 2019 में जीत का दावा करते हुए कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराएंगे. राहुल ने कहा, ‘बीजेपी की एक विचारधारा है, हम उस विचारधारा से लड़ेंगे और उन्हें हराएंगे, हमने उन्हें आज भी हराया है और उन्हें 2019 में भी हराएंगे.’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित हैं. यह उत्साह और भी ज्यादा दिख रहा है, क्योंकि राहुल गांधी की अध्यक्षता में पहली बार कांग्रेस ने बीजेपी को आमने-सामने की लड़ाई में मात दी है. कांग्रेस को अब लगने लगा है कि बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हराया जा सकता है.


कांग्रेस पहले से भी मोदी विरोधी मोर्चा बनाकर कई दलों के साथ बीजेपी को मात देने की तैयारी कर रही है. महागठबंधन के नाम पर देश भर के विरोधी दलों को साथ लाने की कांग्रेस की कोशिशों पर विधानसभा चुनाव के परिणाम का असर पड़ेगा.

(फोटो: पीटीआई)

पहले से और भी ज्यादा मजबूत होकर सामने आएगी कांग्रेस

कांग्रेस अब पहले से और मजबूत होकर इस पूरे महागठबंधन का नेतृत्व करने की कोशिश करेगी. कांग्रेस का कद विपक्षी मोर्चे में और बढ़ेगा, क्योंकि अबतक ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू जैसे क्षेत्रीय क्षत्रप ही महागठबंधन में मजबूत दिख रहे थे. लेकिन, अब महागठबंधन में और अधिक आत्मविश्वास के साथ कांग्रेस अपनी बात रखने की हालत में होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो महागठबंधन के भीतर अब कांग्रेस की विश्वसनीयता ज्यादा बढ़ेगी.

लेकिन, कांग्रेस की जीत के बाद महागठबंधन के भीतर का समीकरण बिगड़ भी सकता है. इसकी एक झलक मतगणना के ठीक एक दिन पहले लोकसभा चुनाव 2019 की रणनीति बनाने के लिए महागठबंधन की बैठक में भी दिख गई थी. 21 दलों के नेता इस बैठक में तो आए थे, लेकिन, एसपी और बीएसपी के नेता इस बैठक से नदारद रहे. अखिलेश यादव और मायावती का महागठबंधन की बैठक का ‘बहिष्कार’ करना साफ दिखा रहा है कि ये दोनों नेता कांग्रेस का हाथ पकड़ने के लिए इतनी आसानी से तैयार नहीं हो रहे हैं.

अब जबकि कांग्रेस मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाने जा रही है तो इस हालत में मजबूत हुई कांग्रेस एसपी-बीएसपी को शायद ही पसंद आएगी. ऐसे में एसपी और बीएसपी कांग्रेस के साथ जाने के बजाए 2019 के चुनावों के बाद ही गठबंधन के विकल्प को खुले रहने की बात करती दिखेंगी. अखिलेश और मायावती यूपी में आरएलडी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं.

क्या महागठबंधन में कांग्रेस के साथ आएगी बीएसपी?

कांग्रेस अभी भी यूपी में बड़े गठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश में लगी हुई है.कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान से यह साफ हो जाता है. राहुल गांधी ने कहा, ‘कांग्रेस, एसपी, बीएसपी की विचारधारा एक है, जो कि बीजेपी से अलग है.’ राहुल गांधी के इस बयान का सिला मध्यप्रदेश में एसपी-बीएसपी की तरफ से दिया जा रहा है. जहां एसपी के 1 और बीएसपी के 2 विधायक ‘विचारधारा’ के नाम पर कांग्रस को समर्थन दे रहे हैं. बीजेपी को रोकने के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. लेकिन, इसे यूपी में महागठबंधन में कांग्रेस के साथ आने के बारे में कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि मायावती के तेवर कांग्रेस को लेकर भी तल्ख दिख रहे हैं.

इस बीच हिंदी पट्टी की जीत में दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में मिली कांग्रेस की हार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. के.सी .आर की जीत ने तेलंगाना में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू की जुगलबंदी को खारिज कर दिया है.

तेलंगाना में मिली हार क्यों हैं कांग्रेस के लिए चिंता का कारण?

महागठबंधन के लिहाज से यह हार इसलिए भी चिंता का कारण है क्योंकि महागठबंधन में सबको जोड़ने की कोशिश में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ही सबसे ज्यादा सक्रिय हैं. लेकिन, तेलंगाना में उनकी तरफ से बनाया गया महागठबंधन (प्रजा कुटमी) के.सी.आर को मात देने में विफल हो गया. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि कांग्रेस और टीडीपी एक-दूसरे के साथ आंध्र प्रदेश में जाएंगे? क्योंकि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव भी आंध्र प्रदेश में होगा.

दरअसल, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की छवि एक ऐसी पार्टी की रही है जिसने राज्य का विभाजन किया और विभाजन ठीक तरीके से नहीं हुआ. ऐसे में टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जुगलबंदी कब तक साथ रहेगी, इस पर अभी से ही संशय के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि अभी लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में तीन से चार महीने का वक्त बचा है.

दूसरी तरफ, अखिलेश यादव और मायावती की तरह के चंद्रशेखर राव भी चुनाव बाद किसी गठबंधन में जाने को लेकर विकल्प खुला रखना चाहते हैं. चुनाव से पहले अब राव का किसी भी गठबंधन के साथ जाना मुश्किल है, क्योंकि अब राज्य में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद वो लोकसभा चुनाव और उसके बाद जरूरत पड़ने पर सरकार बनाने में खुलकर खेल सकते हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 में बीजेपी को हराने के लिए फिर से कमर कस रहे हैं, लेकिन, अखिलेश, मायावती और के.सी.आर जैसे बड़े खिलाड़ी अपने तुरुप के पत्ते 2019 चुनाव के बाद के लिए बचाकर रखना चाहते हैं, जो राहुल गांधी के पक्ष में नहीं दिख रहा है.